महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने कई उपलब्धि अपने नाम किए हैं। टी20 वर्ल्ड कप में जीत, ऑस्ट्रेलिया में पहली बार त्रिकोणीय सीरीज में जीत, टेस्ट में नंबर एक बनना, 2011 वर्ल्ड कप में जीत और 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी में जीत धोनी के नेतृत्व में ही मिली। उनके रहते हुए भारत ने कई रोमांचक मैच खेले हैं जिसे फैंस हमेशा याद रखना चाहेंगे। जनवरी 2011 में वर्ल्ड कप से पहले भारत का मुकाबला दक्षिण अफ्रीका से हुआ था। अफ्रीकी टीम को 44 गेंद पर 2 रन बनाने थे। इसके बावजूद टीम 1 रन से हरा गई थी।

उस मैच में टीम के ‘मुन्ना भाई’ मुनाफ पटेल हीरो बनकर सामने आए थे। उन्होंने टीम की डूबती नैया को पार लगाया था। उन्होंने सबसे ज्यादा 4 विकेट लिए थे। मुनाफ ने टीम को सबसे महत्वपूर्ण आखिरी विकेट भी दिलाई थी। मैच में भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया था। टीम 47.2 ओवर में 190 रनों पर सिमट गई थी। भारत के लिए युवराज सिंह ने सबसे ज्यादा 53 रन बनाए थे। महेंद्र सिंह धोनी ने 38 रनों की पारी खेली थी। सचिन तेंदुलकर ने 24 और विराट कोहली ने 22 रनों का योगदान दिया था।

191 रन के आसान लक्ष्य को देखकर क्रिकेट फैंस यह सोचने लगे थे कि अफ्रीकी टीम आसानी से इस मैच को अपने नाम कर लेगी। उसके पास ग्रीम स्मिथ, हाशिम अमला, कॉलिन इनग्राम, एबी डिविलियर्स, जेपी डुमिनी और डेविड मिलर जैसे खतरनाक बल्लेबाज थे। इतनी मजबूत बल्लेबाजी क्रम को देखकर भी भारतीय गेंदबाज नहीं घबराए। जहीर खान, मुनाफ पटेल, आशीष नेहरा, हरभजन सिंह और रोहित शर्मा ने शानदार गेंदबाजी की। स्मिथ ने 77, डेविड मिलर ने 27 और कॉलिन इनग्राम ने 25 रन बनाए। अमला (4), डिविलियर्स (8) और डुमिनी (13) सस्ते में आउट हो गए।

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अफ्रीकी टीम को एक समय 67 गेंद पर सिर्फ 15 रन चाहिए थे। उसके तीन बल्लेबाज क्रीज पर थे। ऐसा लग रहा था कि वह आसानी से मैच जीत जाएगी। तभी मुरली विजय के थ्रो पर युवराज ने डेल स्टेन को रनआउट कर दिया। अब दक्षिण अफ्रीका को 66 गेंद पर 15 रन बनाने थे और उसके पास दो विकेट थे। 43वें ओवर में मुनाफ पटेल की गेंद पर यूसुफ पठान ने मोर्ने मोर्कल का बेहतरीन कैच लिया। अफ्रीका को 44 गेंद पर 2 रन बनाने थे और वायने पार्नेल ने मुनाफ की गेंद पर युवराज सिंह को आसान कैच थमा दिया। ‘चोकर्स’ के नाम से प्रसिद्ध अफ्रीकी टीम एक आसान मैच हार गई।