एशिया कप 2022 का ब्लॉकबस्टर मुकाबला रविवार को दुबई में भारत और पाकिस्तान के बीच खेला जाएगा। दोनों टीमों के बीच मुकाबला हमेशा कांटे का होता है। जब टी-20 क्रिकेट में दोनों टीमें पहली बार भिड़ी थीं, तब मैच का निर्णय बड़े ही अनोखे तरीके से निकला था। मामला साल 2007 का है। साउथ अफ्रीका में पहले टी-20 वर्ल्ड कप का आयोजन हुआ था। भारत और पाकिस्तान एक ही ग्रुप में थे।

14 सितंबर 2007 को डरबन के किंग्समिड मैदान पर खेले गए इस मैच में टॉस जीतकर पाकिस्तान के कप्तान शोएब मलिक ने गेंदबाजी करने का फैसला किया। तेज गेंदबाज मोहम्मद आसिफ ने टीम इंडिया पर कहर बरपाया और सिर्फ 8 रन देकर चार बल्लेबाजों को पवेलियन भेजा दिया। महेंद्र सिंह धोनी अगुआई वाली टीम 20 ओवर में 9 विकेट खोकर 141 रन बना पाई। रॉबिन उथप्पा ने अर्धशतक जड़ा था। इसके अलावा एमएस धोनी ने 31 गेंदों में 33 रन से अधिक रन बनाए। मोहम्मद आसिफ के अलावा शाहिद अफरीदी ने दो विकेट लिए।

आखिरी गेंद पर रन आउट हो गए मिस्बाह-उल-हक

जवाब में, आरपी सिंह और अन्य गेंदबाजों के अच्छे प्रदर्शन के दम पर टीम इंडिया ने पाकिस्तान को भी 141 रनों पर समेट दिया। पाकिस्तान के लिए मिस्बाह-उल-हक ने सर्वाधिक 53 रन बनाए। आखिरी गेंद पर उनके रन आउट होने के कारण मैच टाई हो गया। पाकिस्तान को अंतिम तीन ओवरों में 42 रनों की आवश्यकता थी, लेकिन मिस्बाह ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए टीम को लक्ष्य के करीब पहुंचा दिया।

ऐसे हुआ मैच का फैसला

मैच टाई पर अब सुपर ओवर होता है, लेकिन तब बॉल आउट हुआ करता था। नियमों के अनुसार, दोनों टीमों को स्टंप पर गेंद मारने के लिए पांच खिलाड़ियों को चुनना था। पांच में जो भी टीम सबसे ज्यादा पर स्टंप पर गेंद मारती मुकाबला उसका हो जाता। धोनी ने वीरेंद्र सहवाग, रॉबिन उथप्पा, एस श्रीसंत, इरफान पठान और हरभजन सिंह को चुना। शोएब मलिक ने उमर गुल, सोहेल तनवीर, यासिर अराफात, शाहिद अफरीदी और मोहम्मद आसिफ को चुना।

टीम इंडिया ने 3-0 से बॉल आउट को अपने नाम किया

भारत के लिए वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह और रॉबिन उथप्पा ने लगातार तीन हिट किए। वहीं शाहिद अफरीदी, यासिर अराफात और उम गुल तीनों ने मौका गंवा दिया। ऐसे में टीम इंडिया ने 3-0 से बॉल आउट को अपने नाम कर लिया। इस वर्ल्ड कप में दोनों टीमों के बीच एक बार और आमना-सामना हुआ। वह मैच टूर्नामेंट का फाइनल था। मिस्बाह एक बार फिर भारत की राह में रोड़ा बनते दिखाई दे रहे थे, लेकिन जोगिंदर शर्मा ने उन्हें एस श्रीसंत के हाथों कैच करा दिया था। इस तरह टीम इंडिया ने खिताब अपने नाम कर लिया था।