मनीष कुमार जोशी

हार से आस्ट्रेलियाइयों में काफी बौखलाहट है। मीडिया और विषेषज्ञ कहने लगे कि पिच निर्देश देकर बनवाई हुई है। पूरे क्रिकेट जगत में यह मुद्दा बना दिया कि इस तरह की पिच से क्रिकेट को नुकसान हो रहा है। आस्ट्रेलिया के सुर में सुर दूसरे देशों के क्रिकेट विज्ञ भी मिलाने लगे हैं। भारतीयों ने आस्ट्रेलिया के इन आरोपों का कड़ा जवाब दिया है। दो दिन तक मीडिया में हाय तौबा मचाने के बाद भारत से मिले जवाबो से आस्ट्रेलियाई कुछ नरम पड़ गए।

नागपुर टैस्ट में आस्ट्रेलिया की पहली पारी जिस प्रकार ढही और दूसरी पारी एक सत्र से ज्यादा नहीं चली। आस्ट्रेलिया मीडिया ने पिच का विवाद खड़ा कर दिया। आस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग बोले कि आस्ट्रेलिया को भारत हरा नहीं सकते इसलिए उसने इस प्रकार का तरीका चुना है। भारत के पास आस्ट्रेलिया को हराने के लिए इसके अलावा दूसरा हथियार नही है। आस्ट्रेलियाई मीडिया ने नागपुर पिच को गड्ढा कहा।

करारी हार मिलने के बाद आस्ट्रेलियाई कोच मैक्डोनाल्ड ने कहा कि भारत में निष्पक्ष पिचें नहीं बनाई जाती हैं। भारत और आस्ट्रेलिया में एक बड़ा फर्क यह है कि आस्ट्रेलिया में पिच ग्राउंड्समैन बनाते हैं जबकि भारत में पिच बनाने के लिए ग्राउंड्समैन को निर्देश दिए जाते हैं। जाहिर है कंगारुओं को यह बर्दाश्त नहीं हो रहा है कि वे भारत से एक पारी और सौ से ज्यादा रनों से कैसे हार गए हैं।

इससे पहले भी किसी दूसरे देश की टीम के हारने पर भारत पर इस प्रकार के आरोप लगाए गए हैं। वर्ष 2021 में भारत के दौरे पर आई इंग्लैंड की टीम अहमदाबाद स्टेडियम में बुरी तरह से हार गई। नरेंद्र मोदी स्टेडियम में टैस्ट मैच दो दिन में ही खत्म हो गया। इस हार के बाद पूरी दुनिया में मोटेरा पिच की आलोचना हुई।

तत्कालीन कप्तान विराट कोहली ने यह कह कर पिच का बचाव किया कि 30 में से 21 विकेट तो सीधी गेंदो पर गिरे थे। इसी तरह आस्ट्रेलिया ने 2004 में मुंबई टैस्ट के बाद भी भारतीय पिचों पर विवादास्पद टिप्पणियां की थीं। जब भी कोई विदेशी टीम खासकर आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड) भारतीय पिचों को विवाद का विषय बनाती रही हैं।

भारतीय विकेटों पर बवाल खड़ी करने वाली ये विदेशी टीमें अपने बल्लेबाजों और गेंदबाजों के बचाव में यह विवाद खड़ा करती आर्इं हैं। पिच विवाद का इतिहास देखें तो हम पाते हैं कि ये टीमें भारतीय उपमहाद्वीप में हारने पर ऐसा विवाद पैदा करती हैं जबकि हकीकत में ऐसा है नहीं। यदि ऐसा होता तो भारतीय टीम जब आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जाती है तो ऐसा विवाद होता है।

वर्ष 2020 में भारतीय टीम जब एडीलेड टैस्ट में अपने सर्वकालिक न्यूनतम स्कोर 36 पर आल आउट हो गई थी तो किसी ने यह विवाद खड़ा नहीं किया था कि आस्ट्रेलिया ने भारत को हराने के लिए तेज पिचें बनवाई हैं। किसी भारतीय ने नहीं कहा था कि आस्ट्रेलिया अपने ग्राउंड्समैन को अपने अनुकूल पिच बनाने के लिए निर्देश देते हैं।

वर्ष 1996 में दक्षिण अफ्रीका में भारत की टीम डरबन टेस्ट में 66 रनों पर आउट हो गई थी तो किसी ने आरोप नहीं लगाया था कि भारत को हराने के लिए पिच बनाई गई है। वर्ष 1974 में इंग्लैंड के विरुद्ध भारत मात्र 42 रन पर आउट हो गई थी तो किसी भारतीय ने पिच को लेकर असामान्य टिप्पणी नहीं की थी। जब भारत किसी दूसरे देश में पिच को लेकर मुश्किलों का सामना करता है तो उन देशों के क्रिकेट विज्ञ पिच पर टिप्पणी न करके भारत के बल्लेबाजों पर टीका टिप्पणी की जाती है।

कंगारू या दूसरे देश अपनी हार पर पिच पर क्यों बिफरते हैं। एक पिच दोनों के लिए बराबर एक जैसा व्यवहार करती है। नागपुर की विकेट रोहित शर्मा के लिए ही वैसी थी जैसी स्मिथ के लिए थी। जिस विकेट पर आस्ट्रेलिया की टीम एक ही सत्र में ढेर हो गई थी, उसीे पिच पर रविन्द्र जडेजा और अक्षर पटेल टिककर आराम से खेले। इसी पिच पर मर्फी ने भी विकेट लिए और रविन्द्र जडेजा ने।

जब पिच सब के साथ समान व्यवहार करती है तो पिच खराब होने का आरोप क्यों। नागपुर टैस्ट में अपनी हार पर आस्ट्रेलिया को आत्मविश्लेषण करने की जरूरत है। आस्ट्रेलिया की हार की सबसे बडी वजह मर्फी के सहयोग में कोई दूसरा गेंदबाज सफल नहीं था। आस्ट्रेलिया टीम ने अंतिम एकादश के चयन में दाएं और बाएं हाथ के बल्लेबाज के फेर में पड़ गई। अपने महत्त्वपूर्ण खिलाड़ियों को एकादश में शामिल नहीं किया।

आइसीसी को भी पिच विवाद पर संज्ञान लेना चाहिए। जिस प्रकार अंपायरिंग विवादों के बाद आइसीसी ने तटस्थ अंपायरों की व्यवस्था शुरू की। ऐसा ही कुछ पिच को लेकर होना चाहिए। हालांकि पिच के संबंध में आइसीसी की मार्गदर्शिका है परन्तु इसके बावजूद आरोप लगते रहते हैं। इस संबध में ठोस निर्देश होने चाहिए। विकेट बनाने के मानदंड तय होने चाहिए।

ऐसा व्यवस्था की जानी चाहिए जिस पर दोनों पक्षों को विश्वास हो। जब विकेट की आलोचना होती है तो क्रिकेट पीछे छूट जाता है। ऐसे गेंदबाज जो अपनी काबलियत से विकेट लेते हैं, उनकी चर्चा कहीं पीछे रह जाती है। विकेट पर आरोप परोक्ष रूप से गेंदबाज पर भी होते हैं। ये आरोप गेंदबाज की काबलियत पर भी होते है।

क्रिकेट विज्ञों और पूर्व क्रिकेटरों को यह समझना चाहिए कि टैस्ट मैच जल्दी खत्म हो जाना विकेट के कारण नहीं बल्कि गेंदबाजो की अच्छी गेंदबाजी भी कारण होता है। विकेट पर विवाद खत्म किया जाना चाहिए और अपनी गेंदबाजी के दम पर विपक्षी टीम को धराशायी करने वाले गेंदबाजों की तारीफ की जानी चाहिए। आस्ट्रेलिया को चाहिए कि वह स्वस्थ प्रतिस्पर्धा रखे और खेल को आनंदमय बनाए।