दक्षिण एशियाई देशों में श्रीलंका पहला ऐसा देश है जिसने मैच फिक्सिंग से संबंधित सभी कृत्यों को अपराध घोषित किया है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की भ्रष्टाचार रोधी इकाई के जांच में दोषी पाए जाने पर सख्त दंड का प्रावधान भी किया है। श्रीलंका के इस कदम के बाद जहां देश में सट्टेबाजी जैसे कृत्यों पर लगाम लगेगा वहीं दूसरे देशों के सामने भी एक नजीर होगा।

प्रमुख बिंदु

इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया सहित क्रिकेट खेलने वाले कई अन्य देशों में मैच फिक्सिंग गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। श्रीलंका की संसद ने खेल विधेयक से संबंधित सभी तीन वचनों को पारित किया। यह खेल में व्याप्त भ्रष्टाचार से निपटने के लिए दस साल तक का कारावास और 100 मिलियन श्रीलंकाई रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान करता है। नए कानून के अनुसार अधिक धन के लालच में यदि खेल से संबंधित कोई भी व्यक्ति जो सीधे फिक्सिंग में शामिल है, टीम या मैच की आंतरिक जानकारी साझा करता है, फिक्सर के मुताबिक पिच तैयार करता है या जानबूझकर नियमों का दुरुपयोग करता है उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

अपराध की श्रेणियां और दंड

पहली श्रेणी : इसमें मैच फिक्सिंग, स्पॉट फिक्सिंग, उपहार भुगतान और अन्य लाभ जैसे कृत्यों को शामिल किया गया है। इसमें ऐसे खिलाड़ी जो सट्टेबाजी में शामिल हैं, पैसे या किसी अन्य लाभ के लिए नियमों का दुरुपयोग करते हैं, क्यूरेटर जो सट्टेबाज के मुताबिक पिच तैयार करते हैं, टीम मैनेजमेंट से जुड़ा कोई भी व्यक्ति जो किसी लाभ के लिए आंतरिक जानकारी सट्टेबाजों के साथ साझा करता है, शामिल है। इस श्रेणी के अपराध के लिए दस साल तक का कारावास या 100 मिलियन श्रीलंकाई रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है।

दूसरी श्रेणी : इसमें बिना उचित कारण के जांचकर्ता के सामने पेश न होना, जांचकर्ता द्वारा किए गए किसी भी सवाल का जवाब देने से इनकार करना, जानबूझकर भ्रामक बयान देना या तथ्यों को छुपाना, सबूतों को नष्ट करना, भ्रष्टाचार की सूचना नहीं देना शामिल है। इस श्रेणी के अपराध के लिए अधिकतम तीन साल का कारावास और दो लाख श्रीलंकाई रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है।

तीसरी श्रेणी : इसमें कोई भी सेवा प्रदाता या व्यक्ति जो किसी जांच से संबंधित जानकारी या तथ्य प्रदान करने में असफल रहता है। इस श्रेणी के अपराध के लिए अधिकतम दस साल तक के कारावास या पांच लाख श्रीलंकाई रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।

यहां खेल विधेयक लाने का कारण

श्रीलंकाई क्रिकेट में भ्रष्टाचार के नित नए मामले आने के बाद खेल विधेयक लाना जरूरी हो गया। श्रीलंकाई क्रिकेट विधेयक आने से पहले सट्टेबाजी और भ्रष्टाचार के मामलों में इस तरह उलझ गया कि उसके लिए क्रिकेट का संचालन काफी मुश्किल हो गया था।
पूर्व श्रीलंकाई बल्लेबाज सनथ जयसूर्या पर आइसीसी कोर्ट के तहत आरोप लगने के बाद श्रीलंकाई क्रिकेट बोर्ड आइसीसी की भ्रष्टाचार रोधी इकाई के दायरे में आ गया।

जयसूर्या पर मैच फिक्सिंग की जांच में सहयोग नहीं करने के कारण दो साल का प्रतिबंध लगाया गया था। इसके बाद पूर्व तेज गेंदबाज नुवान जोयसा को मैच फिक्सिंग में कथित संलिप्तता के कारण निलंबित किया गया था। 2018 में तेज गेंदबाज दिलहारा लोकुहेटगे को 2017 में एक टी-10 लीग मैच में भ्रष्टाचार के कृत्यों में शामिल होने के कारण निलंबित किया गया था।

सट्टेबाजी के बड़े मामले

शेन वार्न-मार्क वॉ मामला : आस्ट्रेलिया के दिग्गज खिलाड़ी शेन वार्न और मार्क वॉ पर आरोप लगा था कि 1994 में सिंगर कप, श्रीलंका के दौरान पिच की जानकारी सझा करने के लिए सोटरिए ने उन्हें पैसे दिए।

क्रिस केर्न्स का मामला : इंडियन क्रिकेट लीग में चंडीगढ़ लॉयन्स की तरफ से खेलने हुए न्यूजीलैंड के हरफनमौला क्रिस केर्न्स को आइसीसी की जांच में फिक्सिंग का दोषी पाया गया था। न्यूजीलैंड के पूर्व सलामी बल्लेबाज लुई विंसेंट ने केर्न्स पर आरोप लगाए कि उन्होंने एक बुकी से उन्हें मिलवाने की बात कही थी।

इंग्लैंड में स्पॉट फिक्सिंग :
2010 में पाकिस्तान के इंग्लैंड दौरे पर सबसे बड़ा मैच फिक्सिंग का मामला सामने आया। इसमें मोहम्मद आमिर, मोहम्मद आसिफ और कप्तान सलमान बट्ट ने स्पॉट फिक्सिंग किया था। तीनों ने मजहर मजीन नाम के बुकी से कुछ विशेष काम के लिए पैसे लिए थे।

आइपीएल में स्पॉट फिक्सिंग : 2013 में आइपीएल में स्पॉट फिक्सिंग का मामला सामने आया। इसमें क्रिकेटर श्रीसंत, अंकित चव्हाण और अजित चंदेला को दोषी पाया गया। इसके साथ ही विंदू दारा सिंह और टीम मालिकों पर भी सट्टेबाजी के आरोप लगे।