भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन ने खुलासा किया है कि 2011 में उन्होंने महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी बचाई थी। चयन समिति ने धोनी से कप्तानी छीनने का फैसला कर लिया था, लेकिन श्रीनिवासन ने बीसीसीआई के अध्यक्ष के तौर पर अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए मामले में हस्तक्षेप किया था, जिसके बाद धोनी की कैप्टेंसी बरकरार रही थी।

बता दें अप्रैल 2011 में ही टीम इंडिया उन्हें की कप्तानी में 28 साल बाद दोबारा वर्ल्ड चैंपियन बनी थी। हालांकि, वर्ल्ड कप जीतने के बाद 2011-12 में ही ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टीम इंडिया टेस्ट सीरीज 0-4 से हार गई थी। इसके बाद तत्कालीन चयन समिति ने अगली वनडे सीरीज के लिए महेंद्र सिंह धोनी को कप्तानी से हटाने का फैसला कर लिया था। चयन समिति के इस फैसले को रोकने के लिए श्रीनिवासन गोल्फ कोर्स से सीधा चयन समिति की बैठक में पहुंच गए थे।

श्रीनिवासन ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘वह 2011 था। भारत ने विश्व कप जीता था और तब ऑस्ट्रेलिया में, हमने टेस्ट में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। इसलिए, चयनकर्ताओं में से एक ने उन्हें (धोनी) वनडे कप्तान के रूप में हटाना चाहा। मुद्दा यह था कि आप उन्हें एकदिवसीय कप्तान के रूप में कैसे हटा सकते हैं? उन्होंने अभी कुछ महीने पहले ही विश्व कप जीता था। उन्होंने (चयनकर्ताओं ने) यह भी नहीं सोचा था कि उनका स्थानापन्न कौन होगा। एक चर्चा हुई और फिर औपचारिक बैठक से पहले मैंने कहा कि यह कोई तरीका नहीं है।’

श्रीनिवासन ने बताया, ‘वास्तव में, उस दिन छुट्टी थी। मैं गोल्फ खेल रहा था। मैं वापस आया। संजय जगदाले उस समय (BCCI) के सचिव थे। उन्होंने मुझे बताया कि सर वे (चयनकर्ता) धोनी को कप्तान चुनने से इनकार कर रहे हैं। वे उसे (धोनी) टीम में लेंगे। तब मैं गोल्फ कोर्स से सीधा बैठक में पहुंचा। मैंने कहा कि एमएस धोनी ही कप्तान होंगे। मैंने बीसीसीआई अध्यक्ष के रूप में अपने सभी अधिकारों का इस्तेमाल किया।’

बता दें कि बीसीसीआई के पुराने संविधान के मुताबिक, सेलेक्शन कमेटी को टीम चयन के लिए बोर्ड अध्यक्ष की मंजूरी की आवश्यकता होती थी। हालांकि, लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें लागू होने के बाद से मुख्य चयनकर्ता को चयन मामलों पर अंतिम फैसला लेने का अधिकार मिल गया है।