आत्माराम भाटी

विश्व कप फुटबाल अपना लगभग 92 साल का सफर पूरा कर चुका है। इस सफर में ऐसे अनेक खिलाड़ी रहे हैं। जिनके खेल कौशल से पूरा फुटबाल जगत रोमांचित और खुशी से झूम उठता था। आइए निगाह डालते हैं फुटबाल के सितारों पर।

जादूगर पेले

फुटबाल जगत में अगर अपने खेल से किसी खिलाड़ी ने सबसे ज्यादा रोमांचित किया है। वे हैं फुटबाल किंग व काला मोती जैसी उपाधि से विख्यात ब्राजील के खिलाड़ी एडसन अरांतेस दो नेसिमेंतो यानी फुटबाल का जादूगर पेले। एडसन का जन्म 23 अक्तूबर 1940 को ट्रेस कोराकोस गांव में हुआ। एडसन के पिता जोआओ रामोस दो नेसिमेंतो स्वयं फुटबाल के बेहतरीन खिलाड़ी थे। एक मैच में वे अपाहिज हो गए जिससे उनका फुटबाल खेलने का सपना टूट गया। अपने सपने को पूरा करने के लिए पिता ने अपने बेटे एडसन को पांच साल की उम्र से ही फुटबाल सिखाना शुरू कर दिया।

आठ साल की आयु में एडसन का नाम पेले रखा गया। 11 साल की आयु में पेले की फुटबाल में पहचान बनने लगी। राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पेले ने 60 गोल दागकर नया कीर्तिमान बनाया। 1958 में स्वीडन विश्व कप में सबसे कम आयु में 17 साल 239 दिन में गोल कर पेले ने सबसे कम आयु में गोल करने का कीर्तिमान बनाया। 1960 में ब्राजील सरकार ने पेले को आधिकारिक राष्ट्रीय संपत्ति घोषित कर दिया। 1970 मैक्सिको विश्व कप में पेले ने सजगता से खेलते हुए अपने खेल से ब्राजील को तीसरी बार विश्व कप दिलाकर हमेशा के लिए ज्युलस रिमेट ट्राफी को ब्राजील के नाम कर दिया। पेले ने अपने करिअर में 1,363 मैचों में 1,281 गोल किए।

इंग्लैंड के हीरो बाबी चार्ल्टन व बाबी मूर

सर बाबी चार्ल्टन 1950 व 60 के दशक में इंग्लैंड के लोकप्रिय फुटबाल खिलाड़ी रहे। 11 अक्तूबर 1937 में जन्मे बाबी चार्ल्टन का 1966 में इंग्लैंड को एक मात्र विश्व कप दिलवाने में अहम योगदान रहा। सेमीफाइनल में पुर्तगाल के खिलाफ इन्होंने दो गोल दागे। फाइनल में जर्मनी को 4-2 से हराने में भी विशेष योगदान रहा। अपने करिअर में बाबी ने इंग्लैंड के लिए 106 मैच खेले और 49 गोल किए।

फरवरी 1958 को एक विमान हादसे में बाबी बाल-बाल बच गए, जब इनके साथ के आठ खिलाड़ी इस हादसे में मारे गए। बाबी चार्ल्टन की तरह बाबी मूर भी इंग्लैंड के महान खिलाड़ियों में शुमार किए जाते हैं। 1941 में जन्मे मूर ने 1962, 1966 व 1970 तीन विश्व कप में इंग्लैंड का नेतृत्व किया। 1966 में एकमात्र विश्व कप अपने देश के नाम करने में बाबी चार्ल्टन के साथ इनका भी योगदान रहा। मूर ने इंग्लैंड के लिए 108 मैच खेले।

डिएगो माराडोना

विश्व फुटबाल जगत में पेले के बाद अगर कोई खिलाड़ी सबसे ज्यादा चर्चित रहा है, वे हैं अर्जेंटीना के डिएगो माराडोना। इस खिलाड़ी ने न केवल 1978 के बाद 1986 में हैंड्स आफ गाड से दूसरी बार अपने देश को विश्व कप दिलावाया। अपने खेल के दम पर पेले के बाद दुनिया में फुटबाल को लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचा दिया। अपने देश में माराडोना उस समय देवता की तरह पूज्य हो गए।

लेकिन इसी देवता ने 1994 में कोकिन सेवन का दोषी बनकर अपने देश को नीचा दिखा दिया। कुछ समय के लिए इस सितारे की चमक फीकी पड़ गई। उसके बाद वापस फुटबाल जगत में एक सभ्य व्यक्ति बतौर पहचान बनाई। 30 अक्तूबर 1960 को पैदा हुए माराडोना ने 91 मैचों में 34 गोल अपने देश के लिए किए।

फुटबाल का हीरो रोनाल्डो

पेले और माराडोना के बाद सर्वाधिक चर्चा में कोई खिलाड़ी रहा है, वे हैं ब्राजील के रोनाल्डो। रोनाल्डो 1998 में फ्रांस विश्व कप में हीरो बनकर आए। अपनी टीम को फाइनल तक ले गए। खिताबी मुकाबले में रोनाल्डो का खेल देखने के लिए पूरी दुनिया में अरबों लोग बैताब थे। लेकिन खिताबी मुकाबले से पहले की रात्रि को रोनाल्डो की तबीयत बिगड़ गई। उसके बाद फाइनल में फ्रांस के सामने रोनाल्डो पूरी तरह से विफल रहे।

ब्राजील की जगह फ्रांस विश्व विजेता बन गया। चार साल बाद 2002 में एक बार फिर रोनाल्डो ब्राजील के लिए हीरो बनकर आए। इस बार इन्होंने अपने चहेतों को निराश नहीं किया। अपनी टीम को फिर से खिताबी मुकाबले तक ले गए। खिताबी मुकाबले में जर्मनी को 2-0 से हराकर ब्राजील को पांचवीं बार विश्व विजेता बना दिया। यह दोनों गोल रोनाल्डो ने ही किए। एकबार फिर से रोनाल्डो फुटबाल प्रेमियों के दिलों में बस गए।

फ्रांस के दिग्गज माइकल प्लेटिनी व जिनेडिन जिडान

फ्रांस के इस खिलाड़ी ने अपने समय में फ्रांस को विश्व कप भले ही न दिलाया हो। विश्व फुटबाल जगत में अपने खेल से इसने सबको प्रभावित किया। इस खिलाड़ी का छकाने और गोल करने के बेहतरीन तरीके ने फुटबाल प्रेमियों को सदैव आकर्षित किया। 1978 में 23 साल की उम्र में पहला विश्व कप खेला। माइकल ने फ्रांस के लिए 72 मैच खेले जिसमें 49 में वे कप्तान रहे। इन्होंने देश के लिए 41 गोल किए।

फ्रांस को अपनी मेजबानी में 1998 में पहली बार विश्व विजेता बनाने में जिडान का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। जिडान ने पूरी प्रतियोगिता में अपने खेल से सबको रोमांचित किया। फाइनल में भी फ्रांस की जीत में जिडान ने शानदार गोल किए। फुटबाल प्रेमियों की जुबान पर जिडान का नाम घुलमिल गया। जिडान अपने देश को 2002 के विश्व कप में पहले दौर से आगे नहीं बढ़ा पाए। लेकिन 2006 में अपनी टीम को फाइनल तक ले जाने के बावजूद खिताबी मुकाबले में इटली को परास्त नहीं कर पाए।