साल 2022 की शुरुआत से पहले बहुत कम क्रिकेट फैंस राज अंगद बावा (Raj Angad Bawa) के नाम से परिचित रहे होंगे। हालांकि, भारत के अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतने के बाद उनकी जुबान पर यह नाम रट गया होगा। हो भी क्यों ना? राज बावा ने काम ही ऐसा किया है।

राज बावा ने इंग्लैंड के खिलाफ फाइनल में 31 रन देकर 5 विकेट झटक इतिहास रचा। हालांकि, मध्यक्रम के बल्लेबाज से ऑलराउंडर राज अंगद बावा बनने की कहानी रोचक है, क्योंकि उनके पिता ने एक समय राज को 5 साल के लिए तेज गेंदबाजी करने से प्रतिबंधित कर दिया था।

राज बावा के नाम अंडर-19 वर्ल्ड कप फाइनल में सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी प्रदर्शन का रिकॉर्ड दर्ज हो गया है। राज बावा से पहले यह रिकॉर्ड पाकिस्तान के अनवर अली के नाम पर था। अनवर अली ने 2006 में भारत के खिलाफ फाइनल में 35 रन देकर 5 विकेट हासिल किए थे।

यही नहीं, राज ने फाइनल में बल्लेबाजी में भी जलवा बिखेरा। उन्होंने 35 रन बनाए। राज बावा ने 2022 अंडर-19 वर्ल्ड कप 6 मैच में 63 के औसत से 252 रन बनाए। इसमें उनका एक शतक भी है। उनका उच्चतम स्कोर नाबाद 162 रन रहा। वह टूर्नामेंट के किसी एक मैच में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज भी बने।

राज बावा को खेल विरासत में मिला है। उनके दादा त्रलोचन सिंह बावा (Tarlochan Singh Bawa) 1948 लंदन ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे। राज बावा के पिता सुखविंदर बावा (Sukhwinder Bawa) भी 1988 अंडर-19 वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम में चुने गए थे, लेकिन चोट के कारण उनका क्रिकेट करियर ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाया।

हालांकि, भारत के 2000 अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतने के बाद भी सुखविंदर सुर्खियों में थे, क्योंकि उनके शिष्य और टीम इंडिया पूर्व ऑलराउंडर युवराज सिंह प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुने गए थे। अब एक बार फिर उनके फोन की घंटी लगातार बज रही है। फोन का इनबाक्स संदेशों से भर गया है। लेकिन सुखविंदर बहुत ज्यादा अभिभूत नहीं हैं।

वह कहते हैं, ‘मुझे ‘Deja Vu’ हो रहा है।’ ‘Deja Vu’ एक फ्रेंच शब्द है जिसका मतलब होता है कि ‘पहले भी महसूस हो चुका है।’ उन्होंने भारी आवाज में इंडिनय एक्सप्रेस को बताया, ‘उस समय, यह एक ‘Adrenaline Rush’ था। अभी ऐसा लगा रहा की यार ये सब देख चुका हूं। हां, मैं थोड़ा भावुक हूं, क्योंकि राज मेरा बेटा है।’

सुखविंदर ने पांच साल के लिए राज बावा को तेज गेंदबाजी करने से पूरी तरह मना कर दिया था। सुखविंदर का ध्यान अपने बेटे की बल्लेबाजी पर ज्यादा था। राज अंगद बावा शुरुआत में मध्यक्रम के बल्लेबाज थे, जो ऑफ स्पिन गेंदबाजी करते थे। सुखविंदर ने बताया, ‘तेज गेंदबाजी तो उसके DNA में है। उसने गुरुग्राम में एक अंडर-12 मैच में पांच विकेट लिए। यही वह क्षण था जब मैंने उससे कहा था कि अब तुम्हें बल्लेबाजी पर अधिक ध्यान देना चाहिए।’

सुखविंदर की इस जिद के पीछे का कारण यह था कि वह कभी नहीं चाहते थे कि उनका बेटा टेलेंडर बने। उन्होंने कहा, ‘मैं चाहता था कि वह एक प्रॉपर बैट्समैन बने, न कि ऐसा तेज गेंदबाज जो 10 गेंदों का सामना भी नहीं कर सकता। मैंने उसकी बल्लेबाजी पर काम किया। मैंने करीब पांच साल तक उसे कभी भी तेज गेंदबाजी करने की मंजूरी नहीं दी।’

तेज गेंदबाजी के लिए प्यार राज का प्यार तब बढ़ गया जब उनको विजय मर्चेंट ट्रॉफी के लिए पंजाब अंडर-16 टीम में चुना गया। सुखविंदर की ओर से सख्त निर्देश था कि वह अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान दें, लेकिन राज नेट्स पर गेंदबाजी करता था और सभी से इसे गुप्त रखने का अनुरोध करता था।

सुखविंदर ने बताया, ‘जब उसने फिर से तेज गेंदबाजी शुरू की थी, तो मुझे पहले दिन से ही पता था। बाप हूं उसका। हालांकि, मैंने उसे एक शब्द भी नहीं कहा, क्योंकि वह रन बना रहा था।’ सुखविंदर बावा अपने प्रशिक्षुओं के बीच अनुशासन के लिए जाने जाते हैं।

सुखविंदर के प्रशिक्षुओं में से एक अर्सलान खान ने कहा, ‘बावा सर कभी भी अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं करते, चाहे मैं हो या राज। जब कोई प्रशिक्षण के लिए देर से आता है तो उन्हें नफरत होती है।’

अर्सलान ने बताया, ‘वह हमेशा हमसे कहेंगे कि अगर आप खेल का सम्मान नहीं कर सकते हैं, तो इसे खेलना बंद कर दें। घर में वह हम सबके लिए पिता थे, हमारे आहार का ध्यान रखते थे, जब हमारी मांसपेशियों में क्रैम्प आ जाता था तो वह हमारी मदद करते थे, लेकिन मैदान पर वह सख्त हैं।’