दिल्ली उच्च न्यायालय ने नाम गिनाकर प्रभावित करने को लेकर नाराजगी व्यक्त करते हुए सोमवार (25 अगस्त) को गौतम गंभीर फाउंडेशन (GGF) और उसके सदस्यों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया। इस फाउंडेशन के सदस्यों में भारतीय टीम के मुख्य गौतम गंभीर के अलावा उनकी पत्नी नताशा गंभीर और मां सीमा गंभीर शामिल हैं। मामला कोरोना महामारी के दौरान 21 में बगैर लाइसेंस के दवा वितरण से जुड़ा है।

सितंबर 2021 में, हाईकोर्ट ने दिल्ली के औषधि नियंत्रण विभाग (Drugs Control Department) द्वारा गौतम गंभीर फाउंडेशन के खिलाफ रोहिणी कोर्ट में दायर एक आपराधिक शिकायत की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम (Drugs and Cosmetics Act) के तहत दायर इस शिकायत में दिल्ली में महामारी की दूसरी लहर के दौरान फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक मेडिकल कैंप के दौरान कोविड दवा के अनधिकृत भंडारण और वितरण का आरोप लगाया गया था।

ऑक्सीजन-दवाओं के भंडारण या वितरण का लाइसेंस नहीं था

शिकायत में जीजीएफ के ट्रस्टी तत्कालीन भाजपा सांसद गौतम गंभीर, उनकी पत्नी नताशा गंभीर,उनकी मां सीमा गंभीर और सीईओ अपराजिता सिंह को भी आरोपी बनाया गया था। औषधि नियंत्रण विभाग ने आरोप लगाया था कि जीजीएफ के पास मेडिकल ऑक्सीजन सहित दवाओं के भंडारण या वितरण का लाइसेंस नहीं था। इससे औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 और नियमों (Drugs & Cosmetics Act, 1940 & Rules) के प्रावधानों का उल्लंघन हुआ।

प्रायोजक के हटने से BCCI को होगा 119 करोड़ का नुकसान, क्या ड्रीम 11 को भरना पड़ेगा जुर्माना

हाईकोर्ट में अगली सुनवाई तक संरक्षण की मांग

आरोपी के वकील ने इस साल स्थगन की मांग की थी। 9 अप्रैल को एक आदेश में न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने अंतरिम रोक हटा दी थी और मामले को आगे की बहस के लिए 26 नवंबर को उच्च न्यायालय के समक्ष सूचीबद्ध किया था। सोमवार को रोक को बहाल करने की मांग करते हुए फाउंडेशन और उसके ट्रस्टियों के वकील जय अनंत देहाद्राय ने बताया कि ट्रायल कोर्ट के समक्ष अगली तारीख अब 8 सितंबर है। उन्होंने अनुरोध किया कि आरोपियों को तब तक संरक्षण दिया जाए जब तक कि हाईकोर्ट नवंबर में मामले की अगली सुनवाई नहीं कर लेता।

गौतम गंभीर की ओर से क्या कहा गया?

गंभीर का जिक्र करते हुए देहाद्राय ने दलील दी, “कृपया देखें कि मैं कौन हूं, मैं भारतीय टीम का पूर्व कप्तान हूं, पूर्व सांसद हूँ… कथित अपराध यह है कि मैंने अपने फाउंडेशन के जरिए कोविड-19 के दौरान चैरिटबल उद्देश्यों के लिए दवाइयां बांटीं। अगर (कार्यवाही) नहीं रोकी गई, तो मेरी पत्नी और बुज़ुर्ग मां को (ट्रायल कोर्ट द्वारा) तलब किया जाएगा। उन्हें चैरिटवल काम के लिए समन किया जाएगा। उस समय दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई थी, मैं दवाइयां और ऑक्सीजन मुहैया करा रहा था। कम से कम इसे ध्यान देना चाहिए?”

अप्रासंगिक बातों से प्रभावित करने की कोशिश मत कीजिए

इस पर जस्टिस कृष्णा ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा,”और आप दोषमुक्त हो जाएं? हमें अप्रासंगिक बातों से प्रभावित करने की कोशिश मत कीजिए। नाम गिनाने की कोशिश ऐसे कर रहे हैं जैसे इससे अदालत में काम चल जाएगा। यह काम नहीं आता। यह बताने के बजाय कि (दवाएं बांटने का) कोई लाइसेंस नहीं था आप ए बी सी डी पढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।”

मामले पर 29 अगस्त को सुनवाई

न्यायमूर्ति कृष्णा ने यह भी बताया कि वह आदेश पारित होने के चार महीने बाद भी स्थगन की बहाली की मांग कर रहे हैं। स्थगन बहाल करने से इन्कार करते हुए अदालत ने अब मामले पर 29 अगस्त को सुनवाई करेगा। जीजीएफ, गंभीर और अन्य आरोपी मजिस्ट्रेट अदालत में सीआरपीसी की धारा 200 के तहत दायर शिकायत को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।

क्या है मामला

मई 2021 में भाजपा ने दिल्ली पुलिस को दिए एक बयान में कहा था कि उस वर्ष 22 अप्रैल से 7 मई तक जीजीएफ ने जागृति एन्क्लेव में कोविड से पीड़ित लोगों की सहायता के लिए एक निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया था। दिल्ली पुलिस ने मामले दो जांच शुरू की थीं। इनमें से एक में क्लीन चिट दे दी गई थी। हालांकि, तत्कालिन दिल्ली सरकार ने अपने औषधि निरीक्षक के माध्यम से इस घटना के संबंध में मजिस्ट्रेट अदालत में शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें फैबीफ्लू और ऑक्सीजन जैसी कोविड दवाओं के अवैध वितरण का आरोप लगाया गया था।