भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड में प्रशासकों की समिति (CoA) के पूर्व प्रमुख विनोद राय ने कहा है कि टीम इंडिया के पूर्व कप्तान विराट कोहली और पूर्व मुख्य कोच अनिल कुंबले के बीच मतभेद नहीं था। उनके पास न तो कोई ऐसी जानकारी दी और न ही उन्होंने ऐसा कुछ लिखा है। सुप्रीम कोर्ट की ओर गठित समिति लगभग तीन सालों तक भारतीय क्रिकेट को चलाई। राय ने Not Just a Nightwatchman — My Innings in the BCCI नाम की एक किताब लिखी है। इसमें उन्होंने कोहली और कुंबले समेत इंडियन क्रिकेट से जुड़े कई मुद्दों के बारे में लिखा है।
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए राय ने कहा, “यह कहना सही नहीं है कि विराट कोहली और अनिल कुंबले के बीच मतभेद था। उनके बीच कोई मतभेद नहीं था। मैंने केवल इतना लिखा है कि जब अनिल कुंबले के अनुबंध को रीन्यू करने का समय आया, तो हमने टीम से परामर्श किया और फिर विराट ने कहा कि टीम के जूनियर सदस्य अनिल कुंबले से उनके अनुशासन के कारण भयभीत महसूस करते हैं। कुंबले और कोहली में मतभेद जैसा कुछ नहीं था। न तो मुझे ऐसी कोई जानकारी थी और न ही मैंने ऐसा कुछ लिखा है।”
विनोद राय ने यह भी स्पष्ट किया कि कोच के चयन का निर्णय उनकी जिम्मेदारी नहीं थी बल्कि यह क्रिकेट सलाहकार समिति (CAC) का काम था। विनोद राय ने कहा “बोर्ड ने विराट कोहली को समझाने की कोशिश की, लेकिन कोच का चयन क्रिकेट की सलाहकार समिति (CAC) करती है। सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण की समिति ने पहले अनिल कुंबले को ही कोच के रूप में चुना था।”
jराय ने आगे कहा, “मैंने यह बात किताब में लिखी है कि जब सीएसी कोच का चयन कर रही थी कि तो हमने कहा था कि आप लोग टीम और कोच से बात करें क्योंकि हम बाहरी है। सचिन, सौरव और वीवीएस जैसे सीनियर खिलाड़ी अगर खिलाड़ियों से बात करते हैं तो प्रभाव अलग होता है और अगर हम बोलते हैं, तो यह ज्यादा प्रभावी नहीं होता। इसलिए, इन तीनों ने कप्तान और कोच से बात की।”
राय ने आगे कहा, ” इसमें कोई शक नहीं है कि कुंबले एक अच्छे कोच थे, हमें अनिल कुंबले से बेहतर कोच नहीं मिल सकता था और इसीलिए कुंबले को चुना गया। एकमात्र दुर्भाग्य यह था कि कुंबले को केवल एक साल का अनुबंध मिला और मैंने सिर्फ इतना कहा कि सीएसी ने भी अनिल कुंबले को फिर से चुना, लेकिन कुंबले और कोहली के बीच कोई समस्या नहीं थी। हमारे संज्ञान में ऐसा कुछ नहीं आया। मैंने किताब में लिखा है कि यह बात हमारे संज्ञान में अप्रैल में आई और हमने 30 जनवरी को कार्यभार संभाला। इसलिए, हमें दो महीने के अंतराल में इसे देखने का मौका नहीं मिला।”
