बात चाहें महेंद्र सिंह धोनी के क्रिकेट करियर की हो या फिर मोहम्मद शमी भी भारतीय क्रिकेट टीम में वापसी की, हर मामले में यो—यो टेस्ट अहम भूमिका निभा रहा है। इस टेस्ट ने कई खिलाड़ियों के करियर में अहम रोल निभाया है। हालांकि महान क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंडुलकर का मानना है कि ये किसी भी खिलाड़ी के टीम में चयन का आधार नहीं हो सकता है।

तेंडुलकर को लगता है कि क्रिकेट खिलाड़ियों की फिटनेस का स्टैंडर्ड बरकरार रहना चाहिए। लेकिन योग्यता के अन्य पैमानों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा,”मुझे लगता है कि मैदान में क्षेत्ररक्षण के मानक बेहद कठिन हैं। अब मैं यो—यो टेस्ट नहीं ले सकता। लेकिन हम बीप टेस्ट जरूर लिया करते थे, जो थोड़ा या बहुत यो—यो टेस्ट के जैसा ही होता था। लेकिन ये इकलौता पैमाना नहीं माना जाना चाहिए। ये फिटनेस और खिलाड़ी की काबिलियत का पैमाना जरूर हो सकता है। मुझे लगता है कि यो—यो टेस्ट महत्वपूर्ण है लेकिन खिलाड़ी की योग्यता को नजरअंदाज करके ये तय नहीं किया जा सकता है कि खिलाड़ी कितना फिट या फिर अनफिट है।

शमी को हाल ही में अफगानिस्तान के खिलाफ खेले जा रहे टेस्ट मैच में ड्रॉप कर दिया गया था। वह जनवरी में जोहान्सबर्ग में खेले गए अंतरराष्ट्रीय मुकाबले के बाद से मैदान में नहीं उतर पाए हैं। लेकिन उनका नाम इंग्लैंड के खिलाफ होने जा रहे टेस्ट मैचों की श्र्ंखला की 18 सदस्यीय टीम में जरूर शामिल किया गया है। इसी तरह खराब फॉर्म से जूझ रहे धोनी पर भी निगाहें बनी रहेंगी। हालांकि उनकी फिटनेस और अनुभव को देखते हुए टीम में उनकी जगह पर कोई संकट नहीं है।

यो-यो टेस्ट की कीमत अंबाती रायुडू और संजू सैमसन को राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में अपनी जगह से चुकानी पड़ी है। ये हालात तब थे जब दोनों ही खिलाड़ी फॉर्म में थे और इंडियन प्रीमियर लीग में बेहतरीन प्रदर्शन कर चुके थे। रायुडू ने तीन अर्ध शतक और एक शतक मारकर चेन्नई सुपर किंग्स को तीसरा आईपीएल खिताब दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी।