बीसीसीआइ ने शुक्रवार को सर्वसम्मति से फैसला किया कि क्रिकेट बोर्ड के ढांचे को लेकर जस्टिस लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने में होने वाली ‘कठिनाइयों और असंगतियों’ को लेकर वह न्यायालय में हलफनामा दाखिल करेगा। बीसीसीआइ की आमसभा की विशेष बैठक में यह तय किया गया कि बोर्ड की ओर से न्यायालय में हलफनामा सचिव अनुराग ठाकुर दाखिल करेंगे।
लोढ़ा समिति ने बीसीसीआइ में व्यापक बदलावों का सुझाव दिया है जिसमें प्रति राज्य एक वोट, अधिकारियों की आयुसीमा, राज्य और राष्ट्रीय इकाई में एक साथ पद नहीं, प्रसारित क्रिकेट मैचों में विज्ञापनों का समय सीमित करना शामिल है। बीसीसीआइ ने बैठक के बाद जारी बयान में कहा , सदस्यों ने बोर्ड के मानद सचिव को बीसीसीआइ की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दाखिल करने के अधिकृत किया है। इसमें बताया जाएगा कि माननीय जस्टिस लोढ़ा समिति के सुझावों को लागू करने में क्या दिक्कतें और असंगतियां हैं। समझा जाता है कि बीसीसीआइ ने राज्य संघों से कहा है कि वे इस बारे में अलग हलफनामा दाखिल कर सकते हैं।
गौरतलब है कि लोढ़ा समिति की ‘एक राज्य एक वोट’ सिफारिश के मायने हैं कि मुंबई और बड़ौदा जैसी क्रिकेट की महाशक्तियों के मतदान अधिकार चले जाएंगे, वहीं 70 बरस से अधिक उम्र को पदाधिकारी नहीं बनाना और दो कार्यकाल के बीच तीन साल के ब्रेक का जिक्र भी हलफनामे में होगा। राज्य और बीसीसीआइ में एक समय पर साथ में पद नहीं रखने के सुझाव का असर सचिव अनुराग ठाकुर, कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी और संयुक्त सचिव अमिताभ चौधरी को प्रभावित करेगा। लोढ़ा समिति ने आॅफ सीजन के दौरान क्रिकेट स्टेडियमों में अन्य खेलों के आयोजन का सुझाव भी दिया है। लेकिन बीसीसीआइ का मानना है कि यह संभव नहीं है। सबसे अहम मसला अंतरराष्ट्रीय मैचों में लंच या चाय के बीच ही विज्ञापन ब्रेक लेने का है जिससे बीसीसीआइ के राजस्व में करीब 1500 करोड़ रुपए की कटौती होगी। कार्यसमिति ने अध्यक्ष और सचिव को सीईओ और सीएफओ की नियुक्ति के लिए एजंसी की सेवाएं लेने के लिए भी अधिकृत किया है।