आकाश चोपड़ा के अनुसार अगर रोहित शर्मा की गैरमौजूदगी में जसप्रीत बुमराह को इंग्लैंड के खिलाफ पांचवें और अंतिम टेस्ट में टीम इंडिया की कप्तानी करना का मौका मिलता है तो यह इस तेज गेंदबाजी के लिए बहुत बड़े सम्मान की बात होगी। इसके साथ ही पूर्व भारतीय ओपनर ने यह भी बताया कि आखिर क्यों तेज गेंदबाजों को कप्तान बनाने से परहेज किया जाता है।
एजबेस्टन टेस्ट से पहले टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा ने लीसेस्टरशायर के खिलाफ अभ्यास मैच के दौरान कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। अगर अनुभवी ओपनर बल्लेबाज खेलने के लिए समय पर स्वस्थ नहीं हो पाते हैं तो बुमराह टीम इंडिया की कमान संभालेंगे। अपने यूट्यूब चैनल पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में आकाश चोपड़ा ने बुमराह के कप्तान बनाने पर अपनी राय दी।
चोपड़ा ने कहा, ” जसप्रीत बुमराह का एजबेस्टन टेस्ट में कप्तानी करना बहुत बड़ी बात होगी। यह बहुत बड़ा सम्मान है। बहुत से लोग पूछते हैं कि एक गेंदबाज कप्तान क्यों नहीं हो सकता? क्या गेंदबाजों के पास रणनीति बनाने लायक दिमाग नहीं होता? ” क्रिकेटर से कमेंटेटर बने चोपड़ा ने इस विचार का खंडन किया कि गेंदबाज किसी टीम का अच्छी तरह से नेतृत्व नहीं कर सकते।
चोपड़ा ने कहा, ” उनका दिमाग बल्लेबाजों की तुलना में अधिक काम करता है। उनके पास अलग-अलग बल्लेबाजों को पढ़ने की क्षमता होती है, वर्कलोड मैनेजमेंट और कौन सी लाइन गेंदबाजी करनी है इसके बारे में सोचना बहुत ही बुद्धिमान काम है। इसलिए ऐसा नहीं है कि गेंदबाज अच्छे कप्तान नहीं बन सकते।” एक टेस्ट मैच में टीम इंडिया की कप्तानी करने वाले आखिरी गेंदबाज अनिल कुंबले थे। बुमराह अगर इंग्लैंड के खिलाफ आखिरी टेस्ट में कप्तानी संभालते हैं तो वह कपिल देव के बाद भारतीय टीम की अगुवाई करने वाले पहले तेज गेंदबाज होंगे।
आकाश चोपड़ा ने जोर देकर कहा कि गेंदबाजों को अपने ओवरों को नियंत्रित करने का कठिन निर्णय लेना चाहिए। उन्होंने कहा, “गेंदबाजों के कप्तान नहीं बन पाने के कई कारण हैं। एक बड़ी वजह ये भी है कि वो अपने ओवरों को ठीक से मैनेज नहीं कर पाते हैं। यह एक बहुत बड़ी समस्या है। आप खुद को कब गेंदबाजी करने के लिए लाते हैं? यह एक सवाल है और फिर दूसरा सवाल है कि आप कितनी देर तक गेंदबाजी करना चाहते हैं, जिसे समझना बहुत मुश्किल है। आप निष्पक्ष होना चाहते हैं, आप तटस्थ रहना चाहते हैं। आप सोचते हैं कि आपकी टीम के लिए सबसे बेहतर क्या है, लेकिन आप यह भी सोचते हैं कि कोई यह नहीं सोचना चाहिए कि आप अपने अधिकार का दुरुपयोग कर रहे हैं।”