आत्माराम भाटी
फुटबाल का विश्व कप इस साल 21 नवंबर से 18 दिसंबर तक की मेजबानी में होगा। फुटबाल की सर्वोच्च संस्था फीफा यह टूर्नामेंट हर चार साल में एक बार कराती है। इसके आयोजन से एक साल पहले इसे लेकर दो मुद्दे जोर-शोर से चर्चा में हैं। पहला मुद्दा है…इसके आयोजन की अवधि और दूसरा है …हाफ टाइम के समय को बढ़ाकर प्रशंसकों के लिए और ज्यादा मनोरंजन करना।
बात करें पहले मुद्दे कि तो फीफा विश्व कप के आयोजन की अवधि को चार साल की बजाय हर दो साल में कराने की योजना पर विचार कर रहा है। इसके लिए 20 दिसंबर को फीफा अध्यक्ष ने संस्था के सभी 211 सदस्यों की बैठक की।इस योजना के पीछे जो मुख्य तर्क दिया गया वह यह कि हर दो साल में इसका आयोजन होगा तो फीफा को इससे तीन खरब से ज्यादा रुपए का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। साथ ही यह खेल और नई बुलन्दियों पर पहुंचेगा। दुनिया के ज्यादा से ज्यादा खेल प्रेमी इसके रोमांच और आकर्षण से चार साल के लंबे अतंराल की बजाय दो साल में रूबरू होंगे।
फुटबाल के गढ़ यूरोप के देशों की संस्था यूनियन आफ योरोपियन फुटबाल एसोसिएशन (यूएफा) और दक्षिणी अमेरिकी फुटबाल की संचालन समिति (कानमेबाल) ने इस योजना का विरोध करते हुए टूर्नामेंट के बहिष्कार की धमकी दे डाली। दूसरी ओर यूरोप और दक्षिणी अमेरिकी देशों के अलावा अन्य फुटबाल खेलने वाले देशों ने फीफा के इस प्रस्ताव के समर्थन में अपनी राय दी। इस कदम को फुटबाल के विकास के लिए सराहनीय सुझाव कहा। एक सर्वे में एशिया के तो 85 फीसद फुटबाल प्रशंसकों ने इस योजना की तरफदारी की।
इसका प्रमाण पिछले दिनों ग्लोबल फुटबाल अवार्ड समारोह 2021 में देखने को मिला जब 2021 में प्लेयर आफ द ईयर का अवार्ड जितने वाले पीएसजी के प्रमुख फारवर्ड खिलाड़ी एम्बापे और फैन आफ द ईयर अवार्ड और माराडोना अवार्ड जीतने वाले बायर्न म्यूनिख के स्ट्राइकर राबर्ट लेवांडोसकी ने फीफा की इस योजना पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कहा कि अगर चार की बजाय दो साल में विश्व कप का आयोजन हुआ तो न केवल खेल की गुणवत्ता पर इसका असर होगा बल्कि खिलाड़ी भी मानसिक व शारीरिक रूप से थकान महसूस करेंगे।
सबसे बड़ी बात फीफा के इस प्रस्ताव के समर्थन में यह नजर आई कि भविष्य के फुटबाल के बारे में जब 140 देशों के एक लाख से ज्यादा फुटबाल प्रेमियों से राय ली गई जिनमें पुरुष व महिला शामिल हैं इनमें 64 फीसद प्रशंसकों ने कहा कि वे दो साल में विश्व कप चाहते हैं। इनमें भी युवा वर्ग ने ज्यादा दिलचस्पी दिखाई।
निश्चित रूप से फीफा अध्यक्ष जियानी इंफेंटिनो यूरोपीय व दक्षिणी अमेरिकी देशों की नाराजगी के बीच दुनिया के अन्य देशों व फुटबाल प्रशंसकों का साथ मिलने से खुश हैं। लेकिन अध्यक्ष ने यह कहकर एक बार विरोधियों को शांत करने का प्रयास किया है कि वे अंतरराष्ट्रीय कैलेंडर में विंडो देखकर ही फैसला लेंगे।
बात करते हैं दूसरे मुद्दे की जो हाफ टाइम का समय बढ़ाने को लेकर है। जब अन्य खेलों में दर्शकों का ज्यादा से ज्यादा मनोरंजन करने के साथ व्यावसायिक कमाई के लिए स्ट्रेट्रैजिक टाइम आउट का उपयोग किया जा रहा है तो फुटबाल में ऐसा करने में क्या दिक्कत है। यह कहना है फीफा और फुटबाल के नियम बनाने वाली संस्था इंटरनेशनल फुटबाल एसोसियेशन बोर्ड (आइएफबी) का। फीफा आइएफबी फुटबाल की साउथ अमेरिकन गवर्निंग बाडी के इस सुझाव पर विचार करना चाहती है कि भविष्य में फुटबाल में ज्यादा रोचकता और आकर्षण के साथ आमदनी बढ़ाने के लिए कुछ नया करने की जरूरत भी है।
इसके लिए एक अच्छा विकल्प यह है कि मैचों में हाफ टाइम 15 मिनट की बजाय 25 मिनट कर दिया जाए। लेकिन आइएफबी पैनल के कई सदस्य, खिलाड़ी तथा जानकार दर्शकों के मनोरंजन के इस प्रस्ताव से सहमत तो नजर आए, लेकिन साथ में यह चिंता जाहिर कि इससे खिलाड़ियों को चोट लगने का खतरा ज्यादा बढ़ जाएगा क्योंकि 25 मिनट के लंबे अंतराल से उनका शरीर ठंडा और सुस्त हो जाएगा। दूसरी चिंता यह भी जाहिर की कि इससे खेल में व्यवसायीकरण बढ़ जाएगा जो सही नहीं है।
