हाल ही में क्रिकेट को अलविदा कहने वाले वीरेंद्र सहवाग का गुरुवार को फिरोजशाह कोटला मैदान में बीसीसीआई की ओर से सम्‍मान किया गया। इस मौके पर उन्‍होंने उन सभी कप्‍तानों का शुक्रिया कहा, जिनकी टीम में वह खेले। लेकिन महेंद्र सिंह धोनी का नाम उन्‍होंने नहीं लिया। धोनी की कप्‍तानी में सहवाग ने 2007 का टी-20 वर्ल्‍ड कप और 2011 का अंतरराष्‍ट्रीय विश्‍व कप जीता था। सहवाग ने अपने पहले टेस्ट शतक को सबसे यादगार पल बताया। साथ ही, यह भी कहा कि अपने शानदार कैरियर में दो बार तिहरा शतक जड़ने के बावजूद 400 रन तक नहीं पहुंच पाने का उन्हें मलाल है।

सहवाग ने कहा, ‘मेरा सबसे यादगार पल मेरा पहला टेस्ट शतक है क्योंकि जब मैने खेलना शुरू किया तब सभी कहते थे कि सहवाग वनडे क्रिकेट का बल्लेबाज है लेकिन मैंने सोचा कि यदि मैंने चार दिन के रणजी मैचों में इतने रन बनाये हैं तो मुझे टेस्ट खेलने का मौका भी मिलना चाहिये। जब मुझे मौका मिला तो मैं काफी रोमांचित था।
यही वजह है कि मैने जब टेस्ट क्रिकेट में पहला शतक जमाया तो वह मेरे लिये सबसे यादगार पल बन गया।’ यह पूछने पर कि वह करिअर में और क्या हासिल कर सकते थे, सहवाग ने कहा, ‘शायद मैं 400 रन बनाकर ब्रायन लारा का रिकार्ड तोड़ सकता था।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि मैं 400 रन बना सकता था लेकिन मैं 319 रन बनाकर ऑउट हो गया।’

बीच सहवाग ने कहा कि उन्होंने अपनी शैली कभी नहीं बदली, टेस्ट क्रिकेट में भी नहीं। उन्होंने कहा, ‘मैं मैच से पहले काफी तैयारी करता था। मैं गेंदबाजों को पढ़ने की कोशिश करता। उनकी इनस्विंगर और ऑउटस्विंगर देखकर तैयारी करता। इसके बाद मैदान पर आता तो सीधे उनकी गेंदों की पिटाई शुरू कर देता। मैंने अपनी शैली कभी नहीं बदली और पूरे कैरियर में ऐसा ही खेलता रहा।’ सहवाग ने बताया कि यदि उनके बेटों में से कोई किसी भी स्तर पर उनका 319 रन का रिकार्ड तोड़ता है तो वह उसे पुरानी फेरारी तोहफे में देंगे। उन्होंने कहा ,‘‘ यदि मेरे बेटों में से कोई मेरा रिकार्ड तोड़ता है तो उसे पुरानी फेरारी दूंगा । किसी भी स्तर पर दोनों में से कोई भी तोड़ेगा तो उसे यह तोहफा मिलेगा ।’’

सम्मान समारोह के दौरान सहवाग ने पूर्व भारतीय कप्तानों, सचिन तेंदुलकर, अनिल कुम्बले, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ को थैंक्यू बोला। इसके बाद सहवाग ने बीसीसीआई, अपने पहले कोच एएन शर्मा और अपने चाहने वालों का भी शुक्रिया अदा किया। लेकिन नहीं लिया तो महेंद्र सिंह धोनी का नाम, जिनकी कप्तानी में वो 6 साल तक खेले।

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