बीसीसीआइ की सोमवार को यहां होने वाले 86वीं वार्षिक आम बैठक (एजीएम) के एजंडे में बोर्ड की छवि में सुधार करने के लिए लोकपाल की नियुक्ति सहित अन्य सुधारवादी कदम और आइसीसी चेयरमैन के रूप में पूर्व प्रमुख एन श्रीनिवासन के भविष्य पर चर्चा जैसे मुद्दे शामिल रहेंगे।

लोकपाल या नैतिक अधिकारी की नियुक्ति उन अहम बदलावों में शामिल है जिसका प्रस्ताव बीसीसीआइ के ‘मेमोरेंडम आफ रूल्स एंड रेगुलेशन’ में रखा गया है और एजीएम में इस पर चर्चा होगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त न्यायमूर्ति लोढ़ा समिति संचालन में सुधार को लेकर जल्द ही सिफारिश दे सकती है और इसे देखते हुए बोर्ड के सदस्य लोकपाल या नैतिक अधिकारी की नियुक्ति का रास्ता साफ करने की तैयारी कर चुके हैं जिसकी घोषणा शशांक मनोहर ने पिछले महीने बीसीसीआइ अध्यक्ष पद पर दोबारा चुने जाने के दौरान की थी। एजीएम में जिस प्रस्ताव पर चर्चा ही जाएगी उसके मुताबिक लोकपाल की नियुक्ति किसी भी प्रशासक के खिलाफ हितों का टकराव, अनुशासनहीनता या दुर्व्यवहार या बोर्ड के नियमों के उल्लंघन की शिकायत से निपटने के लिए की जाएगी। हितों के टकराव को लेकर न्यायालय के कड़े रुख को देखते हुए एजीएम के दौरान इससे निपटने के लिए कड़े नियम तैयार किए जाने की उम्मीद है। इससे पहले सितंबर में होने वाली एजीएम को एक महीने से भी अधिक समय तक स्थगित करना पड़ा था।

यह देखना भी रोचक होगा कि बीसीसीआइ की आम सभा में उसके पूर्व अध्यक्ष और तमिलनाडु के अनुभवी प्रशासक एन श्रीनिवासन को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद में बीसीसीआइ के प्रतिनिधि के रूप में बरकरार रखा जाता है या नहीं। हाल में इस तरह की खबरें आई हैं कि बीसीसीआइ आइसीसी में अपने नामित को बदलकर जून में होने वाली वैश्विक संचालन संस्था की अगली वार्षिक कांफ्रेंस तक मनोहर को नया चेयरमैन नामित कर सकता है। जून में भारत के नामित सदस्य का कार्यकाल पूरा हो जाएगा।

श्रीनिवासन के एजीएम में हिस्सा लेने का कार्यक्रम नहीं है और तमिलनाडु क्रिकेट संघ का प्रतिनिधित्व उपाध्यक्ष पीएस रमन करेंगे। अगर बीसीसीआइ उनकी जगह मनोहर के नाम को आइसीसी के पास भेजता है तो बोर्ड में श्रीनिवासन के दबदबे का पूरी तरह से अंत हो जाएगा। नियमों में बदलाव का एक अहम प्रस्ताव बीसीसीआइ अध्यक्ष के राष्ट्रीय चयन पैनल द्वारा चुनी गई प्रत्येक टीम को स्वीकृति देना भी शामिल है। मौजूदा नियम के मुताबिक अध्यक्ष को चयन समिति द्वारा चुनी गई टीम के संयोजन को स्वीकृति देनी चाहिए जबकि प्रस्तावित नियम के मुताबिक अध्यक्ष को पदाधिकारियों के साथ मिलकर समय समय पर राष्ट्रीय चयन समिति द्वारा चुनी गई टीम के संयोजन को स्वीकृति देनी चाहिए।

एजीएम में नई सीनियर, जूनियर और महिला चयन समिति भी चुनी जाएगी और हितों के टकराव से जुड़े नियमों को कड़े तरीके से लागू करने के प्रस्ताव को देखते हुए संदीप पाटिल की अगुआई वाले सीनियर चयन पैनल से दक्षिण क्षेत्र के प्रतिनिधि रोजर बिन्नी को हटाया जा सकता है क्योंकि उनका बेटा स्टुअर्ट सक्रिय क्रिकेटर है।
आम सभा में आइपीएल की नई संचालन परिषद का भी गठन किया जाएगा जो महत्वपूर्ण उप समिति है। इसके अलावा निलंबित चेन्नई सुपरकिंग्स और राजस्थान रायल्स की जगह आइपीएल नौ और 10 के लिए दो नई टीमों को शामिल करने के लिए खाका भी तैयार किया जाएगा। इसके अलावा प्रत्येक उप समिति में सदस्यों की संख्या को आठ तक सीमित करने का प्रस्ताव है और ऐसे में राजीव शुक्ला की अध्यक्षता वाली आइपीएल संचालन परिषद के सदस्यों की संख्या में भी कटौती की संभावना है। इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिलती है तो आइपीएल संचालन परिषद में भविष्य में पांच बोर्ड के सदस्य होंगे जिनमें से एक अध्यक्ष होगा। इसके अलावा वित्त-प्रशासन की विशेषज्ञता वाले तीन प्रतिष्ठित व्यक्ति और पदेन सदस्यों के रूप में बीसीसीआइ के पदाधिकारी शामिल रहेंगे। आइपीएल के सभी फैसले बहुमत से किए जाते हैं और मत बराबर होने पर अध्यक्ष अपने निर्णायक वोट का इस्तेमाल कर सकता है। संचालन परिषद के पास आइपीएल के लिए अलग खाता होगा जिसका संचालन बीसीसीआइ कोषाध्यक्ष करेंगे।

एक अन्य प्रस्ताव के मुताबिक एजीएम सहित किसी भी बैठक के अध्यक्ष को मतदान का अधिकार नहीं होगा। अभी अध्यक्ष का भी मत होता है। अगर जरूरत पड़ी तो उसके पास निर्णायक मत होगा। उपाध्यक्ष से जुडेÞ प्रस्ताव के मुताबिक किसी क्षेत्र से उपाध्यक्ष का चुनाव लड़ने का पात्र होने के लिए उम्मीदवार को बोर्ड की कम से कम दो वार्षिक आम बैठक में इस क्षेत्र के प्रतिनिधि के तौर पर पूर्ण सदस्य का प्रतिनिधित्व करना चाहिए। फिलहाल उपाध्यक्ष उस क्षेत्र का भी प्रतिनिधित्व कर सकता है जिसका वह हिस्सा नहीं है। इसके अलावा बीसीसीआइ के पूर्ण सदस्यों, एसोसिएट और एफीलिएट सदस्यों के खातों को स्वतंत्र आडिटर से आडिट और स्वतंत्र आडिटर से आडिट रिपोर्ट मिलने के बाद ही बीसीसीआइ द्वारा सदस्यों को लंबित सभी तरह का भुगतान करने का प्रस्ताव भी शामिल है।

इसके अलावा विभिन्न टूर्नामेंटों में प्रतिनिधित्व समाप्त होने के 30 दिन की समयसीमा के भीतर सभी सदस्यों द्वारा खाते की जानकारी जमा कराने का प्रस्ताव भी शामिल है। एक अन्य प्रस्ताव है कि राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी बोर्ड में एक चेयरमैन, प्रत्येक क्षेत्र से एक सदस्य और दो रिटायर्ड क्रिकेटर होने चाहिए जबकि बीसीसीआइ सचिव इसके समंवयक हों। इसके अलावा बीसीसीआइ के नियमों में बदलाव सिर्फ विशेष आम बैठक में करने का प्रस्ताव भी है। फिलहाल विशेष आम बैठक और एजीम दोनों में नियमों में संशोधन किया जा सकता हैं एजीएम के दौरान खातों और सचिव की वार्षिक रिपोर्ट को भी स्वीकृति दी जाएगी। इसके अलावा मान्यता प्राप्त विभिन्न संघों को वार्षिक अनुदान की राशि और सीनियर क्रिकेटरों के केंद्रीय अनुबंध पर भी फैसला किया जाएगा। पता चला है कि चैम्पियन्स लीग टी20 के रद्द होने के बाद बीसीसीआइ को अतिरिक्त राजस्व मिलने से प्रत्येक संघ को 30 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा भारतीय टीम के नए कोच की नियुक्ति की प्रक्रिया पर भी बैठक में विचार किया जा सकता है। यह पद विश्व कप के बाद जिंबाब्वे के डंकन फ्लेचर के जाने के बाद से खाली पड़ा है।