चक दे इंडिया फिल्म बॉलीवुड की सबसे सफल फिल्मों में शामिल हैं। फिल्म में शाहरुख खान का किरदार कबीर खान बहुत लोकप्रिय हुआ था खासतौर पर उनकी ’70 मिनट’ की स्पीच जो कबीर खान ड्रेसिंग रूम में अपनी टीम को देते हैं। इस भाषण के बाद कबीर खान की महिला हॉकी टीम वर्ल्ड चैंपियन बन जाती है। 1951 के एशियन गेम्स में पुरुष फुटबॉल टीम को भी ऐसा भी भाषण मिला था लेकिन उन्हें यह भाषण टीम के कोच नहीं बल्कि उस समय के भारतीय प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दिया था।
दिलचस्प था 1951 एशियन गेम्स में फुटबॉल का फाइनल
एशियन गेम्स की यह पूरी दिलचस्प स्टोरी हम बताते हैं। साल 1951 के एशियन गेम्स का आयोजन भारत में हुआ था। साल 1947 में आजादी हासिल करने के बाद भारत के लिए यह एशियाड काफी अहम थे। भारत को जिन खेलों में गोल्ड मेडल की उम्मीद थे उसमें फुटबॉल भी शामिल था। भारत और इरान के बीच खेला गया फाइनल मुकाबला देश के फुटबॉल इतिहास में खास जगह रखता है।
भारत ने अफगानिस्तान को हराकर बनाई फाइनल में जगह
छह देशों ने फुटबॉल इवेंट के लिए पुरुष टीम भेजी थी। सभी मैच 60 मिनट के थे और दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में खेले गए। जापान और अफगानिस्तान को पहले राउंड में बाई मिला और सीधे सेमीफाइनल में पहुंचे। भारत ने क्वार्टरफाइनल के साथ अपने सफर की शुरुआत की थी। इस मैच में उन्होंने इंडोनेशिया को 3-0 से मात दी थी और सेमीफाइनल में जगह पक्की की। भारतीय टीम को सेमीफाइनल में अफगानिस्तान की चुनौती मिली और यहां भी उसने 3-0 से जीत अपने नाम की।
नेहरू ने ड्रेसिंग रूम में दिया था भाषण
तीन दिन में दो मैच खेलने के बाद भारतीय टीम को फाइनल मैच खेलना था। यहां उनका सामना था इरान से। मैच देखने के लिए प्रधानमंत्री नेहरू और राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद भी स्टेडियम पहुंचे थे। पहले हाफ के बाद स्कोर 0-0 से बराबरी पर था। हाफ टाइम के दौरान पंडित नेहरू ड्रेसिंग रूम में पहुंचे। उन्होंने टीम का हौंसला बढ़ाया। खिलाड़ियों के ऊपर नेहरू के भाषण का काफी असर हुआ।
भारत ने 1-0 से जीता फाइनल मुकाबला
इसके बाद जब टीम मैदान पर उतरी तो उनके अंदर अलग ही जोश था। टीम के स्टार खिलाड़ी मेवालाल ने 34वें मिनट में गोल दागा। यह गोल मैच का इकलौता गोल रहा। भारतीय गोलकीपर बी एंथनी दीवार की तरह खड़े हो गए और इरान को गोल का कोई मौका नहीं दिया। इसके साथ ही भारतीय टीम ने 1-0 से जीत हासिल की। भारत की जीत से पंडित नेहरू की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
मेवालाल के लिए पंडित नेहरू ने किया खास इंतजाम
पूरे टूर्नामेंट में भारत के खिलाफ एक भी गोल नहीं हुआ था। वहीं मेवालाल सबसे ज्यादा तीन गोल करने वाले खिलाड़ी रहे। उन्होंने तीनों ही मुकाबलों में गोल किए थे और टीम इंडिया की जीत के हीरो रहे। मेवालाल के फाइनल मैच खेलने में भी नेहरू को अहम रोल रहा था। मेवालाल के परिवार में कुछ ऐसी स्थिति हो गई थी कि उन्हें कोलकाता जाना था। नेहरू जानते थे कि मेवालाल टीम के लिए अहम हैं। उन्होंने मेवालाल को मैच खेलने के लिए मनाया और मैच खत्म होते ही भारतीय एयरफोर्स के प्लेन से मेवालाल को कोलकाता भी पहुंचाया।