साल 2011 में हुआ वर्ल्ड कप हर भारतीय क्रिकेट प्रेमी को याद होगा। जाहिर सी बात है, भारत पूरे 28 साल बाद एक बार फिर विश्व विजेता बना था। इस पूरे टूर्नामेंट में अगर किसी भारतीय क्रिकेटर का नाम सबसे ज्यादा चमका था तो वह थे ऑल-राउंडर युवराज सिंह। उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में अपने आक्रामक प्रदर्शन के दम पर भारतीय टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्हें प्लेयर ऑफ द सीरीज भी दिया गया था। 20 मार्च 2011 का दिन युवराज की जिंदगी का बेहद अहम दिन था। भारत न यूं तो वर्ल्ड कप 2 अप्रैल 2011 के दिन जीता था, लेकिन 20 मार्च के दिन ऐसा मैच हुआ था, जिसमें युवराज सिंह ने जज्बे की नई मिसाल कायम की थी।
20 मार्च को चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में भारत और वेस्ट इंडीज के बीच मैच हुआ था, जिसमें टीम इंडिया ने 80 रन से जीत हासिल की थी। युवराज सिंह ने इस मैच में आक्रामक बल्लेबाजी करते हुए शतक ठोका था। उन्होंने 123 गेंदों पर 113 रन बनाए थे। वहीं युवराज ने कमाल की गेंदबाजी भी की थी। उन्होंने 4 ओवरों में 18 रन देते हुए 2 विकेट भी चटकाए थे। उन्होंने एंड्रे रसेल को शून्य पर आउट किया था तो वहीं डिवोन थॉमस को 2 रन पर ही पवेलियन भेज दिया था। सबसे आश्चर्य की बात यह थी कि इस मैच में युवराज डिहाइड्रेशन से जूझ रहे थे, उन्हें मैच के दौरान उल्टियां भी हुईं, लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और कमाल का प्रदर्शन किया। इस मैच में युवराज को मैन ऑफ द मैच दिया गया था।
मैच खत्म होने के बाद इंडिया के इस ऑल राउंडर क्रिकेटर ने डिहाइड्रेशन के बारे में कहा, ‘मैं अच्छे से बल्लेबाजी कर रहा था, लेकिन 9वें ओवर में हमने विकेट्स खोने शुरू कर दिए। हमें अच्छी पार्टनरशिप रखनी थी। मुझे और विराट कोहली को अच्छी पार्टनरशिप जारी रखनी जरूरी थी, मुझे खुशी है कि हमने ये किया। मुझे डिहाइड्रेशन की समस्या हो रही थी, बहुत मुश्किल था लेकिन मुझे आखिरी तक टिके रहना था। बल्लेबाजी को लेकर हमारे कुछ प्लान्स थे। सामान्य तौर पर जब सचिन तेंदुलकर खेलते हैं तो हमें उनके साथ होने की जरूरत होती है, लेकिन अगर कभी वह फेल हो जाते हैं तो हमें पारी संभालनी पड़ती है।’ आपको बता दें कि इस मैच में भारतीय टीम ने टॉस जीतते हुए पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया था। टीम इंडिया ने अपनी पारी में 49.1 ओवरों में 268 रन बनाए थे। लक्ष्य का पीछा करने उतरी वेस्ट इंडीज की टीम ज्यादा कमाल नहीं कर सकी और 43 ओवरों में 188 रन पर ही ऑल आउट हो गई थी।

