भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी वरूण गोंजाल्विज की तरफ से पैरवी कर रहीं सीनियर एडवोकेट ने अगली सुनवाई के लिए होली के बाद की तारीख सुप्रीम कोर्ट से मांगी। जस्टिस सुधांशु धूलिया ने उनकी बात पर चुटकी लेते हुए कहा कि आपकी नजर होली पर है और हमारी गोली पर। डबल बेंच में धूलिया के साथ जस्टिस अनिरुद्ध बस भी थे। उनका कहना था कि अगली सुनवाई शुक्रवार को कर लेते हैं। इस पर रिबेका जॉन ने कहा कि होली का जिक्र किया। जस्टिस सुधांशु धूलिया ने मुस्कुराकर अपनी बात कही तो कोर्ट रूम में मौजूद हर चेहरे पर हंसी की लकीरें दिखाई देने लगीं।

सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच आरोपी वरूण गोंजाल्विज के साथ सह आरोपी अरूण फेरेरिया की बेल एप्लीकेशन पर सुनवाई कर रही थी। रिबेका जॉन ने अपनी दलील देते हुए कहा कि मामले में सुधा भारद्वाज को बांबे हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भी उनकी जमानत पर मुहर लगाई जा चुकी है। वरवरा राव को खुद सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल ग्राउंड पर बेल दी थी।

जिसके खिलाफ ज्यादा साक्ष्य, उसे भी मिली जमानत

रेबेका का कहना था कि गौतम नवलखा को जेल से निकालकर हाउस अरेस्ट में रखने का फैसला खुद सुप्रीम कोर्ट ने दिया था। आनंद तेतुबेंदे को भी हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है। उनका कहना था कि मामले के सह आरोपी के खिलाफ वरूण से ज्यादा साक्ष्य हैं। लेकिन उसे जमानत पर रिहा किया जा चुका है तो उसके मुवक्किलों को राहत क्यों नहीं मिल रही है।

एल्गार परिषद केस में जांच 2018 से ही जारी

पांच साल पहले पुणे के पास भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़की थी। दो शताब्दी पहले 1818 में एक लड़ाई लड़ी गई थी। उसी लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ मनाने के लिए हज़ारों दलित जमा हुए थे। उस रैली में जो हिंसा भड़की, उसकी तपिश पूरे देश में महसूस की गई। एल्गार परिषद केस में जांच 2018 से ही जारी है। जैसे जैसे जांच बढ़ी, इसके तहत कई वामपंथी और इस विचारधारा से सहानुभूति रखने वाले कई लेखक, पत्रकार, शिक्षक और दूसरे पेशों के लोग पूरे देश से गिरफ्तार किए गए।

पुणे पुलिस का दावा है कि भीमा कोरेगांव में 1 जनवरी 2018 को हिंसा भड़की, उसके लिए एल्गार परिषद जिम्मेदार है। इसी संगठन ने हिंसा से एक दिन पहले पुणे में एक बैठक बुलाई थी। बैठक के अगले दिन जो हिंसा हुई उससे तार इस बैठक से जुड़ते हैं। इसके पीछे बड़ी नक्सल साजिश थी।