कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ दिल्ली के जंतर-मंतर पर जारी पहलवानों के प्रदर्शन को पूर्व एथलीट पीटी उषा ने अनुशासनहीनता करार दिया था। भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष और राज्यसभा की मनोनीत सांसद पिलाउल्लाकांडी थेक्केपरांबिल उषा ने गुरुवार कहा था कि ‘पहलवानों का सड़कों पर प्रदर्शन करना अनुशासनहीनता है और इससे देश की छवि खराब’ हो रही है।
गौरतलब है कि पहलवानों ने बाहुबली छवि के नेता बृज भूषण शरण सिंह पर महिला खिलाड़ियों से यौन शोषण का आरोप लगाया है। मीडिया को अपनी व्यथा सुनाते हुए आंदोलन का नेतृत्व कर रहीं पहलवान विनेश फोगाट और साक्षी मलिक की आंखों में कई बार आंसू आ चुका हैं।
14 साल पहले पीटी उषा भी रोई थीं
यह मई 2009 की बात है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 49वें राष्ट्रीय ओपन एथलेटिक्स मीट का आयोजन हुआ था। इस मीट में शिरकत करने भारत की महानतम एथलीटों में से एक “क्वीन ऑफ ट्रैक एंड फील्ड” पीटी उषा भी पहुंची थीं। इस वक्त तक पीटी उषा सामान्य ज्ञान का सवाल बन चुकी थीं। उन्हें देश के गौरव की तरह देखा जाने लगा था।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय ओपन एथलेटिक्स मीट के आयोजकों ने पीटी उषा के ठहरने का इंतजाम स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) के हॉस्टल में किया था, जो बहुत ही गंदा था। उड़न परी इससे बहुत आहत हुई थीं। उन्होंने बकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर अपने साथ हुए इस घटिया व्यवहार और बदइंतजामी से देश को रूबरू कराया था। अपनी व्यथा सुनाते-सुनाते पीटी उषा मीडिया के कैमरों के सामने ही रो पड़ी थीं।
उन्होंने कहा था, “मैंने अपमानित महसूस किया। अगर मुझे इस तरह का ट्रीटमेंट मिल रहा है, तो आप सोच सकते हैं कि अन्य एथलीटों को क्या मिलता होगा। यही वजह है कि मां-बाप अपने बच्चों को खेलों के लिए प्रोत्साहित नहीं कर रहे हैं और इसलिए हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई पदक नहीं मिल रहा है।”
खेल मंत्री को मांगनी पड़ी थी माफी
पीटी उषा के प्रेस कॉन्फ्रेंस से सरकार की जमकर किरकिरी हुई थी। हंगामे के बाद मामले को शांत करने के लिए मध्य प्रदेश एथलेटिक्स फेडरेशन के अधिकारियों ने उषा से मुलाकात की थी और राज्य सरकार ने अपने खेल निदेशक को इस घटना की जांच करने के लिए कहा था। राज्य सरकार पीटी उषा को एक पॉश होटल में शिफ्ट कर दिया था।
मध्यप्रदेश के तत्कालीन खेल एवं युवा कल्याण मंत्री तुकोजीराव पवार ने इस घटना पर सार्वजनिक रूप से खेद व्यक्त किया था। साथ ही बदइंतजामी को दोष SAI के सिर मढ़ दिया था। पवार ने कहा था, पीटी उषा जिस कार्यक्रम में शामिल होने भोपाल आई थीं, उसकी जानकारी राज्य सरकार को नहीं थी, इसलिए यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई जो बहुत दुखद है।
उन्होंने आगे कहा था, “अगर पीटी उषा या SAI ने हमें पहले से सूचित किया होता तो मैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से अनुरोध करके उनके कद के अनुसार उन्हें राज्य अतिथि का दर्जा देता।”
दूसरी तरफ केंद्रीय खेल मंत्री एमएस गिल ने कहा कि वह हैरान हैं क्योंकि उषा ने इस प्रकरण के लिए SAI को जिम्मेदार ठहराया जबकि कार्यक्रम की मेजबानी राज्य सरकार ने की थी।
तब पीटी उषा की आंसू पर केंद्र की कांग्रेस सरकार और राज्य की भाजपा सरकार के बीच जुबानी जंग छिड़ गई थी। दोनों पार्टियां यह साबित करने में जुटी थीं कि गलती उनकी तरफ से नहीं हुई है।
कौन हैं पीटी उषा?
पीटी उषा का जन्म केरल के कुट्टाली गांव में हुआ था। उनका पूरा नाम पिलाउल्लाकांडी थेक्केपरांबिल उषा है। उनकी पढ़ाई-लिखाई पय्योली से हुई। पीटी उषा जब मात्र 9 साल की थीं, उन्होंने दौड़ प्रतियोगिता में अपने स्कूल के चैंपियन को हरा दिया था। तब उषा चौथी क्लास में पढ़ती थीं, और जिसे हराया था वह कक्षा सातवीं का छात्र था। कुछ ही सालों में वह केरल सरकार द्वारा बनवाई स्पोर्ट्स स्कूल के पहले बैच में शामिल हो गईं।
1980 में पीटी उषा ने महज 16 साल की उम्र में ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। इससे पहले वह राज्य और नेशनल गेम्स में अपना छाप छोड़ चुकी थीं। 1980 के दशक में पीटी उषा ने कुल 23 पदक जीते, जिनमें से 14 स्वर्ण पदक थे। साल 1995 में एक चोट के बाद पीटी उषा को ऑपरेशन करना पड़ा था। वह कई महीने खेल से दूर रहीं और अंतत: सन्यास की घोषणा कर दी।