Deendayal Upadhyaya integral humanism BJP: एनडीए सरकार का नेतृत्व कर रही बीजेपी हर साल बड़े पैमाने पर दीनदयाल उपाध्याय का जन्मदिन (25 सितंबर) मनाती है। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक विधेयक पारित किया और 25 सितंबर को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाने की घोषणा की थी। 2018 में मुगलसराय जंक्शन रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन कर दिया गया। ऐसा दीनदयाल उपाध्याय के योगदान को सम्मान दिए जाने के लिए किया गया।
जानना जरूरी होगा कि दीनदयाल उपाध्याय कौन थे और बीजेपी क्यों उन्हें इतना सम्मान देती है?
दीनदयाल उपाध्याय बीजेपी के मातृ संगठन माने जाने वाले आरएसएस के प्रचारक थे। जब भारतीय जनसंघ बना तो इसके संस्थापक सदस्यों में दीनदयाल उपाध्याय भी शामिल थे। बीजेपी के वैचारिक स्तंभ डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने एक बार कहा था, ‘मुझे 2 दीनदयाल दे दो और मैं पूरे देश का चेहरा बदल दूंगा’।
‘पांचजन्य’, ‘राष्ट्रधर्म’ पत्रिकाएं निकाली
भारतीय जनसंघ की वैचारिक नींव रखने का श्रेय दीनदयाल उपाध्याय को ही जाता है। उनका जन्म मथुरा जिले के नगला चंद्रभान गांव में हुआ था। 1937 में वह अपने छात्र जीवन में आरएसएस के संपर्क में आए और 1942 में संघ के पूर्णकालिक सदस्य बन गए। उन्होंने ‘राष्ट्रधर्म’ नाम से मासिक पत्रिका की शुरुआत की। यह पत्रिका राष्ट्रवाद की विचारधारा का प्रचार करती थी। इसके बाद उन्होंने ‘पांचजन्य’ नाम से साप्ताहिक पत्रिका और ‘स्वदेश’ नाम का दैनिक अखबार भी शुरू किया।
1953 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मौत के बाद भारतीय जनसंघ की बागडोर पूरी तरह दीनदयाल उपाध्याय के हाथों में आ गई और उस दौरान पार्टी ने काफी तरक्की की।
क्या था एकात्म मानववाद का सिद्धांत?
क्या आप जानते हैं कि उनके द्वारा दिया गया एकात्म मानववाद का सिद्धांत क्या था, जिसकी चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बीजेपी और आरएसएस के बड़े नेता भी करते हैं।
दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानववाद का सिद्धांत मनुष्य तथा और समाज के बीच एकता और सौहार्द्र की बात करता है। इस दर्शन के मुताबिक कोई भी व्यक्ति शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा से मिलकर बना है और इन सभी का विकास बेहद जरूरी है। उपाध्याय को राष्ट्रवाद का कट्टर समर्थक माना जाता था और उनका यह स्पष्ट रूप से कहना था कि भारत तब तक तरक्की नहीं कर सकता जब तक वह पश्चिम के विचारों के रास्ते पर चलना बंद नहीं करता।
बीजेपी के संविधान की धारा 3 के मुताबिक, एकात्म मानववाद पार्टी का मूल दर्शन है। यह दर्शन प्रकृति और मनुष्य में मां का संबंध देखता है, जिसमें प्रकृति को स्वस्थ बनाए रखते हुए अपनी आवश्यकता की चीज़ों का दोहन किया जाता है।
क्या कहा था उपाध्याय ने?
22 अप्रैल, 1965 को मुंबई में एक भाषण के दौरान उपाध्याय ने कहा था कि पश्चिम को जिन ‘इज्म’ ने प्रभावित किया उनमें प्रमुख थे- राष्ट्रवाद, लोकतंत्र और समाजवाद। यह सभी अच्छे आदर्श हैं लेकिन वास्तव में यह सभी व्यवहार में एक दूसरे से अलग हैं। राष्ट्रवाद विश्व शांति के लिए खतरा है। लोकतंत्र और पूंजीवाद शोषण को बढ़ावा देते हैं। समाजवाद ने पूंजीवाद की जगह ले ली और लोकतंत्र और व्यक्तिगत आजादी का अंत कर दिया। दीनदयाल उपाध्याय का कहना था कि भारत को इनका आंख बंद करके अनुसरण नहीं करना चाहिए।
उपाध्याय कहते थे कि भारतीय संस्कृति की विशेषता यह है कि यह जीवन को समग्र रूप में देखती है जबकि पश्चिम में जीवन को अलग-अलग टुकड़ों में देखा और सोचा जाता है।
बीजेपी का मानना है कि ऐसे विचारों को केवल उपदेशों तक सीमित नहीं रखना चाहिए बल्कि राजनीति का हिस्सा बनाना चाहिए और देश की नीतियां भी इनके आधार पर बनाई जानी चाहिए। 11 फरवरी, 1968 की दोपहर मुगलसराय स्टेशन के पास दीनदयाल उपाध्याय मृत अवस्था में मिले थे। उनकी मौत कैसे हुई, यह आज भी रहस्य का विषय बनी हुई है।