केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी की फायर ब्रांड नेता हैं। कांग्रेस के शासन में एक विपक्षी नेता के रूप में वह जिस तरह विरोध प्रदर्शन करती थीं, उसकी आज भी चर्चा होती है।
स्मृति ईरानी ने नीलेश मिसरा को दिए इंटरव्यू में बताया है कि 15 साल उम्र में वह सरोजिनी नगर (नई दिल्ली) के एक आंदोलन में शामिल हुई थीं। उन्होंने पुलिस वाले की लाठी पकड़ ली थी। इसकी तस्वीर न्यूजट्रैक में छप गयी थी, जिसके बाद स्मृति के पिता ने उन्हें पीटते हुए पूछा था कि क्या वह नेता बनना चाहती हैं? स्मृति ईरानी का जवाब था- नहीं।
पुलिस बनना चाहती थीं ईरानी
स्मृति ईरानी तब पुलिस बनना चाहता थीं। उन्हें अग्निपथ फिल्म का विक्रम गोखले बनना था। बता दें, अमिताभ बच्चन की चर्चित फिल्म अग्निपथ में विक्रम गोखले ने पुलिस कमिश्नर का किरदार निभाया था। स्मृति ईरानी जब विक्रम गोखले जैसा पुलिस ऑफिसर बनने की बात कहतीं, तो उनका यह कहकर मजाक उड़ाया जाता कि वह पुरुष का किरदार है, महिला का नहीं।
इसके बाद स्मृति ईरानी ने डीडी नेशनल पर कविता चौधरी की ‘उड़ान’ देखी। उड़ान में विक्रम गोखले जैसा ही कैरेक्टर कविता चौधरी निभा रही थीं। अब स्मृति ईरानी को कविता चौधरी जैसा पुलिस ऑफिसर बनना था।
‘मैं सड़क पर ब्यूटी प्रोडक्ट बेचती थी’
स्मृति ईरानी 16 साल की उम्र में सड़क पर ब्यूटी प्रोडक्ट बेचती थीं। वह नीलेश को मिसरा को बताती हैं, “ये बात तब की है जब क्रिकेटर मनोज प्रभाकर की ब्यूटी कंपनी खुली थी। उस कंपनी को कोई ऐसा चाहिए था, जो उनके प्रोडक्ट को सड़क पर बेच सके। मुझे पैसों की जरूरत थी। वह 200 रुपये दिहाड़ी दे रहे थे।”
स्मृति ईरानी याद करती हैं कि उनसे एक महिला ने ब्यूटी प्रोडक्ट खरीदते हुए कहा था कि तुम बहुत अच्छा बोलती हो। यहीं से स्मृति ईरानी को अहसास होता है कि उनके पास बोलने का हुनर है। हालांकि ब्यूटी प्रोडक्ट बेचने का उनका काम ज्यादा दिन नहीं चला क्योंकि उनके पिता ने उन्हें अपने साथ काम करने का ऑफर दे दिया।
जब पत्रकार बनने NDTV पहुंचीं ईरानी
स्मृति ईरानी जब 17-18 साल की थीं कि तब उनके पिता एक लॉजिस्टिक कोरियर कंपनी चलाते थे, जो ईस्ट ऑफ कैलाश (दिल्ली) में था। वहीं एनडीटीवी का ऑफिस था। स्मृति ईरानी को कहीं से पता चला की ईस्ट ऑफ कैलाश के इस अमुक गली में न्यूज चैनल एनडीटीवी का ऑफिस है। उन्हें अपने पिता की कंपनी की छत से एनडीटीवी दिखाई देता था।
एक दिन स्मृति ईरानी ने एनडीटीवी को पत्र लिख डाला। पत्र में बताया कि उन्हें क्यों एक पत्रकार के तौर पर एनडीटीवी में नौकरी मिलनी चाहिए। पत्र भेजने के बाद स्मृति ईरानी एनडीटीवी के जवाब का इंतजार करने लगीं। एक महीने तक जवाब न आने पर वह एनडीटीवी के ऑफिस पहुंच गईं। ईरानी को गेट से ही गार्ड ने वापस भेज दिया।