जम्मू-कश्मीर समेत कई सूबों के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satya Pal Malik) सुर्खियों में है। बीजेपी के खिलाफ बगावती तेवर अख्तियार करने वाले मलिक ने हाल ही में एक इंटरव्यू में पुलवामा हमले को लेकर केंद्र सरकार को घेरा था। इसी बीच सीबीआई ने उन्हें तलब किया है। मलिक की पहचान एक ऐसे नेता की है जो दो टूक और हाजिर जवाबी के लिए जाने जाते हैं। ऐसा ही एक वाकया तब का है जब वे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल हुआ करते थे। इसी दौरान नितिन गडकरी ने उन्हें फोन किया। मलिक का दावा है कि 40 साल से अटका काम उस फोन के बाद महज 15 मिनट में हो गया था।
नितिन गडकरी ने क्यों किया था फोन?
सत्यपाल मलिक ने खुद पिछले दिनों एक कार्यक्रम में इस वाकए का जिक्र किया था। वह कहते हैं कि जब मैं जम्मू-कश्मीर में था तो एक दिन मेरे पास नितिन गडकरी का फोन आया। उन्होंने कहा, ‘सत्यपाल भाई, अमरिंदर सिंह जी मेरे पास बैठे हैं। आपके (जम्मू-कश्मीर) और पंजाब के बीच पानी को लेकर कोई समझौता होना है, जो 40 साल से अटका है। नुकसान यह है कि सारा पानी पाकिस्तान को चला जा रहा है..’। मैंने गडकरी जी से कहा कि अमरिंदर जी से कह दीजिए कि कल ही अपने मंत्री को भेज दें…उन्होंने कहा कि कल तो नहीं परसों मिनिस्टर आपके पास जाएंगे।
15 मिनट में हो गया था समझौता
सत्यपाल मलिक कहते हैं कि 40 साल से महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला उस समझौते को लटका कर बैठे थे, सिर्फ इसलिए कि वह पानी वहीं जाता रहे…जहां जा रहा था। मैंने 15 मिनट में समझौता करा दिया। मलिक कहते हैं कि वह समझौता बस इसलिए नहीं हो पा रहा था कि इसपर कंट्रोल किसका होगा। मैंने कहा कि कंट्रोल किसी का नहीं होगा, बल्कि ज्वाइंट सुपरविजन होगा। उसी वक्त दस्तखत हो गए और मिठाई बंट गई।
सत्यपाल मलिक कहते हैं कि आज की स्थिति यह है कि जम्मू कश्मीर में कंडी एक इलाका है, कंडी मतलब होता है सूखा इलाका। उसमें 25000 हेक्टेयर में सिंचाई की तैयारी चल रही है और पंजाब में 6000 हेक्टेयर में सिंचाई होगी। उसके बाद भी बहुत पानी बचेगा जो राजस्थान और हरियाणा को मिल जाएगा।
जब बीजेपी ने सौंपा खास जिम्मा
सत्यपाल मलिक एक और किस्सा सुनाते हैं। वह कहते हैं कि जब बीजेपी का घोषणा पत्र तैयार हो रहा था तो एग्रीकल्चर का सेक्शन तैयार करने की जिम्मेदारी मुझे मिली। उस वक्त स्वामीनाथन का कोई नाम तक नहीं जानता था। जब मैं कृषि का सेक्शन तैयार करने लगा तो सबसे पहले मेरे दिमाग में आया कि स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को उसमें शामिल करूं, लेकिन मुझे पता था कि बीजेपी कभी इस पर राजी नहीं होगी।
किस नेता को मिलाया था राय लेने के लिए फोन?
मलिक कहते हैं इसके बाद मैंने सांवरलाल साहब को फोन किया, वह किसानों के बड़े नेता थे और अजमेर के थे। मैंने कहा- चौधरी साहब ऐसी ऐसी स्थिति है और मेरा मन है कि मैं इसको लिखूं, लेकिन ये लोग (बीजेपी) तो लागू नहीं करेंगे। तो उन्होंने मुझे जवाब दिया कि चौधरी साहब यह कलम रोज नहीं मिलती है…आप लिख दो, मनवा तो हम लेंगे। मलिक कहते हैं कि उसके बाद जितने भी छोटे-बड़े किसान आंदोलन हुए सब में एक प्रमुख मांग रही कि स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश लागू की जाए।