‘युवा तुर्क’ कहे जाने वाले चंद्रशेखर ने उस वक्त देश की गद्दी संभाली, जब भारतीय राजनीति उथल-पुथल के दौर से गुजर रही थी। चंद्रशेखर, प्रधानमंत्री भी संयोगवश ही बने। वी.पी. सिंह सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाए और जनता दल के नेतृत्व वाली 11 महीने पुरानी सरकार गिर गई। इस सरकार को गिराने में चंद्रशेखर की भी अहम भूमिका थी। वे अपने गिने-चुने सांसदों के साथ अलग हो गए और वी.पी. सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई।

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वी.पी. सिंह की सरकार गिरने के बाद चंद्रशेखर ने नवंबर 1990 में कांग्रेस के समर्थन से खुद सरकार बना ली और प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे। हालांकि उनकी सरकार भी अल्पमत में ही थी। सत्ता संभालने के बाद कुछ दिनों बाद ही बजट पेश किया जाना था। चंद्रशेखर की सरकार में वित्त मंत्री का जिम्मा यशवंत सिन्हा को मिला। उस वक्त देश महंगाई से लेकर सियासी मोर्चे पर जूझ रहा था। ऐसे में सबकी निगाहें बजट पर टिकी थीं।

PMO में बिछवा दी दरी: बलिया के रहने वाले चंद्रशेखर अपने देसी मिजाज और ठेठ अंदाज के लिए चर्चित थे। जब वे प्रधानमंत्री बने तो साउथ एवेन्यू के प्रधानमंत्री कार्यालय में भी इसकी झलक देखने को मिली। चर्चित लेखक-स्कॉलर रशीद किदवई अपनी किताब ‘भारत के प्रधानमंत्री’ में चंद्रशेखर के कार्यकाल में राजस्व सचिव रहे दिग्गज IAS पी.के. लाहिरी के हवाले से लिखते हैं कि ‘उस दिन रात के करीब 11 बज रहे थे। वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा के साथ हम सभी सचिव पीएमओ में अस्थाई रूप से बनाए गए एक कमरे में बैठे थे। कमरें में फर्श पर सिर्फ दरी बिछी थी और पीठ टिकाने के लिए गाव तकिये रखे हुए थे। फर्श पर ही बीच में पीएम बैठ गए और उनके चारों तरफ हम लोग…।’

आधी रात डॉ. मनमोहन सिंह को मिलवाया फोन: बैठक शुरू हुई। अचानक चंद्रशेखर, लाहिरी की तरफ मुड़े और कहा वो बजट को लेकर वित्तीय मामलों के सलाहकार डॉ. मनमोहन सिंह से विचार-विमर्श करना चाहते हैं। इसपर वहां मौजूद तमाम नौकरशाह सकते में आ गए। उनका तर्क था कि बजट के प्रावधान गोपनीय रखे जाते हैं, ऐसे में मनमोहन सिंह को इसमें शामिल करना ठीक नहीं है। लेकिन चंद्रशेखर की इच्छा के आगे किसी की नहीं चली।

गाड़ी भेज बुलवाया PMO: मनमोहन सिंह को संदेशा भिजवाया गया, लेकिन उन्हें यकीन नहीं हुआ। इसकी तस्दीक करने के लिए उन्होंने PMO में फोन मिला दिया। फोन खुद चंद्रशेखर ने उठाया। डॉ. मनमोहन सिंह ने सकुचाते हुए कहा कि रात काफी हो गई है। उनके पास आने का कोई साधन नहीं है, क्या कोई गाड़ी मिल सकती है? इस पर चंद्रशेखर ने छूटते ही कहा, ‘चंद मिनट में आपके घर के बाहर गाड़ी पहुंच रही है…।’