जून 2013… गर्मी और उमस के बीच उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) का जहाज अमेरिका में उतरा। आडवाणी अमेरिका की सरकारी यात्रा पर गए थे। वहां व्हाइट हाउस में उनकी मुलाकात अपने समकक्ष नेता से होनी थी। आडवाणी और अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलिजा राइस के बीच मुलाकात शुरू हुई और चंद मिनट बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश बैठक में पहुंच गए। औपचारिक अभिवादन के बाद उन्होंने आडवाणी से पूछा- ‘क्या भारत, इराक में शांति बहाली के लिए अपनी फौज भेज सकता है’? अमेरिका ने मार्च 2003 में जून पर हमला कर दिया था।

आडवाणी ने फौज भेजने का बना लिया था मन

आडवाणी ने जवाब दिया- ‘इस विषय पर हमारी सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की दो बार बैठक हो चुकी है, लेकिन कुछ सवाल अभी भी बाकी हैं’। बुश ने कहा कि अगर आप और कोई स्पष्टीकरण चाहते हैं तो हम अपनी एक एक्सपर्ट टीम हफ्ते भर के भीतर नई दिल्ली भेज सकते हैं। आडवाणी अमेरिका से भारत लौटे। उन्होंने भारतीय फौजी इराक भेजने का मन बना लिया था। जसवंत सिंह भी उनके समर्थन थे।

कांग्रेस की बात मान गए वाजपेयी

वरिष्ठ पत्रकार विनय सीतापति पेंगुइन से प्रकाशित अपनी किताब ‘जुगलबंदी: भाजपा मोदी युग से पहले’ में लिखते हैं कि उन दिनों संसद के दोनों सदनों में इराक पर अमेरिकी हमले की निंदा वाला प्रस्ताव पारित करने की मांग को लेकर गतिरोध जारी था। कांग्रेस और वामदल इस मांग पर अड़े थे। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) ने सेंट्रल हॉल का रुख भांप लिया और इराक पर अमेरिकी हमले की निंदा करने पर सहमत हो गए। राज्यसभा और लोकसभा में प्रस्ताव भी पारित हो गया। वाजपेयी ने अमेरिका को नाराज किये बिना बड़ी चतुराई से यह काम किया था।

नटवर सिंह पर हो गए थे नाराज

सीतापति लिखते कि प्रस्ताव पारित होने के बाद प्रधानमंत्री ने संसद भवन के कमरा नंबर 63 में सर्वदलीय बैठक बुलाई। इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ डॉ. मनमोहन सिंह और नटवर सिंह भी शामिल थे। वाजपेयी ने इराक मामले पर अपनी सरकार के फैसले की जैसे ही तारीफ शुरू की, नटवर सिंह ने उन्हें बीच में टोक दिया।

अमूमन शांत रहने वाले वाजपेयी इस बात से खिन्न हो गए। उन्होंने कहा, ”नटवर सिंह को सरकार के हर काम में खोट निकालने की आदत हो गई है…”। कांग्रेस नेता ने इसका जवाब नहीं दिया।

तीन दिन बाद प्रधानमंत्री वाजपेयी ने पीएम आवास पर एक बैठक बुलाई। उसमें नटवर सिंह को भी आमंत्रित किया। बैठक के बाद जब नटवर सिंह जाने लगे तो प्रधानमंत्री आवास के एक कर्मचारी ने उनसे कहा, ‘सर, प्रधानमंत्री आपसे मिलना चाहते हैं’। जब नटवर सिंह प्रधानमंत्री के के सामने पहुंचे तो वाजपेयी ने कहा, ”उस दिन संसद भवन की बैठक में मैंने कुछ ज्यादा ही कह दिया था…मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था”। नटवर सिंह याद करते हैं ‘वाजपेयी बहुत सज्जन राजनेता थे…’।