वाराणसी के जिला अधिकारी ने गांधीवादी विनोबा भावे की विरासत सर्व सेवा संघ भवन को गिराने का आदेश दे दिया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रोक लगा है। राजघाट स्थित गांधीवादी संस्थान के ध्वस्तीकरण के खिलाफ नागेपुर के ग्रामीण धरना प्रदर्शन भी कर रहे हैं। बता दें कि नागेपुर वही गांव है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोद लिया था।

वाराणसी में सर्व सेवा संघ शाखा के साथ एकजुटता दिखाने के लिए नागेपुर में शनिवार को एक दिवसीय धरना हुआ, जिसमें ग्रामीणों ने घोषणा की कि वे मोदी को “सरकार के प्रमुख और वाराणसी से सांसद के रूप में उनकी जिम्मेदारियों” के बारे में याद दिलाएंगे।

नागेपुर निवासी और स्थानीय पंचायत समिति के प्रमुख मुकेश कुमार ने रविवार को संवाददाताओं से कहा, “मोदी सरकार गलत मकसद से संघ को यहां से हटाना चाहती है।”

क्या है पूरा मामला?

जिला प्रशासन ने पिछले महीने बताया था कि गांधीवादी संस्थान (वर्धा स्थित सर्व सेवा संघ की वाराणसी शाखा) 14 एकड़ रेलवे भूमि पर फैला है। इसके बाद रेलवे ने 27 जून को संस्थान की इमारतों पर ध्वस्तीकरण का नोटिस चिपका दिया।

सर्व सेवा संघ का कहना है कि उसके पास यह साबित करने वाले दस्तावेज़ हैं कि ज़मीन 1960 में विनोबा भावे के प्रयासों से और तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की मंजूरी से रेलवे से खरीदी गई थी। संस्थान के लोगों ने 7-8 जुलाई की वाराणसी यात्रा के दौरान मोदी से मिलने की असफल कोशिश की।

सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने जब मामले को सुप्रीम कोर्ट के सामने उठाया तो सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दिया। याचिका पर अगली सुनवाई 14 जुलाई को होनी है।

सरकार पर जमीन हड़पने का आरोप

संघ के सदस्य सौरभ सिंह ने द टेलीग्राफ से बातचीत में आरोप लगाया है कि “शुरुआत में सरकार गांधी विद्या संस्थान की तीन इमारतों को हड़पना चाहती थी, जिसे जयप्रकाश नारायण ने 1960 के दशक में संघ परिसर में स्थापित किया था। लेकिन जैसे ही हमने इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया, राज्य सरकार बदला लेने पर उतारू हो गई और घोषित कर दिया कि संघ की जमीन रेलवे की है। सरकार सभी 10 इमारतों पर बुलडोजर चलवाना चाहती है।”

बता दें कि 15 मई, 2023 को भारी पुलिस की मौजूदगी में कमिश्नर ने सर्व सेवा संघ परिसर स्थित गांधी विद्या संस्थान की लाइब्रेरी का चार्ज राष्ट्रीय इंदिरा कला केंद्र को सौंप दिया था। सर्व सेवा संघ से जुड़े रामधीरज सिंह का कहना है कि “गांधी विद्या संस्थान का मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन है। कमिश्रर द्वारा अचानक इस संस्थान को कब्जा कर एक सरकारी संस्थान को देना अनुचित, अन्यायपूर्ण और अवैधानिक है।”

बता दें गांधी विद्या संस्थान की स्थापना 1962 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा किया गया था। इस संस्थान का उद्देश्य गांधी विचार के आधार पर चल रहे कार्यक्रमों का अध्ययन करना और समाज विज्ञान से जोड़ना था।

लोग समझने लगे हैं…

संघ के सदस्य सौरभ ने अखबार को बताया कि पहले 2014 से पहले गांव के लोग राजनीतिक रूप से जागरूक नहीं थे। लेकिन मोदी द्वारा गांव गोद लिए जाने के बाद से ग्रामिण सब जनाने लगे हैं। ग्रामीण अब गांधी और हिंदुत्व विचारक वीडी सावरकर की विचारधाराओं के बीच का फर्क भी समझने लगे हैं। लोग जानते हैं कि उनके गांव के विकास के लिए करोड़ों रुपये रखे गए थे, लेकिन असल में कुछ लाख रुपये ही खर्च किए गए। गांव में अभी भी सीवर और बिजली आपूर्ति की समस्या है।”