अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरनजीत संधू के बारे में चर्चा है कि भाजपा उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव में उतार सकती है। संधू पिछले महीने विदेश सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद अमृतसर में डेरा डाले हुए हैं। सोमवार (26 फरवरी) को संधू ने सीमावर्ती क्षेत्र में किसानों के साथ बातचीत की। इसके पहले उन्हें शहर में उद्यमियों, पेशेवरों और डॉक्टरों के साथ बैठक करते देखा गया था। वह अमृतसर में बहुत की सक्रिय नजर आ रहे हैं।

वह मंदिरों, गुरुद्वारों और लोकप्रिय भोजनालयों में भी जाते रहे हैं। संधू के दादा तेजा सिंह समुंदरी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के संस्थापकों में से एक थे। उनकी याद में स्वर्ण मंदिर के हॉल का नाम समुंदरी हॉल रखा गया है।

संधू के सोशल मीडिया पोस्ट के मुताबिक, उनके दादा ने स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने और गुरुद्वारा रिफॉर्म मूवमेंट से जुड़ने के लिए ब्रिटिश आर्मी की नौकरी छोड़ दी थी। उन्होंने 40 साल की उम्र में लौहार के एक जेल में आखिरी सांस ली थी।

संधू के पिता बिशन सिंह समुंदरी गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी (GNDU) के कुलपति रहे हैं। 2019 में भाजपा के अमृतसर उम्मीदवार एक अन्य पूर्व राजनयिक हरदीप पुरी (अब केंद्रीय मंत्री) थे, जो कांग्रेस के गुरजीत सिंह औजला से हार गए थे।

लोकसभा चुनाव को लेकर पंजाब की तैयारी

लोकसभा चुनावों में पंजाब का परिणाम को भविष्य की राजनीति और राष्ट्रीय रुझानों को परिभाषित करने वाला माना जाता रहा है। साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी की कथित लहर चल रही थी, उस वर्ष पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) की अप्रत्याशित जीत ने देश स्तब्ध कर दिया था। हालांकि 2019 में भाजपा के प्रभावशाली प्रदर्शन ने उसकी देशव्यापी लहर को प्रदर्शित किया।

पंजाब में लोकसभा का मुकाबला दो पार्टियों या गठबंधन के बीच नहीं है। राज्य में कई कोणों से खींचतान होने वाली है। राज्य की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी जैसी कई पार्टियों के बीच लड़ाई है। 2022 के विधानसभा चुनाव में हार झेलने के बाद भी भाजपा एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी के रूप में डटी है। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी (BSP) और शिरोमणि अकाली दल (SAD) जैसे क्षेत्रीय दल भी राज्य की राजनीति के परिदृश्य को और जटिल बनाते हैं।

पंजाब में लोकसभा चुनाव कब हैं?

चुनाव आयोग पंजाब में आमतौर पर चुनाव अवधि के उत्तरार्ध में मतदान करवाता रहा है। 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान भी हुआ था। यदि भारत की मुख्य चुनावी संस्था पारंपरिक रास्ते पर आगे बढ़ने का फैसला करती है, तो पंजाब में 18वीं लोकसभा चुनाव के लिए संभावित महीना मई हो सकता है।

पंजाब आम चुनाव कितने चरणों में होंगे?

पंजाब में आम चुनाव ऐतिहासिक रूप से केवल एक चरण में लड़े जाते हैं, जो 2024 में एक बार फिर से होने की उम्मीद है। कोई विशेष बदलाव नहीं हुआ तो राज्य में एक ही चरण में लोकसभा चुनाव होने की अधिक संभावना है।

पंजाब में कितने लोकसभा क्षेत्र हैं?

भारत के सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले राज्यों की सूची में पंजाब 16वें स्थान पर है। पंजाब में लोकसभा की कुल 13 सीटें हैं, जिनमें से चार सीटें SC (दलित) उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं और नौ सीटें अनारक्षित हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूपीए गठबंधन आठ सीटें जीतकर सबसे बड़े गठबंधन के रूप में सामने आया था। वहीं भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए केवल चार सीटें जीत पाया था। पहली बार चुनाव लड़ रही आप भी अपने लिए एक सीट जीतने में सफल रही थी।

2019 के लोकसभा चुनाव में पंजाब के किस निर्वाचन क्षेत्र से कौन जीता था, पूरी सूची देखें:

सीटसांसदपार्टी
गुरदासपुरसनी देओलभाजपा
अमृतसरगुरजीत सिंह औजलाकांग्रेस
खडूर साहिबजसबीर सिंह गिलकांग्रेस
जालंधर (SC)संतोख सिंह चौधरीकांग्रेस
होशियारपुर (SC)सोम प्रकाशभाजपा
आनंदपुर साहिबमनीष तिवारीकांग्रेस
लुधियानारवनीत सिंह बिट्टूकांग्रेस
फतेहगढ़ साहिब (SC)डॉ. अमर सिंहकांग्रेस
फरीदकोट (SC)मुहम्मद सादिककांग्रेस
फिरोजपुरसुखबीर सिंह बादलSAD
बठिंडाहरसिमरत कौरSAD
संगरूरभगवंत मानAAP
पटियालाप्रिनीत कौरकांग्रेस

2019 से काफी अलग होगा 2024 का चुनाव

लोकसभा चुनाव का हाल पंजाब में 2019 की तुलना में 2024 में बहुत अलग होने जा रहा है, क्योंकि पिछली बार केवल एक सीट जीतने वाली AAP अब राज्य विधानसभा में सत्तारूढ़ पार्टी है, जबकि कांग्रेस की लोकप्रियता पिछले पांच वर्षों में काफी गिर गई है। बीजेपी इस बार SAD के बिना चुनाव लड़ेगी, क्योंकि अकाली दल ने 2023 में एनडीए से अलग होने का फैसला किया था। AAP और कांग्रेस, नवगठित इंडिया गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद पंजाब में एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे।