सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में जांच एजेंसी की कम सजा दर की ओर इशारा करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) से अपने अभियोजन और सबूतों की गुणवत्ता पर ध्यान देने को कहा। सर्वोच्च अदालत ने यह टिप्पणी गृह मंत्रालय द्वारा संसद में प्रस्तुत किए गए आंकड़ों के आधार पर की।
जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और उज्जल भुइयां की पीठ ने ईडी मामलों के आंकड़ों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा संसद में दिए गए एक बयान का जिक्र करते हुए कहा, “आपको अभियोजन और सबूतों की गुणवत्ता पर ध्यान देने की जरूरत है। उन सभी मामलों में जहां आप संतुष्ट हैं कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है, आपको उन मामलों को अदालत में प्रूफ करने की जरूरत है। 10 सालों में दर्ज 5000 मामलों में से 40 में सजा हुई है। अब कल्पना करें।”
शीर्ष अदालत की टिप्पणी छत्तीसगढ़ के बिजनेसमैन सुनील कुमार अग्रवाल द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान आई। सुनील को कोयला ट्रांसपोर्टेशन पर अवैध उगाही से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था।
पीठ ने ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा, “इस मामले में आप कुछ गवाहों के बयानों और हलफनामों का सहारा ले रहे हैं। इस प्रकार का मौखिक साक्ष्य, कल भगवान जाने वह व्यक्ति इस पर कायम रहेगा या नहीं। आपको कुछ ठोस सबूत आधारित जांच करनी चाहिए।”
क्या था मामला?
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की जांच आयकर विभाग की शिकायत के बाद आई जो जून 2022 में विभाग द्वारा की गई छापेमारी के बाद दर्ज की गई थी। यह मामला एक कथित घोटाले से संबंधित है जिसमें प्रत्येक टन के लिए 25 रुपये की अवैध उगाही की जा रही थी। छत्तीसगढ़ में कोयले के ट्रांसपोर्ट से जुड़े इस कार्टेल में सीनियर ब्यूरोक्रेट, व्यापारी, राजनेता और बिचौलिए शामिल हैं।
आईएएस अधिकारी पर रिश्वत लेने का आरोप
जांच एजेंसी ने अपनी दूसरी सप्लिमेंटरी चार्जशीट में आरोप लगाया कि आईएएस अधिकारी रानू साहू (कथित घोटाले के दौरान कोरबा में कलेक्टर), ने सूर्यकांत तिवारी और उनके सहयोगियों द्वारा संचालित कोयला ट्रांसपोर्टरों और जिला खनिज निधि (डीएमएफ) से अवैध उगाही की राशि के संग्रह की सुविधा प्रदान की। इसके बदले उन्हें भारी रिश्वत मिली। सुनील अग्रवाल को पिछले साल इसी मामले में गिरफ्तार किया गया था।
8 अप्रैल 2024 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने उनकी अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद उन्होंने अदालत के आदेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। 19 मई को, शीर्ष अदालत ने अग्रवाल को जमानत बांड भरने की शर्त पर अंतरिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया।
ED ने पिछले 10 सालों में PMLA के तहत 5000 से ज्यादा मामले दर्ज किए
दरअसल, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को लोकसभा को बताया कि ईडी ने पिछले 10 सालों में पीएमएलए के तहत 5,297 मामले दर्ज किए हैं। पिछले छह सालों में वर्तमान और पूर्व सांसदों, विधायकों और राजनीतिक नेताओं के खिलाफ कुल 132 मनी लॉन्ड्रिंग के मामले दर्ज किए गए हैं।
एक सवाल के जवाब में नित्यानंद राय ने कहा कि 2019 में पीएमएलए के तहत 188 मामले, 2020 में 708, 2021 में 1,166, 2022 में 1,074, 2023 में 934 और इस साल अब तक 397 मामले दर्ज किए गए। उन्होंने बताया कि 2014 में 195 मामले, 2015 में 148, 2016 में 170, 2017 में 171 और 2018 में 146 मामले दर्ज किए गए थे। नित्यानंद ने कहा कि 2016 से पीएमएलए के तहत 140 आरोपी वर्तमान में जेल में हैं।
ईडी ऑफिसर को रिश्वत लेने के आरोप में सीबीआई ने किया गिरफ्तार
वहीं, दूसरी ओर सीबीआई ने ईडी के एक असिस्टेंट डायरेक्टर को 20 लाख रुपये रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया है। आरोपी ईडी अधिकारी संदीप सिंह ने मुंबई के एक जौहरी से उसके बेटे को गिरफ्तार न करने के लिए 20 लाख की रिश्वत ली थी।
विपुल ठक्कर द्वारा दर्ज की गई शिकायत के बाद, एजेंसी की मुंबई ब्रांच की एक टीम ने जाल बिछाया और अधिकारी को बुधवार (7 अगस्त, 2024) को दिल्ली में कथित तौर पर रिश्वत की राशि लेते समय गिरफ्तार कर लिया।
ईडी ने अधिकारी के खिलाफ पीएमएलए के तहत शुरू की कार्रवाई
ईडी ने इस मामले में अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू की है। एजेंसी ने कहा, “इस घटना का तत्काल संज्ञान लेते हुए और भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति का पालन करते हुए ईडी ने संदीप सिंह के खिलाफ पीएमएलए के तहत आपराधिक कार्रवाई शुरू की है। गुरुवार को उनकी आपराधिक गतिविधियों के सबूत इकट्ठा करने के लिए अधिकारी के आवास पर तलाशी अभियान चलाया गया। उनके ऑफिस की सीबीआई और ईडी द्वारा संयुक्त रूप से तलाशी ली गई।”
ईडी ने कहा कि पीएमएलए मामले के अलावा उन्हें तत्काल निलंबित करने और ईडी से उनके मूल विभाग में वापस भेजने की कार्रवाई भी शुरू की गई है।