गुजरात में डिस्ट्रिक्ट जजों के प्रमोशन और तबादले से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमआर शाह और सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे के बीच तीखी नोकझोंक हो गई। बात इतनी बढ़ गई कि जस्टिस एमआर शाह ने चेतावनी देते हुए कह दिया कि मैं अपने करियर के आखिरी दिनों में आपको कुछ कहना नहीं चाहता हूं।

क्यों हुई नोकझोंक?

दरअसल, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रवीकुमार की बेंच गुजरात के डिस्ट्रिक्ट जजों के प्रमोशन और तबादले के खिलाफ दायर याचिका को सुन रही थी। इसी दौरान सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने कहा कि जब चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के सामने ठीक इसी तरह के प्रमोशन और तबादले से जुड़ा एक मामला लंबित है तो इस केस को डिस्पोज करने की इतनी जल्दी क्यों है?

दुष्यंत दवे ने कहा, “लॉर्डशिप को केस डिस्पोज करने की इतनी जल्दी क्यों है? जब कोर्ट नंबर 1 (चीफ जस्टिस की कोर्ट) पहले से ही इसी तरह के एक मैटर को सुन रही है।

दुष्यंत दवे की इस टिप्पणी पर जस्टिस एमआर शाह काफी नाराज हो गए। उन्होंने कहा, “करियर के आखिरी दिनों में मुझे कुछ कहने के लिए मजबूर मत करिए… आप मेरिट पर बहस करिए”।

मीलॉर्ड! मुझे धमकाइये मत

जस्टिस शाह की टिप्पणी पर दुष्यंत दवे ने जवाब देते हुए कहा “मीलॉर्ड! मुझे धमकाइये मत…मैं अपनी बात रख रहा हूं”। बता दें कि दुष्यंत दवे इस मामले में एक प्राइवेट पार्टी की तरफ से पेश हुए थे।

राहुल गांधी को सजा देने वाले जज से जुड़ा है मामला

आपको बता दें कि गुजरात जुडिशल सर्विस के कुछ अफसरों ने गुजरात सरकार और हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसके तहत “सीनियारिटी कम मेरिट” आधार पर जिला जज कैडर में प्रमोशन दिया गया। याचिकाकर्ताओं की दलील है कि जिस तरीके से प्रमोशन किया गया, उसमें कई ऐसे अभ्यर्थी जिनके अंक बहुत कम थे, उनको प्रमोशन मिल गया। जबकि उनसे ज्यादा अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थियों को प्रमोशन नहीं मिला। याचिकाकर्ताओं की दलील है कि प्रमोशन “मेरिट कम सीनियारिटी” बेसिस पर होना चाहिए था।

आपको बता दें कि हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सजा सुनाने वाले जज जस्टिस हरीश हसमुखभाई वर्मा को भी इसी 65% प्रमोशन कोटा के तहत डिस्ट्रिक्ट जज कैडर में प्रमोट किया गया था। याचिकाकर्ताओं ने वर्मा समेत कुल 68 जजों के प्रमोशन को चुनौती दी है।

कौन हैं जस्टिस एमआर शाह?

जस्टिस मुकेशकुमार रसिकभाई शाह का जन्म 16 मई, 1998 को हुआ था। गुजरात विश्वविद्यालय से एलएलबी करने के बाद 19 जुलाई, 1972 को उन्होंने एक वकील के रूप में खुद को एनरोल कराया था।

एमआर शाह ने गुजरात हाईकोर्ट में 20 से अधिक वर्षों तक प्रैक्टिस किया। न्यायमूर्ति शाह केंद्र सरकार के लिए एडिशनल स्टैंडिंग काउंसिल और केंद्रीय जांच ब्यूरो के लिए बतौर रिटेनर वकील काम कर चुके हैं।

2004 में जस्टिस एमआर शाह को गुजरात उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। वह जून 2005 में गुजरात हाईकोर्ट के परमानेंट जज बने। इसके बाद जस्टिस शाह का पटना हाईकोर्ट में ट्रांसफर हो गया, वहां वह 12 अगस्त 2018 को मुख्य न्यायाधीश बने। 2 नवंबर, 2018 को उनका प्रमोशन कर सुप्रीम कोर्ट लाया गया। जस्टिस शाह 15 मई, 2023 को रिटायर हो जाएंगे।