सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने फैसले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के ल‍िए आरक्षण के अंदर आरक्षण देने की इजाजत दी। सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले के बाद सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए की पार्टियों में इस फैसले पर अलग-अलग मत हैं। एक तरफ जहां लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने अनुसूचित जाति के सब-क्लासिफिकेशन के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विरोध जताया है, वहीं तेलुगु देशम पार्टी ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है। उधर, बीजेपी के कई नेताओं ने कोर्ट के फैसले का समर्थन क‍िया है और कुछ ने मांग की है क‍ि मोदी सरकार ऐसी व्‍यवस्‍था करे ज‍िससे एससी-एसटी समुदाय के वंच‍ितों को लाभ म‍िल सके।

एलजेपी (रामविलास) अध्यक्ष चिराग पासवान ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करेगी। पासवान ने कहा कि आरक्षण के लिए दलितों पर ‘क्रीमी-लेयर’ का कॉन्सेप्ट लागू नहीं किया जा सकता है। एलजेपी (रामविलास) प्रमुख ने कहा, “आरक्षण को एक सकारात्मक कदम के रूप में संविधान में शामिल किया गया था क्योंकि सदियों से दलितों को अस्पृश्यता और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ा है। क्रीमी लेयर्स का निर्धारण उनकी शैक्षिक और वित्तीय स्थिति से होता है लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कितने पढ़े-लिखे या संपन्न हैं, सामाजिक संरचनाओं में उनकी स्थिति वास्तव में नहीं बदली है।”

चिराग पासवान ने दलित युवाओं को शादी के जुलूसों में घोड़ों की सवारी करने की अनुमति नहीं देने और जाने-माने दलित नेताओं के जाने के बाद मंदिरों को शुद्ध करने का उदाहरण भी दिया। पासवान ने स्पष्ट किया कि समीक्षा याचिका दायर करने का निर्णय पूरी तरह से उनकी पार्टी द्वारा लिया गया है, इसके लिए भाजपा के साथ किसी भी तरह का परामर्श नहीं किया गया है।

टीडीपी ने किया अदालत के फैसले का स्वागत

दूसरी ओर, टीडीपी प्रमुख और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने फैसले का तहे दिल से स्वागत किया है। आंध्र प्रदेश में अधिक संपन्न माला जाति बड़े पैमाने पर कांग्रेस का समर्थन करती है। मुख्यमंत्री के रूप में चंद्रबाबू नायडू के दूसरे कार्यकाल के दौरान टीडीपी ने 1997 में एससी के भीतर चार श्रेणियां बनाकर मडिगा समुदाय तक पहुंचने की कोशिश की जो आरक्षण के लाभ से वंचित महसूस कर रहे थे।

मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि टीडीपी ने 1996 में एससी उप-वर्गीकरण पर न्यायमूर्ति रामचंद्र राजू आयोग का गठन किया था। चंद्र बाबू नायडू ने एक सार्वजनिक संबोधन के दौरान कहा, “सभी वर्गों के साथ न्याय होना चाहिए और सामाजिक न्याय की जीत होनी चाहिए। यह टीडीपी का दर्शन है। सबसे गरीब वर्गों तक पहुंचने के लिए उप-वर्गीकरण उपयोगी होगा।” उन्होंने दलितों से समृद्धि के लिए एकजुट रहने का आह्वान किया।

टीडीपी सब-क्लासिफिकेशन के वादे के लिए प्रतिबद्ध

चंद्र बाबू नायडू के बेटे और आंध्र प्रदेश के मंत्री नारा लोकेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “हम एससी क्लासिफिकेशन मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। चंद्र बाबू गारू ने 30 साल पहले सामाजिक न्याय लागू किया था। टीडीपी सब-क्लासिफिकेशन के वादे के लिए प्रतिबद्ध है जो उसके चुनाव अभियान का हिस्सा था।”

भाजपा खुद तेलंगाना में सब-कोटे की वकालत कर रही है। राज्य में 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मडिगा समुदाय की उप-कोटा की लंबे समय से चली आ रही मांग पर गौर करने के लिए एक समिति के गठन की घोषणा की थी। मडिगा रिजर्वेशन पोराटा समिति की नेता मंदा कृष्णा मडिगा भी इस मामले में भाजपा के साथ आ गयी है।

भाजपा नेता ने किया स्वागत

बीजेपी के अन्य नेताओं, जिनसे इंडियन एक्सप्रेस ने बात की, उन्होंने कहा कि पार्टी इस मुद्दे पर अपने विचार रखने से पहले सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का अध्ययन करेगी। वहीं, भाजपा नेता और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष बिजय सोनकर शास्त्री ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि जो दलित इसका विरोध कर रहे हैं, वे केवल इस पर नजर रख रहे हैं। अपने स्वयं के समुदाय के हित में सोच रहे हैं न कि समग्र रूप से दलितों के हित में।

उन्होंने कहा, “एससी के बीच सब-क्लासिफिकेशन होना चाहिए। कुछ समुदायों को आरक्षण से सबसे अधिक लाभ हो रहा है जबकि अन्य को कोई लाभ नहीं मिल रहा है। ऐसे में अगर कोटा में सब-क्लासिफिकेशन किया जाता है तो आरक्षण का लाभ उन लोगों तक पहुंचने का रास्ता खुल जाएगा, जिन्हें लंबे समय से आरक्षण का लाभ नहीं मिला है।”

भाजपा की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं

फैसले पर हालांकि, भाजपा की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट आध‍िकार‍िक प्रतिक्रिया नहीं आई है। सब-क्लासिफिकेशन के लिए सरकार को जाति जनगणना कराने की भी आवश्यकता होगी, जिसकी विपक्ष मांग कर रहा है और भाजपा इसका विरोध कर रही है। वैसे, भाजपा के कई नेताओं के बयान सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन करते हैं।

भाजपा ने लोकसभा चुनाव और अब राज्‍यों के व‍िधानसभा चुनावों में प्रचार के दौरान स्‍टैंड ल‍िया क‍ि वह ओबीसी कोटा खत्‍म नहीं होने देगी। उसने यह स्‍टैंड यह नैरेट‍िव बनाते हुए ल‍िया क‍ि कांग्रेस ओबीसी का कोटा मुसलमानों को देने वाली है।

इंडिया गठबंधन में भी पार्टियों की सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अलग-अलग राय

कांग्रेस ने भी फैसले पर कोई निश्चित रुख नहीं अपनाया है। एक तरफ जहां कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी दोनों ने इसका स्वागत किया है। सिद्धारमैया ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताया और एक्स पर लिखा कि फैसले की बदौलत आंतरिक आरक्षण के कार्यान्वयन में एक बड़ी बाधा दूर हो गई है।

तेलंगाना इसे लागू करने वाला पहला राज्य होगा- रेवंत रेड्डी

शीर्ष अदालत के आदेश का स्वागत करते हुए तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने कहा कि तेलंगाना इसे लागू करने वाला पहला राज्य होगा। सीएम ने कहा, “मैं भारत के सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ को धन्यवाद देता हूं। सात में से छह न्यायाधीशों ने कहा कि राज्य सरकारें सब-क्लासिफिकेशन कर सकती हैं। राज्य सरकार की ओर से मैं घोषणा कर रहा हूं कि तेलंगाना उप-वर्गीकरण लागू करने वाला पहला राज्य होगा।”

रेड्डी ने विधानसभा में बोलते हुए कहा कि उनकी सरकार शीर्ष अदालत के आदेश के अनुसार सब-क्लासिफिकेशन की प्रक्रिया तुरंत शुरू करेगी। उन्होंने कहा, “राज्य सरकार मौजूदा नौकरी अधिसूचना में भी मडिगा और अन्य उप-जातियों के लिए आरक्षण लागू करने के लिए उचित कदम उठाएगी। इससे जुड़ा एक अध्यादेश जारी किया जाएगा।”

बसपा ने किया एससी-एसटी सब-क्लासिफिकेशन का विरोध

वहीं, बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने रविवार को फैसले का विरोध किया और दलित हित की उचित वकालत नहीं करने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना की। उन्होंने अदालत के फैसले को अस्पष्ट बताते हुए कहा कि इसमें कोई मानक तय नहीं किया गया। लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मायावती ने कहा, “एससी और एसटी के आरक्षण के भीतर उप-वर्गीकरण की अनुमति दी गई है, हमारी पार्टी इससे सहमत नहीं है।”

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ सहित सात जजों की पीठ ने छह-एक के बहुमत से फैसला द‍िया क‍ि राज्यों को संवैधानिक रूप से एससी और एसटी के अंदर सब-क्लासिफिकेशन करने का अधिकार है ताकि आरक्षण के जरिए ज्यादा से ज्यादा जाति-समूह के लोगों के उत्थान में मदद मिल सके। वहीं, जस्‍ट‍िस बेला त्र‍िवेदी एससी-एसटी के अंदर नए स‍िरे से जात‍ीय समूह न‍िर्धार‍ित करने का अध‍िकार राज्‍यों को देने के पक्ष में नहीं थीं।

साथ ही जस्‍ट‍िस बी.आर. गवई ने अपना मत देते हुए ल‍िखा क‍ि सरकारों को एससी-एसटी के अंदर क्रीमी लेयर की पहचान करने का भी तरीका न‍िकालना चाहिए। हालांकि, उन्होंने इसके निर्धारण के लिए कोई स्पष्ट मानदंड नहीं दिया।