राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को कई दफा विवादों का सामना करना पड़ा है। बड़ा विवाद महात्मा गांधी की हत्या से जुड़ा है। गांधीजी की हत्या नाथूराम गोडसे ने की थी। आरोप लगा कि संघ से गोडसे का पुराना संबंध था। हालांकि, इस संगठन और हत्या की साजिश के बीच सीधा संबंध अदालत में साबित नहीं हुआ। सरकार ने प्रतिबंध लगाया और कहा कि यह प्रतिबंध घृणा और हिंसा की ताकतों को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए था। वर्ष 1949 में प्रतिबंध हटा लिया गया, जब आरएसएस ने भारत के संविधान और राष्ट्रीय ध्वज के प्रति उसकी निष्ठा की पुष्टि की।

आपातकाल के दौर में भी प्रतिबंध लगा। हालांकि, यह प्रतिबंध व्यापक विपक्षी समूहों पर लागू किया गया था। संघ ने इस दौरान नए गठबंधन बनाने और अपना राजनीतिक प्रभाव फैलाने के लिए काम किया। संघ पर अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण के अभियान के तहत भीड़ को इकट्ठा करने का आरोप लगाया गया था। ढांचा गिराने के बाद संघ पर तीसरी बार प्रतिबंध लगाया गया, हालांकि बाद में प्रतिबंध हटा लिया गया। आलोचकों का तर्क है कि संघ की विचारधारा हिंदू वर्चस्व के दृष्टिकोण को बढ़ावा देती है जो धार्मिक अल्पसंख्यकों को हाशिए पर धकेलती है।

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संघ ने अपने मुखपत्र ‘आर्गनाइजर’ के 17 जुलाई 1947 के ‘राष्ट्रीय ध्वज’ शीर्षक वाले संपादकीय में भगवा ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर स्वीकार करने की मांग की। आलोचक आरोप लगाते हैं कि संघ भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में तिरंगे के स्थान पर भगवा ध्वज को स्वीकार करने का पक्षधर था।

हाल के वर्षों में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने स्कूली पाठ्यपुस्तकों से गांधीजी की हत्या से संबंधित कुछ अंश हटा दिए हैं। आलोचकों का मानना है कि यह संघ के विवादित अतीत को मिटाने का प्रयास है।

एकाधिक बार मोहन भागवत के नेतृत्व वाले संघ और सरकार के बीच टकराव की नौबत दिखी। कई दफा सरकार हिलती दिखी। भागवत के अहंकार वाले बयान की मीडिया में काफी चर्चा हुई। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 2024 में कहा कि पार्टी उस समय से आगे बढ़ चुकी है, जब उसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जरूरत थी। इसपर भागवत ने कहा था, ‘सेवक (जनता की सेवा करने वाले) में अहंकार नहीं होना चाहिए।’

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आरक्षण का सवाल हो, जनसंख्या का मुद्दा हो या सेवानिवृत्ति की उम्र को लेकर भागवत के बयान, सरकार और संगठन में खटास दिखी। भागवत ने एक दफा कहा कि राम मंदिर निर्माण के बाद कुछ लोगों को लगता है कि वे नई जगहों पर इसी तरह के मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं, यह स्वीकार्य नहीं है।

अभी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन को लेकर सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि किसी भी नाम पर संघ के साथ सहमति नहीं बन पा रही है। जेपी नड्डा का अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल जनवरी 2023 में खत्म हो चुका है। इस मुद्दे पर संघ के नेताओं का तर्क है कि जब भाजपा किसी नाम पर सुझाव मांगेगी, वे राय दे देंगे।