राम को राजा और हिंदुओं के आराध्य विष्णु का सातवां अवतार, दोनों माना जाता है। हिंदुत्ववादी संगठनों ने 90 के दशक में उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए जो आंदोलन चलाया, उसका नाम ‘राम जन्मभूमि आंदोलन’ था।

यह नाम इसलिए रखा गया था क्योंकि ऐतिहासिक रूप से हिंदुओं के बड़े वर्ग का यह दावा रहा है कि राम का जन्मस्थान वही है जहां कभी ‘बाबरी मस्जिद’ हुआ करती थी। दावे के मुताबिक, मुगल शासक ने राम जन्मभूमि पर स्थित मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाई थी।

हालांकि ऐसा कोई ऐतिहासिक दस्तावेज़ या पुरातात्विक साक्ष्य नहीं है जो यह निर्णायक रूप से साबित कर सके कि राजा राम की अयोध्या वैसी ही थी जैसी आज उत्तर प्रदेश के एक जिले में पहचानी जाती है।

अलग-अलग इतिहासकारों ने राम के जन्मस्थान को अफगानिस्तान, ईरान, हरियाणा, आदि जगहों पर बताया है। उत्तर प्रदेश का अयोध्या राम की जन्मस्थली नहीं है, इस बात को सबसे गंभीर रूप से 1990 के दशक में उठाया गया।

अफगानिस्तान में हुआ था राम का जन्म?

1992 में इतिहासकार श्याम नारायण पांडे की लिखी किताब ‘Ancient Geography of Ayodhya’ प्रकाशित हुई। इस किताब में पांडे ने तर्क दिया कि राम का जन्म वर्तमान अफगानिस्तान के शहर हेरात में हुआ था। इस किताब में पांडे अलग-अलग देशों में ‘अयोध्या’ होने की बात भी लिखते हैं। किताब के इंडेक्स में तीन टाइटल मिलते हैं- अयोध्या इन वेस्ट बंगाल, अयोध्या इन नेपाल, अयोध्या इन थाईलैंड एंड लाओस

साल 1997 में पांडे ने बेंगलुरु में आयोजित 58वें इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस में अपनी एक थ्योरी ‘Historical Rama distinguished from God Rama’ (ऐतिहासिक राम भगवान राम से अलग थे) पेश की थी। पांडे ने इस पेपर में वैदिक ग्रंथों का हवाला देकर और उन्हें क्षेत्र के पुरातात्विक खोजों से जोड़कर अपनी बात को साबित करने की कोशिश की थी।

2000 में राजेश कोचर ने भी अपनी किताब ‘द वैदिक पीपल: देयर हिस्ट्री एंड जियोग्राफी’ में राम के जन्मस्थान को अफगानिस्तान में बताया था। उनके अनुसार अफगानिस्तान की Hari-Rud नदी ही मूल “सरयू” है और अयोध्या इसी के तट पर स्थित थी।

कोचर ने तर्क दिया कि अयोध्या की खोज Hari-Rud के किनारे की जानी चाहिए, न कि आधुनिक सरयू के किनारे, जिसका नाम बाद की पीढ़ियों के अप्रवासियों ने अपनी मातृभूमि की याद में रखा था। राम की वंशावली के अध्ययन के आधार पर कोचर ने यह भी दावा किया कि राम के पूर्वज पश्चिमी अफगानिस्तान-पूर्वी ईरान क्षेत्र में रहते थे।

हरियाणा में पैदा हुए थे राम?

1998 में पुरातत्वविद् कृष्ण राव ने बनावली को राम का जन्मस्थान बताया था। बनावली, हरियाणा में स्थित एक हड़प्पाकालीन स्थल है। राव ने राम की पहचान सुमेरियन राजा रिम-सिन प्रथम से और उनके प्रतिद्वंद्वी रावण की पहचान बेबीलोन के राजा हम्मुराबी से की थी। उन्होंने सिंधु मुहरों को समझने का दावा किया और कहा कि उन मुहरों पर “राम सेना” (रिम-सिन) और “रवानी दामा” शब्द पाए गए थे।

पाकिस्तान में पैदा हुए थे राम?

2015 में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अब्दुल रहीम कुरैशी ने एक पेपर ‘फैक्ट्स ऑफ अयोध्या एपिसोड’ प्रकाशित किया और तर्क दिया कि राम का जन्म पाकिस्तान के रहमान ढेरी में हुआ था। उन्होंने अपने निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व अधिकारी जस्सू राम के लेखन का हवाला दिया। उन्होंने तर्क दिया कि 11वीं शताब्दी में प्राचीन शहर साकेत का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया था।

किसी प्राचीन ग्रंथ में जन्मस्थान का जिक्र नहीं- इतिहासकार

साल 2009 में फ्रंटलाइन को दिए इंटरव्यू में इतिहासकार डीएन झा ने कहा था, “जन्म स्थान शब्द भी किसी भी ग्रंथ में मौजूद नहीं है। स्कंद पुराण एक अनाकार ग्रंथ है और इसकी रचना 14वीं शताब्दी से लेकर 18वीं शताब्दी तक चली है। केवल अंतिम चरण में [18वीं शताब्दी के आसपास] जन्म स्थान का उल्लेख किया गया है। तो, जन्म स्थान का पूरा विचार 19वीं सदी में ही महत्वपूर्ण हो जाता है। बेशक, संघर्ष थे, लेकिन उनका समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं है। यह देखना महत्वपूर्ण है कि पहले के काल में हमें अयोध्या से कोई मूर्ति नहीं मिलती है। उत्तर प्रदेश के संग्रहालयों में दो या तीन कैटलॉग हैं। एक लखनऊ में, एक इलाहाबाद में और एक फैजाबाद यानी अयोध्या में। किसी भी कैटलॉग में राम का उल्लेख नहीं है।”

क्या बाबर ने मस्जिद तोड़कर मंदिर बनवाई थी?

भाजपा, वीएचपी व अन्य हिंदुत्ववादी संगठन यह दावा करते रहे हैं कि मुगल शासक बाबर ने अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बने मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद बनाई थी। लेकिन इतिहासकारों का एक वर्ग इसे खारिज करता रहा है। 1990 में राम शरण शर्मा (R.S Sharma), द्विजेंद्र नारायण झा (D.N. Jha), एम. अख्तर अली (M.A. Ali) और सूरज भान (Suraj Bhan) जैसे इतिहासकारों ने केंद्र सरकार को ‘राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद: ए हिस्टॉरियन्स रिपोर्ट टू द नेशन’ नामक एक रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया था कि किसी मंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद नहीं बनाई गई थी। इतिहासकार डीएन झा ने फ्रंटलाइन को दिए एक इंटरव्यू भी इस बात को कई उदाहरणों से साबित किया है। विस्तार से पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें:

Ram Mandir History
बीजेपी ने लिखा- 1556 में बाबर ने मंदिर तोड़ मस्जिद बनाई, इतिहासकार ने बताया- वह 1530 में ही मर गया था