कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए नामांकन से भी पहले पार्टी में एक नई लड़ाई के संकेत बन गए हैं। यह लड़ाई राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत बनाम कांग्रेस आलाकमान की होती दिख रही है। गहलोत समर्थक विधायकों ने सोमवार को भी केंद्रीय नेताओं से मिलने से मना कर दिया। इसके बाद अजय माकन ने इसे अनुशासनहीनता करार दिया।
गहलोत समर्थक 90 विधायकों ने रविवार की रात भी जयपुर में पार्टी द्वारा बुलाई गई बैठक का बहिष्कार किया था और धमकी दी थी कि उनकी मांगें नजरअंदाज की गईं तो वे इस्तीफा दे देंगे। उनकी मांग यह है कि सचिन पायलट सीएम नहीं बनाए जाएं। अशोक गहलोत भी इन विधायकों को शांत करने के लिए कुछ करते नहीं दिखाई दे रहे हैं।
पायलट के भी सख्त हुए तेवर
मीडिया में ऐसी भी जानकारी आ रही है कि सचिन पायलट ने भी तेवर सख्त कर लिए हैं। बताया जाता है कि उन्होंने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को 12 घंटे में 14 बार फोन किया और साफ जता दिया कि पंजाब की तरह ही राजस्थान में भी पार्टी को फैसला लेना चाहिए, क्योंकि गहलोत खेमे के द्वारा किए जा रहे अपमान को सहना अब उनके लिए बर्दाश्त से बाहर हो गया है।
बता दें कि पंजाब में विधानसभा चुनाव से ऐन पहले अमरिंंदर सिंंह से इस्तीफा लेकर कांग्रेस ने चरणजीत सिंंह चन्नी को मुख्यमंत्री और नवजोत सिंंह सिद्धू को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया था। हालांकि, कांग्रेस चुनाव हार गई थी।
अब कमलनाथ करेंगे मध्यस्थता
राजस्थान में गतिरोध खत्म नहीं होता देख कांग्रेस ने कमलनाथ को मध्यस्थ बनाया है। इससे पहले जयपुर गए कांग्रेस के पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन सोमवार को दोपहर बाद जयपुर से दिल्ली लौट गए। जयपुर से रवाना होने से पहले अशोक गहलोत ने भी उनसे मुलाकात की, लेकिन उनके समर्थकों के तेवर गरम ही रहे। बता दें कि माना जा रहा है कि गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में कांग्रेस आलाकमान की पसंद हैं, लेकिन अब उनकी छवि बागियों के नेता की बनती लग रही है।
गहलोत खेमे के विधायकों का मानना है कि नए सीएम की नियुक्ति के लिए कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक बुलाने का निर्णय ही चौंकाने वाला था क्योंकि मुख्यमंत्री ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन पत्र भी दाखिल नहीं किया है। कांग्रेस के कुछ नेताओं का यह भी मानना है कि राहुल गांधी का गहलोत को सार्वजनिक संकेत देना कि वह दोनों पदों की उम्मीद नहीं रख सकते, सीएम के लिए शर्मिंदा करने वाला था।
क्या गहलोत को शक्ति प्रदर्शन पडे़गा महंगा?
गहलोत खेमे के विधायकों के गरम तेवरों पर आलाकमान भी नरम नहीं दिख रहा है। अजय माकन ने विधायकों की हरकत को अनुशासनहीनता बताते हुए कहा, ”प्रताप खाचरिवास, शांति धारीवाल और सीपी जोशी अशोक गहलोत के नुमाइंदे के तौर पर हमारे पास आए। उन्होंने तीन शर्तें रखीं। सबसे पहले उन्होंने कहा, बेशक आप अगर कांग्रेस अध्यक्ष के ऊपर फैसला छोड़ने का प्रस्ताव पेश करना चाहते हैं तो ठीक है लेकिन नया मुख्यमंत्री 19 अक्तूबर को कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के बाद चुना जाए और प्रस्ताव को इसके बाद ही अमल में लाया जाए। चूंकि गहलोत स्वयं कांग्रेस अध्यक्ष पद के प्रत्याशी है, इसलिए यह हितों का टकराव होगा, कल यदि वे अध्यक्ष चुने जाते हैं, तो क्या वे इस पर फैसला करेंगे?” सोमवार को भी केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने गहलोत खेमे के विधायकों की हरकतों को अनुशासनहीनता बताया।
इस तरह कांग्रेस ने अपना स्टैंड क्लियर कर दिया कि विधायकों की शर्त नहीं मानी जाएगी। फैसला हाईकमान ही करेगा। राहुल गांधी भी उदयपुर फॉर्मूला ‘वन मैन, वन पोस्ट’ पर अड़े हुए हैं। अनुशासनहीनता के मामले में कई नेताओं पर एक्शन भी लिया जा सकता है। ऐसे में अब मामला गहलोत बनाम कांग्रेस हाईकमान होता नजर आ रहा है।
गहलोत खेमा अपनी ताकत दिखाना की कोशिश कर रहा है। कांग्रेस नेतृत्व को ऐसे सार्वजनिक गतिरोध का अनुमान नहीं था। लेकिन अब कांग्रेस की तरफ से सधा हुआ बयान आ रहा है। ऐसे में गहलोत का बाहुबल दिखाना कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव भी प्रभावित कर सकता है।