पिछले दिनों कनाडा हवाई अड्डे से फ्लाइट लेने पहुंचे सीएमए बशीर को एयरपोर्ट अथॉरिटी ने हिरासत में लिया। सीएमए बशीर को भारत में प्रतिबंधित इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) के शुरुआती कट्टरपंथी नेताओं में से एक माना जाता है। मुंबई में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की मानें तो बशीर के प्रत्यर्पण के प्रयास जारी हैं। बशीर पर आरोप है कि वह 2002-03 के मुंबई विस्फोट मामले शामिल था। हमले में 12 लोगों की जान चली गई थी। इस मामले में बशीर के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी है।

इंटरपोल द्वारा जारी नोटिस में बशीर को “हत्या करने, हत्या का प्रयास करने, साजिश रचने, विस्फोटकों का उपयोग कर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, प्रतिबंधित हथियार रखने और आतंकवादी कार्य में लिप्त” माना गया है।

बशीर ने की है एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई

सीएमए बशीर का जन्म साल 1961 में हुआ था। चनेपरम्बिल अब्दुलखादर और बयाथू के सबसे छोटे बेटा बशीर ने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है। सिमी की संगत में वह अलुवा (Aluva) पहुंचा, जो उसके गांव कपरासेरी (Kaprassery) के नजदीक ही है। साल 2001 से पहले अलुवा में सिमी का मजबूत आधार था। 1980 के अंत में बशीर को सिमी का अखिल भारतीय अध्यक्ष बनाया गया था।  

यही वह समय था, जब सिमी के भीतर कट्टरपंथी तत्वों ने ताकत हासिल करना शुरू कर दिया था, जिससे उसके मूल निकाय जमात-ए-इस्लामी हिंद ने धीरे-धीरे खुद को संगठन से दूर कर लिया। बशीर को सिमी में कट्टरपंथी धारा के प्रमुख व्यक्तियों में से एक माना जाता था। हिंसक जिहाद के विचार का प्रचार करने के लिए 80 के दशक की शुरुआत में अफगान-सोवियत युद्ध को आधार बनाकर सिमी के भीतर कई लोगों को उकसाया गया।

बशीर को पाकिस्तान में दी गई थी ट्रेनिंग

बशीर के पूर्व सहयोगियों का कहना है कि 80 के दशक के मध्य में बशीर, सिमी के भीतर कुछ कट्टरपंथी तत्वों के साथ पाकिस्तान गया, जहां उसे अफगानिस्तान से सटे उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत में ट्रेनिंग दी गई। माना जाता है कि ग्रुप के कुछ सदस्य अफगानिस्तान चले गए और अब्दुल रसूल सय्यफ़ जैसे लोगों के साथ बैठकें कीं, जो अफगान सरदार था। सय्याफ के बारे में ऐसा माना जाता है कि उसने ओसामा बिन लादेन को अफगानिस्तान बुलाया था।

अदालत के रिकॉर्ड कहते हैं कि बशीर को इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) ने पाकिस्तान में और अधिक भर्तियों को भेजने के लिए कहा था लेकिन उसके पूर्व सहयोगियों का कहना है कि वह ऐसा करने के लिए बहुत से लोगों को मनाने में कामयाब नहीं हुआ।

बशीर का मकसद कथित तौर पर सुरक्षित ठिकाने किराए पर लेना था, जहां ये कट्टरपंथी छिप सकें और गुजरात सीमा के पार तस्करी करके लाए गए हथियारों के जखीरे को जमा कर सकें।

1992 के मध्य में खालिस्तानी आतंकवादियों को शरण देने के आरोप में बशीर, साकिब नचन और खालिस्तानी आतंकवादी लाल सिंह के करीबी दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था। गुजरात की एक अदालत ने इन सभी को Terrorism and Disruptive Activities (Prevention) के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। मामले में बशीर को फरार बताया गया था।

अब 62 साल का बशीर

साल 2011 में बशीर का नाम भारत के 50 मोस्ट वांटेड अपराधियों की सूची में था। अब 62 साल के बशीर ने पिछले एक दशक से खुद को काफी हद तक लो-प्रोफाइल बनाए रखा था, फिर भी वह हमेशा खुफिया रडार पर बना रहा।

सुरक्षा एजेंसियों को संदेह था कि वह मध्य पूर्व से ऑपरेट कर रहा है। आरोप है कि उसने कथित तौर पर सिमी और इंडियन मुजाहिदीन की आतंकवादी गतिविधियों को फंड किया। बशीर कथित तौर पर केरल के एक सिमी नेता सरफराज नवाज सहित कई अन्य कट्टरपंथी तत्वों का संचालक था, जो कथित तौर पर कई आतंकी मामलों में शामिल थे।

बशीर के गांव के एक सूत्र के मुताबिक, एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में अपना डिप्लोमा पूरा करने के बाद, वह प्रशिक्षण के लिए बेंगलुरु चला गया। इसके बाद से वह परिवार के संपर्क में नहीं था। वह शायद तीन दशकों में घर नहीं आया है। आखिरी बार उसने परिवार को 1999 या 2000 के आसपास फोन किया था।