प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के हालिया एपिसोड में अपनी लिखी एक किताब का जिक्र किया था। पीएम मोदी ने 25 जून, 1975 को लगाए गए आपातकाल को “भारत के इतिहास का काला अध्याय” बताते हुए कहा था कि उन्होंने भी इस अवधि का वर्णन करते हुए एक किताब लिखी थी।
इंदिरा गांधी के आपातकाल को केंद्र में रखकर गुजराती में लिखी गई इस किताब का नाम ‘संघर्ष में गुजरात’ है। नरेंद्र मोदी की यह किताब आपातकाल खत्म होने के बाद साल 1978 में प्रकाशित हुई थी। यह उनकी पहली किताब थी। तब मोदी लगभग 20 साल के थे और आरएसएस में बतौर प्रचारक कार्यरत थे।
किताब में नरेंद्र मोदी ने आपातकाल के दौरान भूमिगत होकर बिताए समय, सरकार से बचने के लिए बदले अलग-अलग हुलियों और रणनीतियों का विवरण दिया है।
‘आजादी की दूसरी लड़ाई’
अपनी किताब में नरेंद्र मोदी लिखते हैं कि आरएसएस और जनसंघ ने आपातकाल विरोधी प्रदर्शनों को “आजादी की दूसरी लड़ाई” के रूप में देखा। संघ ने ही विभिन्न विचारधाराओं के नेताओं को “इंदिरा गांधी की तानाशाही” के खिलाफ साथ आकर लड़ने के लिए कहा।
मोदी अपनी किताब में बताते हैं कि इंदिरा गांधी सरकार के आपातकाल के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए कई नेताओं ने गुजरात का दौरा किया। उन नेताओं में जयप्रकाश नारायण, सुब्रमण्यम स्वामी, सरदार वल्लभभाई पटेल की बहन मणिबेन, मोरारजी देसाई, लालकृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी समेत अन्य नेताओं का नाम शामिल है।
मुसलमानों के लिए खाना बनाते थे स्वयंसेवक
आपातकाल के खिलाफ लड़ने वालों संगठनों में नरेंद्र मोदी ने जमात-ए-इस्लामी हिंद का भी जिक्र किया है। तब इंदिरा सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तरह जमात-ए-इस्लामी हिंद पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। दोनों संगठनों के कई सदस्य एक साथ जेल में बंद थे।
मोदी लिखते हैं, “जेल में विभिन्न विचारधारा के लोग एक साथ थे। सभी एक दूसरे से जमकर बहस करते थे। फिर भी एक अद्भुत सौहार्द था। संघ कार्यकर्ताओं को मुसलमानों के दुश्मन के रूप में चित्रित करने की कांग्रेस की कोशिशों को संघ कार्यकर्ताओं ने अपने व्यवहार से विफल कर दिया। जेल में संघ कार्यकर्ताओं और उनके मुस्लिम मित्रों के बीच अविश्वसनीय भाईचारा था! जब वे नमाज पढ़ते हैं तो सभी पूरा अनुशासन बनाए रखते। रमज़ान के महीने में संघ कार्यकर्ता रात में 2 बजे उठते थे और अपने मुस्लिम दोस्तों के लिए खाना बनाते थे।”
शंकर सिंह वाघेला ने सीखी उर्दू
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय सदस्य रहे शंकर सिंह वाघेला को भी आपातकाल के दौरान उन्हें जेल में डाल दिया गया था। वाघेला बाद में जनसंघ और भाजपा में भी रहे। आपातकाल हटने के बाद वह जनता पार्टी की टिकट से लोकसभा सांसद (1977-1979) बने थे। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में वाघेला का कार्यकाल 23 अक्टूबर 1996 से 27 अक्टूबर 1997 तक रहा था।
इन्हीं शंकर सिंह वाघेला के बारे में मोदी ने अपनी किताब में लिखा हैं कि जेल में शंकर सिंह वाघेला ने जमात-ए-इस्लामी हिंद के सदस्यों से उर्दू सीखी थी। जमात के साथी भी सभी कार्यक्रमों में शामिल होते थे।