पश्चिम उत्तर प्रदेश में मथुरा की मांट सीट से विधायक और बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता राजेश चौधरी इन दिनों एकदम से मीडिया की सुर्खियों में आ गए हैं। इसके पीछे उनका वह बयान है जो उन्होंने उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बीएसपी प्रमुख मायावती के लिए दिया था। राजेश चौधरी ने एक टीवी चैनल पर डिबेट के दौरान मायावती को उत्तर प्रदेश की सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री बताया था।

चौधरी के बयान के बाद मायावती तो नाराज हुई ही थीं लोगों को हैरानी तब हुई थी जब सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस बयान पर ऐतराज जताया था। मायावती ने कहा था कि भाजपा विधायक दिमागी तौर पर बीमार हैं और उनका इलाज करवाया जाना चाहिए जबकि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा था कि वंचित वर्ग से आने वाली एक महिला मुख्यमंत्री का अपमान करने के चलते राजेश चौधरी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए।

राजेश चौधरी लंबे वक्त से राजनीति में सक्रिय हैं और वह बीजेपी के मुद्दों पर काफी मुखर रहे हैं। उन्हें संगठन का आदमी माना जाता है और पार्टी का संकट मोचक भी कहा जाता है।

एबीवीपी के जरिये राजनीति में आए चौधरी

राजेश चौधरी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में काम करते हुए राजनीति में कदम रखा था। उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा में कई पदों पर जिम्मेदारी दी गई। वह आरएसएस के कई संगठनों से भी जुड़े रहे हैं। बजरंग दल में रहने के दौरान राजेश चौधरी गो रक्षा की वकालत करते रहे हैं।

1992 में जब बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराया गया था तो राजेश चौधरी जोशी के नेतृत्व वाली बीजेपी की टीम का हिस्सा थे।

राजेश चौधरी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और हमीरपुर के सांसद अनुराग ठाकुर की टीम के सदस्य के रूप में भी काम किया है और इस दौरान वह पार्टी नेतृत्व के काफी करीब पहुंचने में कामयाब रहे।

चुनाव में आठ बार के विधायक को हराया

राजेश चौधरी के राजनीतिक करियर को सही मायने में ऊंचाई तब मिली जब उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनाव में मांट सीट से श्याम सुंदर शर्मा को हरा दिया। श्याम सुंदर शर्मा इस सीट से आठ बार विधायक का चुनाव जीत चुके थे। चौधरी को लगभग 9500 हजार वोटों से जीत मिली थी।

श्याम सुंदर शर्मा को चुनाव हराने के बाद चौधरी बीजेपी के एक युवा जाट चेहरे के रूप में आगे आए हैं।

राजेश चौधरी के हालिया बयान पर विवाद होने के बाद जब अखिलेश यादव बसपा प्रमुख मायावती के समर्थन में उतरे तो यह भी चर्चा उत्तर प्रदेश की राजनीति में शुरू हुई कि बसपा और सपा का जल्द ही गठबंधन हो सकता है। हालांकि मायावती ने इस तरह की चर्चाओं को पूरी तरह खारिज कर दिया।

चौधरी के साथ खड़े रहे बीजेपी नेता

इस मामले में बीजेपी के तमाम नेता अपने विधायक के साथ खड़े रहे और उन्होंने अखिलेश यादव के बयान को पूरी तरह खारिज कर दिया। भाजपा नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि बीएसपी प्रमुख के खिलाफ दिए गए राजेश चौधरी के बयान में कुछ भी अपमानजनक नहीं था और विपक्ष उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव की वजह से इस मामले में जाति का एंगल दे रहा है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि बीजेपी कभी भी विपक्ष के नेताओं का अपमान नहीं करती है। उन्होंने कहा था कि अखिलेश यादव को 1995 में हुए गेस्ट हाउस कांड के लिए माफी मांगनी चाहिए। मौर्य ने कहा था कि सपा का इतिहास ही ओबीसी, एससी और एसटी विरोधी रहा है।

राजेश चौधरी सोमवार को कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य भाजपा नेताओं के साथ मंच पर मौजूद रहे।