लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा के खराब प्रदर्शन के बाद लगातार पार्टी और आरएसएस के बीच सबकुछ ठीक नहीं होने की खबरें सामने आ रही थीं। आरएसएस और बीजेपी के नेता भी कई मौकों पर एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी और दोषारोपण करते हुए नजर आए। पर, अब ऐसा लगता है दोनों ने इन दूरियों को भुला कर आने वाले विधानसभा चुनावों पर फोकस करना शुरू कर दिया है।
लोकसभा चुनावों के दौरान आरएसएस कैडर के एक बड़े वर्ग के चुनाव अभियान से दूर रहने के बाद भाजपा ने आगामी महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए आरएसएस-भाजपा कोऑर्डिनेशन कमेटी का गठन किया है। महाराष्ट्र में, आरएसएस के संयुक्त महासचिव अतुल लिमये को अभियान के लिए भाजपा और आरएसएस के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए कहा गया है।
महाराष्ट्र भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने एक न्यूज़पेपर से बातचीत के दौरान कहा, “लोकसभा चुनावों के दौरान, आरएसएस के कई कैडर अभियान से दूर रहे थे और महायुति उम्मीदवारों के लिए समर्थन जुटा रहे थे क्योंकि वे गठबंधन में अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के शामिल होने से नाराज थे। इसके साथ ही दोनों के बीच कई अन्य आंतरिक मुद्दे भी थे। हालांकि, इसके बाद दोनों के बीच समन्वय स्थापित करने के प्रयास किए गए हैं।”
बीजेपी और आरएसएस के बीच दूरियां कम करने की कोशिश
हालांकि, चुनाव परिणाम सामने आने के बाद बीजेपी और आरएसएस के बीच दूरियां पाटने की कोशिश की गई है। आरएसएस के वरिष्ठ सदस्य सुरेश सोनी भाजपा और आरएसएस दोनों में शीर्ष नेतृत्व के बीच मध्यस्थता कर रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि सरकार ने हाल ही में एक आदेश जारी किया है जिसमें सरकारी अधिकारियों पर आरएसएस का सदस्य होने पर प्रतिबंध हटा दिया है। इसे भी दोनों के बीच दूरियाँ पाटने के एक कदम के रूप में देखा जा रहा है।

महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उसे दो राज्यों में अपनी सरकार बनाए रखनी है और तीसरे में वह सत्ता में वापस आने की उम्मीद कर रही है।
शिवसेना और बीजेपी के बीच चल रहे शब्द बाण
इस सबके बीच महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में राजनीतिक हवा गर्म हो गई है और बड़े मंत्री वाकयुद्ध में उलझे हुए हैं। शनिवार को ठाणे में पार्टी-कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि अयोध्या के लोगों ने भाजपा मुक्त राम बना दिया है। उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर केंद्र सरकार के सामने झुकने का आरोप लगाया। ठाकरे ने कहा कि कि आगामी विधानसभा चुनाव उन लोगों के खिलाफ है जो महाराष्ट्र की वृद्धि और विकास से नफरत करते हैं।
उद्धव ठाकरे पर भाजपा का पलटवार
उद्धव ने कहा, “मेरे सैनिक (पार्टी-कार्यकर्ता) मेरे ‘वाघ-नख’ (बाघ-पंजे वाला हथियार) हैं इसलिए मैं अब्दाली से नहीं डरता।” जिसके बाद महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष चन्द्रशेखर बावनकुले ने रविवार को कहा, “औरंगजेब फैन क्लब के नेता, जनाब उद्धव ठाकरे ठाणे गए और भाजपा-मुक्त राम बनाने के बारे में बहुत शोर मचाया। लेकिन मैं आपको बता दूं कि यह आपके लिए इस जीवनकाल में भी संभव नहीं होगा। लोग ठाकरे की रैलियों में हरे झंडों को नहीं भूले हैं। मुसलमानों के एक समूह ने उनके आवास ‘मातोश्री’ के बाहर यह मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया कि वह वक्फ बोर्ड का समर्थन क्यों नहीं कर रहे हैं, जबकि उन्होंने बड़ी संख्या में मतदान किया और लोकसभा में उनकी पार्टी के नौ सदस्यों के चुनाव में मदद की।

बावनकुले ने उद्धव ठाकरे पर आरोप लगाते हुए एक्स पर लिखा, “उन्होंने भगवा छोड़ दिया और छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत से खुद को दूर कर लिया। इसके बजाय, वह औरंगजेब के उत्तराधिकारियों की पालकी उठा रहे हैं। यह आपके पतन की शुरुआत है। निजी स्वार्थ के लिए आप आदरणीय बालासाहेब को भूल गए, महाराष्ट्र की जनता आपको माफ नहीं करेगी।”
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले अब्दाली और औरंगजेब की लड़ाई
शब्दों की यह लड़ाई तब शुरू हुई जब 21 जुलाई को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शरद पवार को भ्रष्टाचार का गॉडफादर और उद्धव ठाकरे को ‘औरंगजेब फैन क्लब’ का नेता कहकर महा विकास अघाड़ी पर हमला किया। इस पर ठाकरे ने अमित शाह को ‘आधुनिक अफगानिस्तान के संस्थापक अहमद शाह अब्दाली का उत्तराधिकारी’ कहा।
वहीं, शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने किसी का नाम लिए बिना कहा, “अब्दाली को मराठियों को एक-दूसरे से लड़ते हुए देखने में मजा आता है। इन लोगों ने अहमद शाह अब्दाली से सुपारी ली है जो नई दिल्ली में बैठकर महाराष्ट्र में अराजकता फैलाने के लिए सुपारी देता है। पार्टी-कार्यकर्ताओं को यह समझने की जरूरत है कि उन्हें मोहरे के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। यह हमारे राज्य के लिए स्वस्थ्य नहीं है। मैं किसी पार्टी का नाम नहीं लेना चाहता लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि वे लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव करीब आ रहे हैं।”
बजट के जरिये विधानसभा चुनाव से पहले जनता को लुभाने की कोशिश
इससे पहले वित्तीय वर्ष 2024-25 के पहले चार महीनों के लिए फरवरी में अंतरिम बजट पेश करने के बाद, डिप्टी सीएम अजीत पवार ने जून में एक सप्लिमेंट्री बजट पेश किया जिसमें विधानसभा चुनाव से पहले महायुति सरकार के लिए कुल खर्च 6.12 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया गया।
चुनाव पूर्व बजट में माझी लड़की बहिन योजना शुरू की गई, जिसके तहत पात्र महिलाओं को प्रति माह 1,500 रुपये दिये जाएंगे जिसकी वार्षिक लागत 46,000 करोड़ रुपये है। सरकार ने यह भी बताया कि वह पिछड़े वर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की लड़कियों की उच्च शिक्षा के लिए ट्यूशन और परीक्षा शुल्क का 100% कवर करने के लिए प्रतिबद्ध है।
माझी लड़की बहिन योजना और किसानों के लिए कई रियायतों के साथ, महायुति गठबंधन विधानसभा चुनावों में अपनी संभावनाएं बढ़ाने की उम्मीद कर रहा है, खासकर लोकसभा चुनावों में अपने खराब प्रदर्शन के बाद।