लोकसभा चुनाव 2024 में क्रिकेटर यूसुफ पठान बरहामपुर के मैदान में जम कर पसीना बहा रहे हैं। उनका मुकाबला राजनीति के माहिर खिलाड़ी अधीर रंजन चौधरी से है। यह एक ऐसा मुकाबला है जिसमें उतरते ही उनकी पहचान बदल गई है। वह स्टार क्रिकेटर से टीएमसी के ‘मुस्लिम उम्मीदवार’ बन गए हैं। आखिर ममता बनर्जी ने उन्हें चुना भी इसी आधार पर है। 52 फीसदी मुस्लिम मतदाताओं वाले क्षेत्र के लिए एक मुस्लिम उम्मीदवार, जिसके क्रिकेटर होने के चलते लोग उनसे जुड़ सकते हैं।
वैसे, पठान कोई पहले क्रिकेटर नहींं हैं जो राजनीति का कोई अनुभव लिए बिना उस क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं जहां से उनका कोई वास्ता नहीं रहा हो। अजहरुद्दीन (मोरादाबाद), मो. कैफ (फूलपुर) जैसे क्रिकेटर भी ऐसा कर चुके हैं।
टीएमसी ने भले ही यूसुफ पठान की राजनीति में एंट्री कराई है, बल्कि वह क्रिकेटर से काफी पहले नेता बन चुके कीर्ति आजाद को भी लड़ा रही हैं। कुछ ऐसे ही 2019 में दिल्ली से गौतम गंभीर का राजनीतिक सफर शुरू हुआ था, जो इस चुनाव में खत्म भी हो गया। कई और क्रिकेटर राजनीति के मैदान में उतर कर अच्छी पारी खेल चुके हैं।
कीर्ति आजाद- बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भगवत झा आजाद के बेटे कीर्ति आजाद ने 1999 में भाजपा के टिकट पर बिहार की दरभंगा सीट से चुनाव जीता था। हालांकि, 2024 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था पर 2014 में वह अपनी सीट वापस पाने में सफल रहे। 2019 के आम चुनावों में 5 लाख से ज्यादा वोटों से बुरी तरह हारने के बाद कीर्ति ने साल 2012 में भाजपा छोड़कर टीएमसी का हाथ थाम लिया।
गौतम गंभीर- 2007 और 2011 में भारत के विश्व कप जीत में अहम भूमिका निभाने वाले गौतम गंभीर 2019 में भाजपा की टिकट पर पूर्वी दिल्ली से जीते थे। मार्च 2019 में वह केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली और रविशंकर प्रसाद की उपस्थिति में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। वह 2019 के आम चुनाव में पूर्वी दिल्ली से पार्टी के उम्मीदवार बने थे। गौतम ने आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी आतिशी मार्लेना और कांग्रेस के अरविंदर सिंह लवली को हराया था। 2024 में चुनाव उम्मीदवारों की घोषणा से ठीक पहले उन्होंने राजनीति छोड़ दी। गंभीर का कहना है कि वो अपने क्रिकेट कमिटमेंट पर ध्यान देना चाहते हैं।
नवजोत सिंह सिद्धू- भाजपा के टिकट पर अमृतसर (2004 और 2007 उपचुनाव, और 2009 आम चुनाव) से तीन बार जीत का स्वाद चखने वाले सिद्धू अब कांग्रेस में हैं। दिसंबर 2006 में उनपर मुकदमा चलाया गया। नवजोत सिंह सिद्धू को झगड़े में एक व्यक्ति को चोट पहुंचाकर उसकी गैर इरादतन हत्या के लिये तीन साल कैद की सजा सुनायी गयी थी। सजा का आदेश होते ही सिद्धू ने लोकसभा की सदस्यता से जनवरी 2007 में त्यागपत्र देकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली। उच्चतम न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा दी गयी सजा पर रोक लगाते हुए फरवरी 2007 में सिद्धू को अमृतसर लोकसभा सीट से दुबारा चुनाव लड़ने की इजाजत दे दी थी।
इसके बाद 2007 में हुए उप-चुनाव में उन्होंने सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के सुरिंदर सिंगला को भारी अंतर से हराकर अमृतसर की सीट दोबारा हथिया ली थी। 2009 के आम चुनाव में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ओम प्रकाश सोनी को 6858 वोटों से हराकर अमृतसर की सीट पर तीसरी बार विजय हासिल की। तब से लेकर आज तक वे अमृतसर की लोकसभा सीट से जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। 2016 में भाजपा छोड़ ने के बाद, 2017 मे नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी।
मोहम्मद कैफ- 2003 की विश्व कप विजेता टिम का हिस्सा रहे कैफ 2014 में कांग्रेस के टिकट पर फूलपुर से चुनाव हार गए थे। वह भाजपा के केशव प्रसाद मौर्य से हार गए थे। अपनी हार के बाद कैफ ने राजनीति छोड़ दी। 2018 में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि वह राजनीति में शामिल होने और एक बार फिर चुनाव लड़ने के बारे में नहीं सोच रहे हैं लेकिन कभी नहीं लड़ेंगे ऐसा भी नहीं कहेंगे।
फतेहसिंहराव गायकवाड़- बड़ौदा के राजा फतेहसिंहराव गायकवाड़ ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेली है। वह बीसीसीआई के प्रेसिडेंट और क्रिकेट मैनेजर भी रहे हैं। उन्होंने 1957, 1962, 1971 और 1977 के चुनावों में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया था।
डॉ विजय आनंद ‘विजी’- विजयनगरम के महाराजा ने 1930 में तीन टेस्ट मैचों में भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी की थी। हालांकि, उनकी ज्यादा चर्चा उनकी रेडियो कमेंट्री के लिए होती रही है। वह विशाखापट्टनम से 1962 में कांग्रेस के टिकट पर जीते थे।
मंसूर अली खान पटौदी- भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम की कप्तानी से हटाये जाने के बाद पटौदी ने 1971 में गुड़गांव से लोअर हाउस का चुनाव लड़ा था। उनकी पार्टी का नाम विशाल हरियाणा पार्टी था। बीस साल बाद, उन्होंने भोपाल से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था हालांकि इस बार भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
बंसी लाल की गुगली से बोल्ड हुए पटौदी- 1971 में मंसूर अली खान पटौदी हरियाणा के राजनीतिज्ञ बंसी लाल के खिलाफ चुनाव मैदान में थे। प्रचार के दौरान बंसी लाल हरियाणा के लोगों से कहते थे, “आप पटौदी को वोट देना चाहते हैं? उनके चुनाव जीतने से आपको क्या फायदा होगा? उनसे मिलने के लिए आपको स्टेडियम जाना पड़ेगा और आपको पता है कि देश में क्रिकेट स्टेडियम में घुसना कितना मुश्किल है? मान लो आप घुस भी जाएं तो वो आपको क्या दे सकेंगे, एक बैट और एक बॉल।”
चेतन चौहान- सुनील गावस्कर के साथ क्रिकेट टीम में ओपनिंग पार्टनर रहे चेतन चौहान 1991 और 1998 में अमरोहा से भाजपा की टिकट पर चुनाव जीते थे। हालांकि बाद में 1996, 1999 और 2004 के चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2009 में एक पत्रकार से बात करते हुए उन्होंने कहा था, ‘क्रिकेट में आप सिर्फ एक गेंद का सामना करते हैं, जो एक गेंदबाज फेंकता है लेकिन राजनीति में आपको नहीं पता होता कि कौन सी गेंद कहां से आने वाली है। चेतन चौहान का 2020 में कोविड से निधन हो गया।

चेतन शर्मा- 1987 वर्ल्ड कप में हैट्रिक लेने वाले चेतन शर्मा 2009 में फरीदाबाद से बसपा की टिकट पर चुनाव लड़े थे लेकिन जीत नहीं पाए। वह इस सीट पर तीसरे स्थान पर आए थे।

मोहम्मद अजहरुद्दीन- तीन विश्व कप में भारत का नेतृत्व करने वाले अजहरुद्दीन 2009 में मुरादाबाद से कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में जीते थे। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के कुंवर सर्वेश कुमार् सिंह को हराया था। उन्हे इस चुनाव में 50000 से ज़्यदा मत मिले थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में वह टोंक से हार गए थे।
रानी नाराह- असम महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान रानी नाराह 1998, 1999 और 2009 में लखीमपुर से कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा सांसद रहीं थीं।
मनोज प्रभाकर- भारतीय क्रिकेट टीम के ऑलराउंडर मनोज प्रभाकर 1996 में ऑल इंडिया इंदिरा कांग्रेस (तिवारी) की टिकट पर दक्षिण दिल्ली से चुनाव लड़े थे लेकिन हार गए थे।

रंजीब बिस्वाल- ओडिशा के पूर्व उप-मुख्यमंत्री बसंत कुमार बिस्वाल के बेटे रंजीब 1996 और 1998 में जगतसिंहपुर से चुनाव जीते थे। इसके बाद लोकसभा चुनाव 2014 में वह केंद्रापाड़ा से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीते थे। उन्होंने अंडर-19 इंटरनेशनल क्रिकेट खेला था।
अश्विनी मिन्ना- पंजाब के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलने वाले अश्विनी ने अपने पहले शिकार के रूप में गावस्कर का विकेट लिया था। 2014 में वह भाजपा के टिकट पर जीते थे।
अनुराग ठाकुर- हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर ने 2000 में जम्मू और कश्मीर के खिलाफ एक रणजी मैच खेला था। वह 1998 के हमीरपुर उपचुनाव से लगातार लोकसभा चुनाव जीत रहे हैं।