लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान नेताओं के मुंह से भले ही महंगाई का ज्‍यादा शोर नहीं सुनाई दे रहा हो, लेक‍िन जनता इससे परेशान है। एक सर्वे के मुताब‍िक करीब 23 प्रत‍िशत लोग इसे बड़ा चुनावी मुद्दा मानते भी हैंं। इस बीच अंग्रेजी अखबार ‘द ह‍िंंदू’ ने डेटा का व‍िश्‍लेषण कर एक न‍िष्‍कर्ष न‍िकाला है। इससे भी यही बात साब‍ित होती है।

श्रुत‍ि बालाजी और व‍िग्‍नेश राधाकृष्‍णन द्वारा महाराष्‍ट्र से संबंध‍ित आंकड़ों का व‍िश्‍लेषण कर न‍िष्‍कर्ष न‍िकाला गया है क‍ि पांच साल में जहां घर में बने शाकाहारी खाने की थाली की औसत कीमत 71 फीसदी तक बढ़ गई है, वहीं इस दौरान न‍ियम‍ित नौकरी करने वाले लोगों की मास‍िक आय मात्र 37 प्रत‍िशत बढ़ी है। हालांक‍ि, अस्‍थायी काम करने वालों (कैजुअल मजदूरों) की कमाई इस दौरान 67 प्रत‍िशत बढ़ी है। लेक‍िन, एक सच यह भी है क‍ि इन मजदूरों की कमाई का बड़ा ह‍िस्‍सा खाना पर ही खर्च होता है।

महाराष्ट्र में दो बार का भोजन (शाकाहारी) बनाने के ल‍िए जरूरी सामग्रियों की औसत लागत इस साल 79.2 रुपये, पिछले साल 64.2 रुपए और 2019 में 46.2 रुपए आंकी गई। इस तरह महाराष्ट्र के एक घर में हर दिन दो शाकाहारी थाली बनाने की मास‍िक लागत 2019 में 1,386 रुपये से बढ़ कर 2024 में 2,377 रुपये हो गई।

महाराष्ट्र में एक व्यक्ति का औसत वेतन 17 हजार से बढ़कर 23 हजार रुपये हुआ

महाराष्ट्र में एक व्यक्ति की दैनिक औसत मजदूरी 2019 में 218 रुपये प्रति दिन से बढ़कर 2024 में 365 रुपये प्रति दिन हो गई। इसी अवधि में महाराष्ट्र में एक व्यक्ति का औसत वेतन 17,189 से बढ़कर 23,549 रुपये हो गया।

इस विश्लेषण के लिए, यह माना गया है कि एक औसत भारतीय परिवार अपनी दैनिक आहार संबंधी जरूरतों को पूरा करने में तभी सक्षम होगा अगर वे नाश्ते, दोपहर के खाने और रात के खाने में प्रतिदिन दो थालियों के बराबर भोजन खाते हैं।

ऐसे निकाली गयी दो थालियों की कीमत

यह जानने के लिए कि महाराष्ट्र में घर पर औसतन दो शाकाहारी थालियों की कीमत कितनी है, उसे बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्रियों की कीमत निकाली गयी। थाली में सफेद चावल, तूर दाल, प्याज, लहसुन, हरी मिर्च, अदरक, टमाटर, आलू, मटर, आटा, गोभी, तेल, और नमक की दो सर्विंग्स के लिए आवश्यक माप निकाली गयी। इस साल मार्च, एक साल पहले (2023) और पांच साल पहले (2019) तक महाराष्ट्र में उन सामग्रियों को खरीदने की औसत खुदरा लागत उपभोक्ता मामले मंत्रालय और राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड से एकत्रित की गई थी।

महंगाई का हाल

एक रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2024 में शाकाहारी थाली की कीमत 7% बढ़कर 27.3 रुपये हो गई जबकि मार्च 2023 में यह 25.5 रुपये थी। क्रिसिल रेटिंग एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया कि इस अवधि में मांसाहारी थाली की कीमत 59.2 रुपये से 7% कम होकर 54.9 रुपये हो गई। दिल्ली के बाजार में प्रमुख खाद्य पदार्थों के रिटेल प्राइज कुछ इस प्रकार हैं।

खाद्य पदार्थ3 मार्च को रिटेल कीमत (Rs/kg)3 अप्रैल को रिटेल कीमत (Rs/kg)दाम में बदलाव (प्रतिशत)
सोया तेल1221317.4
सरसों तेल1331394.5
मूंगफली का तेल1331394.5
मूंग दाल1221252.5
मसूर दाल85872.4
तूर (अरहर) दाल1571570
चावल40400
आलू172547.1

चुनाव में महंगाई

लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान भी महंगाई एक बड़ा मुद्दा रहा है। कांग्रेस, आप जैसी विपक्षी पार्टियां जहां इसे लेकर मोदी सरकार पर निशाना साध रही हैं। वहीं, पीएम मोदी कह रहे हैं कि महंगाई यूपीए के शासनकाल के दौरान ज्यादा थी। प्रियंका गांधी ने हाल ही में एक रैली में पीएम मोदी को महंगाई मैन कहकर महंगाई का मुद्दा उठाया था।

प्रियंका ने कहा था, “हर चुनावी सभा मे भारतीय जनता पार्टी भले ही उन्हें ‘सुपरमैन’ की तरह पेश करती हो लेकिन देश की जनता समझती है कि वह सुपरमैन नहीं बल्कि ‘महंगाई मैन’ है। जब मोदी जी चुनाव प्रचार के लिए आते थे तो ऐसा दिखाया जाता था कि मानो यह सुपरमैन हों लेकिन अब ये ‘महंगाई मैन’ बन गए हैं। भाजपा के नेता कहते हैं कि मोदी जी बहुत ताकतवर हैं चाहें तो चुटकी भर में युद्ध रुकवा सकते हैं तो मोदी जी ने बेरोजगारी और महंगाई क्यों नहीं कम की। दरअसल, इन्हें पता ही नहीं कि जनता के क्या संघर्ष हैं।”

यूपीए सरकार में बनते थे महंगाई पर गाने और फिल्में- बीजेपी

वहीं पीएम मोदी ने भी इससे पहले यूपीए सरकार पर भी हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि लोकप्रिय फिल्मी गाने ‘महंगाई मार गई’ और ‘महंगाई डायन’ यूपीए काल के दौरान बनाए गए थे।

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी मध्य प्रदेश के खंडवा में एक सभा के दौरान कहा कि मोदी सरकार में महंगाई कम हुई है। उन्होंने कहा, “मोदी सरकार में महंगाई दर कम हुई है। कांग्रेस के शासनकाल में ‘रोटी -कपड़ा और मकान’ जैसी फिल्में बनती थी जो महंगाई को लेकर होती थीं। इसी तरह महंगाई डायन खाय जात है.. गाना भी तब आया जब कांग्रेस की सरकार थी। आज कोई महंगाई को लेकर फिल्म बनाने को तैयार नहीं है। चूंकि मोदी सरकार ने मंहगाई पर काबू पा लिया है। जब से केन्द्र में भाजपा की सरकार है। तब से महंगाई को लेकर न तो कोई फ़िल्म बनी है और न ही कोई गाना।

AAP ने भी साधा पीएम पर निशाना

आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने 27 अप्रैल को गुजरात के वडोदरा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि पीएम मोदी कभी भी देश में महंगाई और बेरोजगारी के बारे में बात नहीं करते हैं। संजय सिंह ने कहा, “पीएम मोदी अपने 10 साल के शासन का रिपोर्ट कार्ड लोगों के सामने नहीं पेश कर रहे हैं। वह महंगाई और बेरोजगारी के बारे में बात नहीं करते हैं।”

लोकसभा चुनाव 2024 के बड़े मुद्दे

वहीं, चुनाव से पहले हुए सीएसडीएस-लोकनीति प्री पोल सर्वे से सामने आया कि चुनाव में तीन सबसे बड़े मुद्दे बेरोजगारी, महंगाई और विकास हैं। लोकनीति-सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) के चुनाव पूर्व सर्वे में लोगों से उन मुद्दों की पहचान करने के लिए कहा गया था जो उन्हें लगता है कि चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें तीन सबसे बड़े मुद्दे जो सामने आए वह बेरोजगारी, महंगाई और विकास हैं।

मुद्दाउत्तरदाताओं का प्रतिशत
महंगाई23%
बेरोजगारी27%
विकास13%
भ्रष्टाचार8%
राम मंदिर अयोध्या8%
हिन्दुत्व2%
अन्य मुद्दे9%
पता नहीं6%