लोकसभा चुनाव 2024 के बीच में हाल में ‘मछ्ली-मटन और मुगल’ कुछ नेताओं और टीवी चैनलों पर बहस के केंद्र में आ गया था। नवरात्रि के दौरान तेजस्वी यादव के मछली खाने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर होने के बाद इस पर घमासान मच गया था। इसी मुद्दे पर न्यूज चैनल टाइम्स नाऊ नवभारत पर नाविका कुमार एक टीवी डिबेट होस्ट कर रही थीं। मछली-मटन से होते-होते बात सपा प्रवक्ता अनुराग भदौरिया के हरे रंग के कुर्ते तक पहुंच गई। अब इसका चुनाव वे कोई लेना-देना भले न हो, लेकिन फिर भी बात निकली तो दूर तलक गई।
एंकर नाविका कुमार ने सपा प्रवक्ता से कहा कि कोई कुछ भी खाये इससे फर्क नहीं पड़ता, किसी को कोई दिक्कत नहीं है, सवाल सिर्फ इतना है कि क्या मंशा चिढ़ाने की थी? मिर्ची लगेगी कि जब बात की गयी तो क्या यह सही है?

बीजेपी पूरे देश से होगी सफाचट- सपा प्रवक्ता
एंकर के सवाल का जवाब देते हुए अनुराग ने कहा, “रंग-बिरंगे लोग यहां के रंग-बिरंगा खानपान, स्वाद तो लेकर देखो साहब। मत बांटो हिंदुस्तान। इंडिया लिए चला तिरंगा, देश पर अभिमान। ये भारतीय जनता पार्टी है इन्हें नहीं समझ आएगी यह बात।”
सपा प्रवक्ता ने आगे कहा, “यह महंगाई बांटते हैं या यूं कहें यह महंगाई बढ़ाते हैं खटाखट, हम गरीबी हटाएँगे खटाखट। जनता ने ठान लिया है बीजेपी पूरे देश से होगी सफाचट।”
अनुराग रुक नहीं रहे थे। उन्होंने कहा, “ये मुद्दों पर तो बात करेंगे नहीं, अंग्रेजों की मानसिकता वाले लोग हैं ये, डिवाइड एंड रूल वाले लोग हैं ये। ये देश के मुद्दे पर बात करेंगे नहीं, बोलेंगे पर करेंगे नहीं, ये महंगाई, भ्रष्टाचार पर बात करेंगे नहीं। भ्रष्टाचार पर बात करेंगे तो इनसे पूछा जाएगा कि 25 जो विपक्ष के नेता थे उन्हें आपने अपनी पार्टी में क्यों ले लिया। उन्हें पाक-साफ़ क्यों कर दिया? परिवारवादी बोल-बोल कर आप चिल्लाते थे और सारे परिवारवादियों के साथ मिलकर आपने सत्ता क्यों बना ली?”
बीजेपी नफरत का मुद्दा फैलाना चाहती है- अनुराग भदौरिया
सपा प्रवक्ता ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, ‘ये कहते थे हम सत्ता में आएंगे तो महिलाओं की समस्या खत्म हो जाएगी, किसान पैरों पर खड़े हो जाएंगे, बेरोजगारी-महंगाई खत्म हो जाएगी। हकीकत यह है कि ILO की रिपोर्ट आई है 83% युवा बेरोजगार हैं। CSDS की रिपोर्ट के मुताबिक, जनता ग्राउंड पर कह रही है असली मुद्दे भ्रष्टाचार, महंगाई हैं। 23% जनता कह रही है मुद्दा महंगाई है, 27% जनता कह रही है मुद्दा बेरोजगारी है लेकिन बीजेपी कह रही मेरे हिसाब से मुद्दा होगा, वो नफरत का मुद्दा फैलाना चाहती है।”
अनुराग बोले- मेरे हरा कपड़ा पहनने से चिढ़ते हैं
अनुराग ने आगे कहा, “धर्म हमारे लिए आस्था का विषय है। धर्म हमारे लिए राजनीतिक विषय नहीं है। ये भारतीय जनता पार्टी के लिए राजनीतिक विषय होता है, कौन क्या पहनेगा, मैं हरा कपड़ा पहनता हूं तो चिढ़े रहते हैं, चिल्लाते रहते हैं हरा पहने हैं, हरा पहने हैं, अरे भईया रंगों में बांट दोगे क्या? हरा हरा हरियाली से आता है, पेड़-पौधे काट दोगे क्या? ये सारे खत्म, हरियाली खत्म कर दोगे क्या? मतलब कमाल की मानसिकता है रंगों में बांट दोगे क्या?”
एक सवाल के जवाब में एक भी मुद्दा नहीं छोड़ने को आतुर दिख रहे सपा प्रवक्ता ने कहा, “हमारे हिंदुस्तान में लोगों को जिंदगी में रंग भरने हैं, आप लोगों को रंग नहीं भरने दोगे क्या? आप नफरत की राजनीति करोगे क्या?”
मैं भी हरा पहनकर आई हूं- एंकर
सपा प्रवक्ता का तंज भाजपा और उसकी नीतियों पर था लेकिन उन्हें एंकर ने अपनी तरफ से गारंटी देते हुए और बहस को आगे बढ़ाते और मछली के मूल मुद्दे पर लौटते हुए कहा, “अनुराग जी मुझे तो आपके हरा रंग पहनने से कोई दिक्कत नहीं है, मैं भी हरा पहनकर आई हूं पर बात आपने 100 फीसदी सही कही। लोगों के मन में सवाल हैं महंगाई के, नौकरी और बेरोजगारी के, तो हर्षवर्धन त्रिपाठी जी (डिबेट में शामिल एक अन्य पैनलिस्ट) मछ्ली दिखाई जा रही थी तो आपको कहीं महंगाई, बेरोजगारी सुनाई दिया था? जब मिर्ची लगाने की बात चल रही थी तो आपको कहीं महंगाई, बेरोजगारी सुनाई दिया? मुझे तो नहीं सुनाई दिया, आपको सुनाई दिया हो तो बता दीजिये अनुराग भदौरिया जी को नहीं तो बुरा मान जाएंगे।”
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‘अनुराग जी को हरे रंग के अलावा और कोई रंग पहने देखा नहीं’
अब हर्षवर्धन त्रिपाठी ने जवाब देना शुरू किया। एंकर की कोशिश के बावजूद वह मछली वाले मूल मुद्दे पर नहीं लौटे और हरा रंग वाला मुद्दा ही पकड़े रहे। उन्होंने कहा, “रंगों की बात हो रही है, हरा आप भी पहने हैं, मैं भी पहनता हूं पर अनुराग जी को हरे रंग के अलावा और कोई रंग पहने मैंने देखा नहीं, इतना तो एक रंगी हो गए हैं। मैं तो निवेदन करूंगा अनुराग जी से रंगों की दुनिया में आइये, ये क्या बात हो गयी आप सिर्फ हरे में चले गए हैं। हरा बड़ा प्यारा रंग है, मेरे पास भी हरे रंग के कपड़े हैं, मुझे लगता है कि भारत भी हरे रंग का है, किसी के मन में भी यह गुंजाइश नहीं होनी चाहिए, कि देश किसी एक रंग, एक तरह के खानपान वाले या एक तरह की सोच रखने वाले का है।”
हर्षवर्धन ने आगे कहा, “मुझे लगता है कि अगर कोई कुछ खाता है तो उसकी अपनी भावना है अपना खानपान है, पीएम मोदी ने भी कहा है कि कानून भी नहीं रोकता, मोदी भी नहीं रोकता लेकिन मंशा समझिए।