मणिपुर की कुछ महिलाओं ने चुनाव आयोग को अर्जी देकर बताया है कि वे राज्य में लोकसभा चुनाव का बायकॉट कर रही हैं। इसके लिए उन्होंने आठ कारण गिनाए हैं। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल में संदेशखाली की पीड़ितों में से एक, रेखा पात्रा से बात कर उन्हें ‘शक्ति स्वरूपा’ बताया था। रेखा पात्रा को भाजपा ने बशीरहाट से उम्मीदवार बनाया है। इसी बीच अमर्त्य सेन और कई शिक्षाविदों ने भारत में आजादी पर हमले का मुद्दा उठाया है।
मणिपुर में किसने किया चुनाव का बायकॉट
भीषण जातीय हिंसा का दंश झेल रहे मणिपुर में कुकी महिलाओं ने मतदान के बहिष्कार का फैसला किया है। कुकी-जोमी-ह्मार की 18 महिला प्रतिनिधियों ने एक पिटीशन पर दस्तखत करके मुख्य चुनाव आयुक्त को इसकी जानकारी दी है। इसमें लोकसभा चुनाव 2024 में मतदान का बहिष्कार करने के आठ कारण बताए गए हैं। दस्तखत करने वाली कुछ महिलाएं मणिपुर से बाहर भी रहती हैं। कुकी-जो वीमेंस डेल्ही फोरम की संयोजक मैरी ग्रेस जोउ ने ‘टेलीग्राफ’ अखबार से कहा कि 3 मई, 2023 से जो दंश झेल रहे हैं, दुनिया को उसकी याद दिलाने के लिए मतदान का बहिष्कार ही एक मात्र उपाय था। क्या बोले अमर्त्य सेन नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन सहित कई नामी शिक्षाविदों ने “बड़ी संख्या में लेखकों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को अदालती कार्यवाही के बिना लंबे समय तक कैद में रखने” के खिलाफ बयान जारी किए हैं।
अमर्त्य सेन को क्यों आई ब्रिटिश इंडिया की याद?
अमर्त्य सेन ने अलग से एक बयान में कहा है, “ब्रिटिश शासन के दौरान, भारतीयों को अक्सर बिना मुकदमे के गिरफ़्तार कर जेल में डाल दिया जाता था, और कुछ को लंबे समय तक जेल में रखा जाता था…एक युवा के रूप में, मुझे उम्मीद थी कि जैसे-जैसे भारत स्वतंत्र होता जाएगा, भारतीय औपनिवेशिक शासन की इस अन्यायपूर्ण व्यवस्था को समाप्त कर देगा। अफ़सोस की बात है ऐसा नहीं हुआ। स्वतंत्र और लोकतांत्रिक भारत में भी आरोपियों को बिना मुकदमे के गिरफ़्तार करने और जेल में रखने की असहनीय प्रथा जारी है।”
आरएसएफ की दिल्ली पुलिस के अफसरों पर बैन की मांग
रिपोर्टर्स सैन्स फ्रंटियर्स (RSF) ने “यूरोपीय संघ से दिल्ली पुलिस के चार वरिष्ठ अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए कहा है, जो सीधे या परोक्ष रूप से NewsClick वेबसाइट में काम करने वाले या उसके लिए काम करने वाले दर्जनों पत्रकारों के खिलाफ अत्याचार के लिए ज़िम्मेदार हैं।” बता दें कि वेबसाइट के दो अधिकारी अक्टूबर से जेल में हैं। आरएसएफ पेरिस स्थित एक NGO है, जो सूचना की स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा के लिए काम करता है।
500 वकीलों ने सीजेआई को लिखा- न्यायपालिका खतरे में
इस बीच, पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे सहित 500 वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को चिट्ठी लिख कर कहा है कि न्यायपालिका खतरे में है। इसे राजनीतिक और व्यावसायिक दबाव से बचाने की जरूरत है। एक खास समूह मनमाफिक फैसले के लिए दबाव बनाने की नीयत से एजेंडे के तहत ओछे आरोप लगा कर अदालतों को बदनाम करने की साजिश अंजाम दे रहा है। ऐसा करने वालों के खिलाफ हमें खड़ा होना होगा। 26 मार्च को लिखी चिट्ठी में यह भी कहा गया है कि ऐसा चुनाव के मौके पर हो रहा है और 2018-19 में भी ऐसा देखा गया था।