INDIA छोड़ NDA में शामिल होकर नीतीश कुमार नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। नीतीश कुमार के इस कदम से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को झटका लगा है। साल 2022 में जब कुमार ने भाजपा का साथ छोड़ राजद से गठबंधन किया था, तब उन्होंने बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से हाथ जोड़कर माफी मांगी थी और वादा किया था कि अब वह इस गठबंधन को नहीं तोड़ेंगे।
ये जानकारी राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अनुभवी समाजवादी नेता शिवानंद तिवारी ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में दी है। शिवानंद तिवारी और नीतीश कुमार जेपी आंदोलन में एक साथ थे। दोनों ने लंबे समय तक एक दूसरे के साथ काम किया है।
जब पत्रकार संतोष सिंह ने तिवारी से पूछा कि वह हालिया बदलाव को लेकर क्या सोचते हैं तो उन्होंने जवाब दिया, “मैं क्या कहूं? मैं कल्पना नहीं कर सकता। मैं स्तब्ध, निराश, आश्चर्यचकित और दुखी हूं। इतने वर्षों से नीतीश को जानता हूं और उनकी राजनीतिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई है। 1993 में जनता पार्टी छोड़कर समता पार्टी बनाने के लिए उनके साथ चला था। आज मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि यह वही व्यक्ति और राजनेता नहीं हैं। एक समय वह अपनी राजनीतिक कुशलता के लिए जाने जाते थे। मैं जानना चाहता हूं कि उन्हें अगस्त 2022 में महागठबंधन में शामिल होने के लिए किसने आमंत्रित किया था। मैं इस बात का भी गवाह हूं कि 2022 में हमारे पास लौटने के बाद उन्होंने 2017 में बीजेपी में शामिल होने के लिए पूर्व सीएम राबड़ी देवी से हाथ जोड़कर माफी मांगी थी। उस समय, मुझे यह विश्वास दिलाया गया कि वह अब वहीं रुकेंगे और मंडल राजनीति को एक सही दिशा देंगे, जिसका हम सभी ने इतने वर्षों तक समर्थन किया है।”
तेजस्वी यादव की प्रतिक्रिया नपी-तुली क्यों हैं?
राजद से अलग होने के बावजूद नीतीश कुमार को लेकर तेजस्वी यादव ने कोई विद्वेष या दुर्भावना व्यक्त नहीं की है। शिवानंद तिवारी से सवाल था कि तेजस्वी यादव की इस नपी-तुली प्रतिक्रिया का कारण क्या है?
तिवारी ने बताया, “तेजस्वी एक बहुत ही परिपक्व नेता के रूप में विकसित हुए हैं और मुझे उनमें काफी संभावनाएं नजर आती हैं। हालांकि उन्होंने अपने पिता लालू प्रसाद के सामाजिक न्याय विषय से काफी प्रेरणा ली है, लेकिन उन्होंने इसमें विकास की राजनीति को बहुत चतुराई से बुना है। उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनावों के दौरान इसका सफल प्रयोग किया था। तब राजद ने चुनावी रैलियों में 10 लाख नौकरियों के वादा किया था और सत्ता के करीब पहुंच गई थी। 2022 में नीतीश और तेजस्वी के एक साथ आने के बाद हमने देखा कि कैसे तेजस्वी ने नौकरी के मुद्दे को छोड़ा नहीं। वही नीतीश जिन्होंने गोपालगंज में तेजस्वी के नौकरी के वादे को हंसी में उड़ा दिया था, उन्होंने खुद 2020 के चुनाव प्रचार के दौरान रैली नियुक्ति पत्र बांटने के साथ समाप्त की। यहां तेजस्वी ने साफ तौर पर नीतीश पर बढ़त बना ली है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि नीतीश ने तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी को श्रेय दिए बिना पूरे पेज का स्वास्थ्य विभाग का विज्ञापन निकाला, हर कोई जानता है कि तेजस्वी ने डिप्टी सीएम के रूप में अपने 17 महीने के संक्षिप्त कार्यकाल में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है।”
नीतीश के बिना कहां खड़े हैं महागठबंधन और इंडिया ब्लॉक?
शिवानंद तिवारी कहते हैं, “राजनीतिक गणित निश्चित रूप से गड़बड़ा गया है। नीतीश के हमारे साथ होने से हमें स्पष्ट लाभ मिल रहा था। लेकिन अब, यह महागठबंधन और इंडिया ब्लॉक के लिए बहुत कठिन है। अगर हम 2019 के चुनाव नतीजों को याद करें तो एनडीए और महागठबंधन के बीच भारी अंतर था। अब लेफ्ट और कांग्रेस के साथ राजद को काफी कुछ कवर करना है। हमें मैदान में रहना है। हमें गति बरकरार रखनी होगी और अपनी ए टू जेड (सर्व-समुदाय) राजनीति के इर्द-गिर्द काम करना होगा।
खेल अभी बाकी है- तेजस्वी की इस टिप्पणी का क्या मतलब है?
शिवानंद तिवारी इस टिप्पणी का मतलब समझाते हुए कहते हैं, “तेजस्वी की यह टिप्पणी इस संदर्भ में थी कि 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद नीतीश की राजनीतिक उपयोगिता खत्म हो सकती है, ऐसे में क्या जद (यू) बचेगी? जहां तक राजद की बात है तो वह एक जिम्मेदार पार्टी के रूप में काम करेगी। तेजस्वी ने सही टिप्पणी की है। अब वह जमीन पर उतरना शुरू करें, अखबारों, चैनलों और सोशल मीडिया में जो कुछ भी कहा और प्रकाशित किया जा रहा है, उससे परे राजनीतिक नब्ज जानने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं और आम लोगों के साथ समय बिताएं।”