लोकसभा चुनाव 2024 के लिए ताबड़तोड़ प्रचार कर रहे भाजपा नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया है कि भारत के किसानों को अमेरिका के किसानों की तुलना में कम दाम में यूरिया (खाद) मिलता है।

उत्तर प्रदेश के अमरोहा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा, “…भाजपा सरकार किसानों की समस्याओं को कम करने के लिए दिन रात काम कर रही है… यूरिया की बोरी अमेरिका में 3 हजार में मिलती है, वही यूरिया हम भारत में किसानों को 300 रुपए से भी कम कीमत में देते हैं।”

हालांकि यह कोई पहली बार नहीं है, जब मोदी ने यूरिया की कीमत की तुलना दूसरे देशों से की हो। 27 जुलाई, 2023 को राजस्थान के सीकर में कई विकास परियोजनाओं की शुरुआत करते हुए पीएम ने बताया था भारत में यूरिया पाकिस्तान, बांग्लादेश, चीन और यहां तक की अमेरिका से भी कम दाम में मिलता है।

उन्होंने कहा था, “जिस यूरिया की बोरी के लिए आप 300 रुपये से कम कीमत चुकाते हैं, उसी बोरी के लिए अमेरिका के किसानों को 3000 रुपये से ज्यादा खर्च करने पड़ते हैं।”

भारत में यूरिया की कीमत?

14 मार्च 2023 को राज्यसभा में कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला के एक सवाल के जवाब में रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने बताया था कि 45 किलो यूरिया की एक बोरी की कीमत 242 रुपये हैं। इसमें नीम कोटिंग के खर्च और टैक्स नहीं जोड़े गए हैं। बता दें कि पहले एक बोरी में 50 किलो यूरिया होता था। मोदी सरकार ने बोरी का साइज पांच किलो कम कर दिया।

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मोदी सरकार ने यूरिया की कीमत (MRP) को नहीं बढ़ाया है। 10 साल के कार्यकाल के दौरान यूरिया की MRP 5,360 रुपये प्रति टन ही रही है। इस सरकार में यूरिया को लेकर एक बड़ा बदलाव मई 2015 में देखने को मिला था, जब सरकार ने यूरिया की नीम कोटिंग को अनिवार्य कर दिया। तब यह तय हुआ था कि यूरिया को नीम के तेल से कोट करने पर जितना खर्च आएगा उसका पांच प्रतिशत यानी प्रति टन 268 रुपये किसानों से वसूला जाएगा।

सरकार ने क्यों नहीं बढ़ाई यूरिया की कीमत

विडंबना है कि मोदी सरकार ने यूरिया की कीमत को इसलिए नहीं बढ़ाया किया, क्योंकि सरकार का यूरिया के खपत को कम करना चाहती है। 2024-25 तक यूरिया एमआरपी नहीं बढ़ाने का निर्णय पीएम-प्रणाम योजना के साथ घोषित किया गया था, जिसका उद्देश्य वैकल्पिक उर्वरकों और पौधों के पोषण को बढ़ावा देना है। लेकिन सच्चाई यह है कि भारत में यूरिया की बिक्री 2022-23 के दौरान रिकॉर्ड 35.7 मिलियन टन (एमटी) को पार कर गई, जबकि 2021-22 में यह 30.6 मिलियन टन थी।

अनिवार्य नीम कोटिंग, बैग का आकार 50 किलोग्राम से घटाकर 45 किलोग्राम करना और तथाकथित नैनो यूरिया के लॉन्च जैसी मोदी सरकार की पहलों ने 46 प्रतिशत नाइट्रोजन (एन) युक्त इस उर्वरक की खपत को कम करने में मदद नहीं की है।

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यूरिया की बढ़ी है खपत

कैसे तय होती है यूरिया की कीमत?

वर्तमान में देश में लगभग 283.74 लाख मीट्रिक टन की वार्षिक क्षमता वाली 36 गैस आधारित यूरिया विनिर्माण इकाइयां हैं। लेकिन यह भारत के किसानों की जरूरत पूरा करने के लिए काफी नहीं है। भारत बड़ी मात्रा में यूरिया आयात करता है।

28 मई 2022 को गुजरात की राजधानी गांधीनगर में एक कोऑपरेटिव सेमिनार को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा था, 50 किलोग्राम के आयातित यूरिया बैग की कीमत 3500 रुपये है, लेकिन किसानों को यह 300 रुपये में दिया जाता है। इसका मतलब है कि एनडीए सरकार प्रति बैग 3200 खर्च करती है।

हालांकि सरकार की योजना है कि साल 2025 तक यूरिया का आयात पूरी तरह बंद हो जाए। अभी हाल में न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा है कि भारत 2025 के अंत तक यूरिया का आयात बंद कर देगा क्योंकि घरेलू विनिर्माण पर बड़े पैमाने पर जोर देने से आपूर्ति और मांग के बीच अंतर को पाटने में मदद मिली है।

मंत्री ने कहा था कि घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारत को सालाना लगभग 350 लाख टन यूरिया की जरूरत होती है। घरेलू उत्पादन क्षमता 2014-15 में 225 लाख टन थी, जो अब बढ़कर लगभग 310 लाख टन हो गई है। वर्तमान में वार्षिक घरेलू उत्पादन और मांग के बीच का अंतर लगभग 40 लाख टन है। सरकार ने चार बंद यूरिया संयंत्रों को पुनर्जीवित किया है और एक अन्य कारखाने को पुनर्जीवित कर रही है। पांचवें संयंत्र के चालू होने के बाद यूरिया की वार्षिक घरेलू उत्पादन क्षमता लगभग 325 लाख टन तक पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा था, “हमारा एजेंडा बहुत स्पष्ट है… यूरिया का आयात बिल 2025 तक शून्य करना।”

अमेरिका में यूरिया की कीमत?

अमेरिका में यूरिया की कीमत घटी है। अप्रैल 2022 में एक यूएस टन (907.185 किलो) यूरिया की कीमत 629.05 अमेरिकी डॉलर (52,539.20 रुपए) थी, जो मार्च 2024 में घटकर 236.03 डॉलर (19713.58 रुपए) प्रति यूएस टन हो गई है।

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अमेरिका में यूरिया की कीमत का ग्राफ (screengrab/ycharts)

अमेरिका में किसानों की कमाई?

अमेरिकी कृषि विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, 2021 की तुलना में 2022 में किसान परिवारों की अनुमानित औसत कुल आय में वृद्धि हुई। हालांकि, औसत कृषि आय और औसत ऑफ-फार्म आय दोनों में कमी आई। 2022 में खेती से होने वाली घरेलू आय औसतन 849 डॉलर थी।

2022 में औसत ऑफ-फार्म आय 81,108 डॉलर थी, जबकि औसत कुल घरेलू आय 95,418 डॉलर थी। ध्यान रहे औसत कुल आय आमतौर पर औसत ऑफ-फार्म और औसत कृषि आय के योग के बराबर नहीं होगी।

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PC- कृषि विभाग/अमेरिका

भारत के किसानों की आय नहीं हुई दोगुनी

पीएम मोदी ने वादा किया था कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी। लेकिन आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए जो इनकम ग्रोथ चाहिए था, वो ग्रोथ हासिल नहीं हो पाई है। उल्टा फसल उत्पादन से होने वाली आय में सालाना 1.5 प्रतिशत की गिरावट आई है। विस्तार से पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें:

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