लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा से पहले बीजेपी ने हर संसदीय क्षेत्र में चुनाव कार्यालय खोलना शुरू कर दिया है। द इंडियन एक्सप्रेस के दैनिक कॉलम के मुताबिक, अब तक यूपी और उत्तराखंड में ऐसे कार्यालय खोले भी जा चुके हैं।
पहले, ऐसे कार्यालय चुनाव कार्यक्रम और उम्मीदवारों की घोषणा के बाद ही खोले जाते थे। कार्यालय जल्दी खोलकर भाजपा अपनी चुनाव संबंधी गतिविधियों को सेंट्रलाइज करना चाहती है। साथ ही मतदाताओं को यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि वह विपक्ष की तुलना में अधिक तैयार है।
हालांकि, भाजपा के इस कदम ने पार्टी के मौजूदा सांसदों को चिंता में डाल दिया है क्योंकि इन कार्यालयों से उनके नाम गायब हैं। वहां सिर्फ पीएम नरेंद्र मोदी और राज्य के मुख्यमंत्री (अगर राज्य भाजपा शासित है) या प्रदेश अध्यक्ष की तस्वीरें लगाई गई हैं।
कैसी चल रही है भाजपा की तैयारी?
किसानों के एक वर्ग में भाजपा को लेकर असंतुष्टि है, बावजूद इसके पार्टी गांवों में विशेष अभियान चला रही है। भाजपा को कभी शहरी पार्टी कहा जाता था लेकिन अब पार्टी गांवों में भी पकड़ बना रही है। भारतीय जनता पार्टी “ग्राम परिक्रमा यात्रा” कार्यक्रम के जरिए देशभर के सवा लाख गांवों के किसानों से अहम संवाद कर रही है। यह कार्यक्रम 12 फरवरी को शुरू हुआ है और 12 मार्च तक चलेगा।
भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले किसानों को लुभाने की पूरी तैयारी कर ली है और यही वजह है कि वह लगातार किसानों से संवाद करने के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित कर रही है।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा के किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चाहर बताते हैं, “हम गांव परिक्रमा यात्रा और किसान चौपाल के जरिए किसानों से संवाद कर रहे हैं। हमारा मकसद किसानों से सुझाव लेना और जानना है कि वे मोदी जी से क्या चाहते हैं, ताकि उसे “संकल्प पत्र” में शामिल किया जा सके।”
क्या है भाजपा का लक्ष्य?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगामी लोकसभा चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए 370 सीटों और एनडीए के लिए 400 सीटों का लक्ष्य रखा है। लोकसभा के अपने आखिरी भाषण में मोदी ने इंडिया गठबंधन के कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पार्टी को भाजपा के मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में पेश किया था। मोदी ने लोकसभा चुनावों में पार्टी के आत्मविश्वास का उदाहरण देते हुए कहा कि भाजपा का “तीसरा कार्यकाल” “अगले 1,000 वर्षों में प्रगति” के लिए एक मजबूत नींव रखेगा।
भाजपा ने 2009 में हार के बाद से भाजपा ने लगातार अपनी सीटों की संख्या और वोट शेयर में वृद्धि की है। 2014 और 2019 में वोट शेयरों की तुलना से पता चलता है कि भाजपा को त्रिपुरा में सबसे बड़ा लाभ हुआ (वोट शेयर में 43.8% की वृद्धि), इसके बाद पश्चिम बंगाल (23.6% की वृद्धि), हरियाणा (23.4% वृद्धि) और मणिपुर (22.4% वृद्धि) का नंबर आता है। इसके अलावा चार अन्य राज्यों में वोट शेयर में 20% से अधिक की वृद्धि हुई। सात अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में 10% से अधिक की वृद्धि हुई।
2014 के लोकसभा चुनावों में 282 सीटों के साथ बहुमत हासिल करने के बाद, भाजपा ने अपना विस्तार और बढ़ाया है। 2019 के चुनाव में पार्टी ने 21 सीटों की बढ़त के साथ अपनी संख्या 303 कर ली थी। इस बार मोदी के 370 सीटों के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बीजेपी को 67 सीटें और जीतनी होंगी।