लोकसभा चुनाव 2024 की शुरुआत हो चुकी है। राजनीतिक दल प्रचार में कूद चुके हैं। कांग्रेस पार्टी चुनावी घोषणापत्र जारी कर चुकी है, जिसके केंद्र में रोजगार, सामाजिक न्याय और लोकतांत्रिक मूल्यों की बात है। कांग्रेस ने किसानों से एमएसपी की गारंटी देने और कर्ज माफ करने का वााद किया है।
भाजपा का चुनावी घोषणा पत्र भी आने वाला है। केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली 27 सदस्यीय समिति भाजपा का ‘संकल्प पत्र’ (भाजपा अपने घोषणापत्र को यही कहती है) तैयार करने में जुटी है। संभावना जताई जा रही है कि ‘विकसित भारत 2047’ के अलावा महिला, युवा, किसान और गरीब भाजपा के एजेंडे के केंद्र में होंगे।
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले चुनाव से पहले किसानों से जो वादा किया था, वह अभी तक पूरा नहीं हुआ है। किसानों की आय दोगुनी नहीं हुई है। इसके अलावा वेतनभोगी कर्मचारियों की आय भी कम आई है। लेकिन इसी दौरान भारत में अरबपतियों की संख्या बढ़ी है और उनकी आय में भी 40 से 60 प्रतिशत तक की उछाल आई है।
10 साल में कितनी बढ़ी किसानों की आय?
फरवरी 2016 में एक वीडियो संदेश के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया था कि उनकी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाए। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपने इस वादे को ‘शपथपत्र’ (भाजपा अपने घोषणापत्र को यही कहती है) में दोहराया।
हालांकि पांच साल बाद आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि किसानों की आय दोगुनी नहीं हुई है। मोदी सरकार में किसानों की आय में वृद्धि धीमी पड़ गई है।
आइए समझते हैं:
2016 में पीएम मोदी ने किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने का ऐलान किया। द स्क्रॉल में प्रकाशित अरुणाभ सैकिया की रिपोर्ट से पता चलता है कि लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार ने एक समिति गठित की थी, जिसने 2012-13 के National Sample Survey Office के आंकड़ों का उपयोग यह अनुमान लगाने के लिए किया कि भारतीय किसानों की राष्ट्रीय औसत वार्षिक आय 2015-16 में 96,703 रुपये है।
2015-16 के कॉन्स्टेंट प्राइस से 2022 तक किसानों की आय 192,694 रुपये होनी थी। अगर 2022-23 के करंट प्राइस को ध्यान में रखें तो आय 271,378 रुपये होनी चाहिए थी।
समिति ने अनुमान लगाया कि अगर इस स्तर से किसानों की आय सात साल में दोगुनी करनी है तो उनकी आय में सालाना 10.4 प्रतिशत की वृद्धि करनी होगी।
2022-23 के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। NSSO ने आखिरी बार 2021 में आंकड़े जारी किए थे, जिसके मुताबिक, खेती करने वाले परिवारों की औसत वार्षिक आय 2018-19 में 1,22,616 रुपये हो गई थी।
यह बताता है कि किसानों की आय में वार्षिक वृद्धि मात्र 2.8% रही है (2015-16 में 96,703 रु से 2018-19 में 1,22,616 रु)। कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार के कार्यकाल (2002-03 से 2012-13) में यह वृद्धि 3% थी।

सैकिया का तर्क है कि मोदी सरकार में किसानों की आय में जो वृद्धि दिख रही है वह भी गैर-कृषि आय के आंकड़ों की वजह से है क्योंकि 2015-16 के बाद से फसल उत्पादन से होने वाली आय में सालाना 1.5% की गिरावट आई है।
किसानों की आय को दोगुना करने के एक प्रश्न के जवाब में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दिसंबर 2023 में कहा था कि कृषि राज्य विषय है। उनका जवाब था, “राज्य सरकारें कृषि के विकास और राज्य में किसानों के कल्याण के लिए उचित उपाय करती हैं”।
ICRIER (Indian Council for Research on International Economic Relations) के प्रोफेसर अशोक गुलाटी ने मार्च 2023 में द इंडियन एक्सप्रेस में एक आर्टिकल लिख समझाया था कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार को किस दिशा में प्रयास करने की जरूरत है।
प्रो. गुलाटी ने लिखा था, जहां तक किसानों की आय को दोगुना करने का सवाल है, तो हमें यह समझना चाहिए कि इसमें समय लगेगा। यह बेहतर बीजों और बेहतर सिंचाई के माध्यम से उत्पादकता बढ़ाकर किया जा सकता है। इसके साथ-साथ किसानों के उत्पादों को उन बाजारों तक बिना किसी मुश्किल के पहुंचाना होगा, जहां उन्हें उचित दाम मिल सके। इसके अलावा, उच्च मूल्य वाली फसलों में विविधता लाने और किसानों के खेतों पर सौर पैनल लगाने की आवश्यकता होगी। केवल इस तरह के एक ठोस और निरंतर प्रयास से ही किसानों की आय को दोगुना करने की आशा की जा सकती है। अन्यथा, यह सपना अधूरा ही रहेगा।”
मोदी सरकार में खेती-किसानी का हाल कैसा है, इसे विस्तार से जानने के लिए फोटो पर क्लिक करें:

वेतनभोगी कर्मचारियों की आय भी हुई कम
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और मानव विकास संस्थान (IHD) द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, सैलरीड वर्कर्स की कमाई कम हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2012 से 2022 के बीच नियमित वेतनभोगी कर्मचारियों की औसत मासिक वास्तविक कमाई (Monthly Real Earnings) में हर साल 1 प्रतिशत की गिरावट आई है। कमाई पर महंगाई के असर के बाद जो रकम बचती है उसे रियल इनकम या रियल अर्निंग कहते हैं।
सैलरीड लोगों की कमाई पर असर खराब गुणवत्ता वाले कामों और महामारी के कारण पड़ा है। आधिकारिक सरकारी डेटा का उपयोग करके ILO ने जो आंकड़ा निकाला है, उसके अनुसार, 2012 में एक नियमित सैलरीड वर्कर का औसत रियल मंथली इनकम 12,100 रुपये था, जो 2022 में घटकर 10,925 रुपये हो गया।

पिछले महीने जारी India Employment Report 2024 के मुताबिक, शहरी क्षेत्रों में कमाई ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में तेजी से घटी है। शहर के जो लोग साल 2012 में महीने का 13,616 रुपये कमाते थे, वहीं 2022 में 12,616 रुपये कमाने लगे। गांव में भी कमाई घटनी है लेकिन शहर की तुलना में कम। 2012 में ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी 8,966 रुपये थी, जो 2022 में घटकर 8,623 रुपये हो गई।
अमीरों की आय कितनी बढ़ी?
भारत में कुल 271 अरबपति हैं, जिनकी संयुक्त रूप से कुल संपत्ति 1 ट्रिलियन डॉलर है, जो देश की कुल संपत्ति का 7 प्रतिशत है। हुरुन ग्लोबल रिच लिस्ट 2024 की टॉप-10 लिस्ट में मुकेश अंबानी का नाम है, जिनकी संपत्ति 40% बढ़कर 115 अरब डॉलर हो गई है। वहीं इस लिस्ट में 15वें नंबर पर स्थान जगह बनाने वाले गौतम अदानी की संपत्ति 62 प्रतिशत बढ़कर, 86 अरब डॉलर हो गई है।
नाम | कंपनी | रैंक | संपत्ति (अरब डॉलर में) | कितनी बढ़ी/घटी (% में) |
मुकेश अंबानी | रिलायंस इंडस्ट्रीज | 10 | 115 | 40 |
गौतम अदानी | अदानी समूह | 15 | 86 | 62 |
शिव नादर | एचसीएल | 34 | 37 | 42 |
साइरस पूनावाला | सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया | 55 | 25 | -7 |
दिलीप संघवी | सन फार्मास्युटिकल | 61 | 24 | 41 |
देश | अरबपतियों की संख्या | नए अरबपति | टॉप-100 में कितने अरबपति | महिला अरबपति |
चीन | 814 | 55 | 15 | 178 |
अमेरिका | 800 | 132 | 40 | 113 |
भारत | 271 | 94 | 5 | 19 |
