बिहार की काराकाट सीट से भोजपुरी स्टार पवन सिंह और उनकी मां प्रतिमा देवी के निर्दलीय नामांकन भरने के साथ ही यहां मुक़ाबला दिलचस्प हो गया है। पवन सिंंह की एंट्री ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। साथ ही, उनकी एंट्री से चुनाव में जनता के मुद्दे गौण हो गए हैं और स्टारडम हावी हो गया है।
काराकाट में शुरू से एनडीए का ही सांसद रहा है। हालांकि, 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में एक भी विधायक एनडीए का नहींं जीता। 2008 में परिसीमन के बाद काराकाट लोकसभा बनी। इस सीट के अंतर्गत 6 विधानसभा सीटें हैं। काराकाट लोकसभा क्षेत्र दो जिलों में फैला है। रोहतास और औरंगाबाद। रोहतास जिले में डेहरी, नोखा और काराकाट विधानसभा क्षेत्र आते हैं। औरंगाबाद में गोह, ओबरा और नबीनगर।
हालांकि, पवन सिंह की मां प्रतिमा देवी ने काराकाट का चुनावी मैदान छोड़ दिया है। नाम वापसी के आखिरी दिन प्रतिमा देवी ने अपना नाम वापस ले लिया था। जिसके बाद अब काराकाट लोकसभा क्षेत्र में कुल 13 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।
इन छह विधानसभा क्षेत्रों में इंडिया गठबंधन के विधायक
| विधानसभा | विधायक | पार्टी |
| काराकाट | अरुण कुमार | माले |
| नोखा | अनिता देवी | आरजेडी |
| डेहरी | फतेह बहादुर सिंह | आरजेडी |
| गोह | भीम सिंह | आरजेडी |
| नवीनगर | विजय कुमार सिंह | आरजेडी |
| ओबरा | ऋषि सिंह | आरजेडी |
काराकाट सीट से एनडीए के उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा चुनावी मैदान में हैं तो वहीं इंडिया गठबंधन से राजाराम कुशवाहा मैदान में हैं। यह क्षेत्र कुशवाहा बहुल है, इसलिए दोनों प्रमुख गठबंधन के उम्मीदवार इसी समुदाय के हैं। मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने वाले पवन सिंंह राजपूत हैं। काराकाट लोकसभा क्षेत्र भौगोलिक के साथ-साथ भाषाई आधार पर भी बंटा है। रोहतास जिले में भोजपुरी बोली जाती है और औरंगाबाद में मगही। इस बंटवारे से पवन सिंंह की उम्मीदें बढ़ी हुई हैं।
महाबली कुशवाहा थे काराकाट के पहले एमपी
काराकाट में 2009 के चुनाव को जीतकर जेडीयू के महाबली कुशवाहा यहां से पहले एमपी बने थे। इसके बाद उपेंद्र कुशवाहा ने 2014 में और महाबली कुशवाहा ने 2019 में यहां से जीत हासिल की। परिसीमन के बाद भाजपा ने अब तक काराकाट में अपना उम्मीदवार नहीं खड़ा किया है। बीजेपी, कांग्रेस, जेडीयू, आरजेडी इस बार सभी यहां सहयोगी दल के साथ हैं।
क्या हैं काराकाट के मुद्दे?
काराकाट में लवकुश, अगड़ा-पिछड़ा, सनातनी-गैर सनातनी जैसे मुद्दों पर चुनाव नहीं लड़ा जा रहा है। नवीनगर के पूर्वी इलाके में नक्सली गतिविधियों पर लगाम लगाना, सोन नदी पर पुलों की संख्या को बढ़ाना काराकाट के बड़े चुनावी मुद्दे हैं। इसके साथ ही डेहरी डालमियानगर के बंद उद्योगों को चालू करवाना, डेहरी के बंद पड़े पाली ओवरब्रिज का निर्माण, सोन नदी के किनारे औरंगाबाद और रोहतास में हो रहे बालू खनन से हाइवे पर लगने वाले जाम को खत्म करवाना हैं।

काराकाट लोकसभा सीट
काराकाट एक कुशवाहा बहुल सीट है। जिसकी वजह से यहां एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधनों ने कुशवाहा उम्मीदवार उतारे हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र के जातिगत आंकड़ों से पता चलता है कि कोइरी (कुशवाहा), राजपूत और यादव समुदायों में से प्रत्येक से 2 लाख मतदाता हैं। पिछले कुछ चुनावों से इस निर्वाचन क्षेत्र से महाबली सिंह और उपेन्द्र कुशवाहा के बीच मुक़ाबला रहा है। दोनों कोइरी जाति से आते हैं। इस बार एनडीए से उपेंद्र कुशवाहा चुनावी मैदान में हैं तो वहीं इंडिया गठबंधन ने राजाराम कुशवाहा को उतारा है। वहीं, पवन सिंह के यहां से उतरने से मुक़ाबला त्रिकोणीय हो गया है। पवन राजपूत जाति से हैं।
आसान नहीं है पवन सिंह की राह
कुशवाहा बहुल क्षेत्र होने की वजह से यहां एनडीए और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों का पलड़ा भारी है क्योंकि दोनों ही उम्मीदवार कुशवाहा हैं। जिस काराकाट सीट से पवन सिंह एनडीए का खेल बिगाड़ने के लिए उतरे हैं वहां पीएम मोदी की सभा कराई जाएगी। 20 मई की शाम प्रधानमंत्री पटना पहुंचेंगे और 21 मई को चुनावी सभा करेंगे। बताया जा रहा है कि पीएम मोदी बक्सर और पाटलिपुत्र में सभा करेंगे साथ ही काराकाट भी जाएंगे।
काराकाट लोकसभा सीट पर पिछले महीने पवन सिंह ने अपने समर्थकों के साथ रोड शो किया था, जिसके बाद अधिकारियों ने उनके खिलाफ आदर्श आचार संहिता (MCC) उल्लंघन के पांच मामले दर्ज कर दिए। खबरों के मुताबिक, काराकाट में रोड शो के दौरान पवन सिंह के साथ 100 से ज्यादा गाड़ियों में उनके समर्थक थे। रोड शो के लिए 50 से अधिक एसयूवी और 35-40 बाइक का इस्तेमाल किया गया था, साथ ही एक हूटर-माउंटेड एसयूवी जिसके बोर्ड पर ‘प्रशासन’ लिखा था, वह भी इस्तेमाल की गयी थी। यह एमसीसी का उल्लंघन था। उम्मीदवारों के लिए हूटर का उपयोग करना सख्त वर्जित है।
काराकाट से कौन-कौन रहे सांसद?
पिछले चुनाव में यहां से जेडीयू के महाबली सिंह ने जीत हासिल की थी। वहीं, 2014 का चुनाव उपेंद्र कुशवाहा ने जीता था। उपेंद्र ने जहां 2014 का चुनाव जीता था, वहीं 2019 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। उपेंद्र कुशवाहा ने 2009 का लोकसभा चुनाव भी काराकाट से लड़ा था, जिसमें उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। उपेंद्र यहां से तीनों चुनाव में मैदान में थे।

पहली बार 2000 में जन्दाहा से विधायक बने थे उपेंद्र कुशवाहा
2000 में पहली बार जन्दाहा से विधायक बनने वाले उपेंद्र कुशवाहा लोकसभा, राज्य सभा, विधान परिषद और विधान सभा के सदस्य रह चुके हैं। वह केंद्रीय मंत्री, विधानसभा में विरोधी दल के नेता और सत्ता पक्ष के उपनेता भी रह चुके हैं। हालांकि, वह लगातार पाला बदलते रहते हैं। उपेंद्र नीतीश और बीजेपी से दोस्ती और टकराव की वजह से भी चर्चा में रहे हैं। उन्होंने अपनी लोक समता पार्टी का जेडीयू में विलय किया, बाद में फिर पार्टी बनाई और फिर उसका विलय किया। वह कई बार इस्तीफा देने की वजह से भी जाने जाते हैं।
2015 विधानसभा चुनाव के परिणाम
विधानसभा चुनाव 2015 में काराकाट से आरजेडी के संजय कुमार सिंह ने जीत हासिल की थी। उन्होंने बीजेपी के राजेश्वर राज को हराया था। वहीं, डेहरी से आरजेडी के मोहम्मद इलियास ने बीएलएसपी के जितेंद्र कुमार को हराया था। नोखा विधानसभा सीट से 2015 के चुनाव में आरजेडी की अनिता देवी ने जीत हासिल की थी। गोह विधानसभा सीट से बीजेपी के मनोज कुमार ने जेडीयू के दो रणविजय कुमार को हराया था। नबीनगर से 2015 मे जेडीयू के वीरेंद्र कुमार सिंह ने जीत हासिल की थी। वहीं, ओबरा विधानसभा क्षेत्र से आरजेडी के बीरेंद्र कुमार सिन्हा ने जीत हासिल की थी।
