पिछले दिनों भारतीय मूल के सुरेंद्रन पटेल (Surendran K Pattel) अमेरिका में जज बने हैं। वह टेक्सास के फोर्ट बेंड काउंटी में 240वें ज्यूडिशियल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज (Judicial District Court judge in Texas) बने हैं। पटेल का जन्म केरल (Kerala) के एक सुदूर गांव बलाल (Balal) में हुआ था। बचपन में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने अपने सपनों समझौता नहीं किया। लीगल न्यूज से जुड़ी वेबसाइट लाइव लॉ की सीनियर रिपोर्टर रिंटू मरियम बीजू ने सुरेंद्रन पटेल से उनके अब तक के सफर को लेकर बात की है।

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कैसा बीता बचपन?

रिपोर्टर के इस सवाल का जवाब देते हुए पटेल कहते हैं, “मुझे लगता है कि हर यात्रा के अपने उतार-चढ़ाव होते हैं। मेरे मामले में चुनौतियां बचपन से ही शुरू हो गई थीं और उनमें से कुछ आज भी जारी हैं। मेरा जन्म और पालन-पोषण केरल के कासरगोड में बलाल नामक एक सुदूर गाँव में हुआ था। मैंने कक्षी प्रथम से 10वीं तक की पढ़ाई एक खराब स्थिति वाले हाई स्कूल से की है।

पिछले महीने जब मैं उस स्कूल में गया, तो देखा कि स्कूल की स्थिति कमोबेश वैसी ही बनी हुई है। मेरे समय में वहां हर वर्ग के बच्चे पढ़ते थे लेकिन अब वह आर्थिक रूप से गरीब परिवारों के बच्चों का एक स्कूल बन गया है।

हम पांच भाई-बहन थे। जब मैं 13 साल का था तब हमने अपनी सबसे बड़ी बहन को खो दिया था। वह एक सदमा था और अब भी मुझे परेशान करता है। मेरा मानना है कि उस मामले में न्याय नहीं हुआ।

मेरे माता-पिता दिहाड़ी मजदूर थे। मेरी बहनें बीड़ी बनाने का काम करती थीं।  जब मैं कक्षा 9 में था तब मैंने अपनी बहन की मदद करना शुरू किया। सुबह के समय मैं पास के एक किराने की दुकान में काम करता था और रात में मैं बीड़ी बनाता था।  मेरे माता-पिता ने मुझसे कभी कोई अपेक्षा नहीं की; उन्होंने मुझे कभी किसी विशेष स्कूल में जाने या परीक्षा की तैयारी करने के लिए बाध्य नहीं किया।”

स्कूल में औसत छात्र थे पटेल

सुरेद्रंन पटेल खुद बताते हैं वह हाई स्कूल तक पढ़ाई में औसत से नीचे थे। वह कहते हैं, मैं तब काम करने और परिवार की मदद करने की कोशिश कर रहा था। मैं अपनी पढ़ाई पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं देता था। लेकिन हमारे यहां शिक्षकों का ऐसा ग्रुप था, जो छात्र-छात्राओं को लगातार प्रोत्साहित करता था। उन्हीं की वजह से मैंने 1985 में एसएसएलसी (10वीं) पास की। इसके बाद मुझे फुल टाइम काम करने के लिए अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। काम के दौरान ही मैंने तय किया कि आगे की पढ़ाई जरूर करुंगा। मैंने सरकारी केआर नारायणन मेमोरियल कॉलेज से प्री-डिग्री की पढ़ाई पूरी की।

आगे की पढ़ाई के लिए मैं एक रिश्तेदार के यहां रहां। इस दौरान मुझे काम और पढ़ाई दोनों करनी थी। क्लास में अटेंडेंस कम होने के कारण मेरे प्रोफेसर मुझे सेमेस्टर परीक्षा में बैठने से मना कर रहे थे। मैंने अपनी अनुपस्थिति का कोई कारण बताए बिना उनसे एक मौका मांगा क्योंकि मैं कोई सहानुभूति नहीं चाहता था। अंत में डिपार्टमेंट हेड ने मुझे परीक्षा में बैठने की अनुमति दी। मैंने क्लास में टॉप किया।

होटल में काम करते हुए की पढ़ाई

पटेल ने कानून की पढ़ाई के लिए एलएलबी में एडमिशन तो ले लिया था। लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह रेगुलर क्लास ले सके। एलएलबी के पहले साल में कुछ दोस्तों ने उनकी आर्थिक मदद की लेकिन उन्हें यह ठीक नहीं लग रहा था। पटेल ने अपने आर्थिक बोझ को कम करने के लिए एक प्रसिद्ध होटल में हाउसकीपिंग बॉय का काम शुरू कर दिया। वह कहते हैं, “मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक क्लास में प्रजेंट रहना था। क्साल सुबह 10 से शाम 4 बजे तक होती थी। लेकिन मुझे 2 बजे से 11 बजे तक काम करने जाना होता था। इस वजह से दोपहर 1 बजे के बाद किसी भी कक्षा में रहना मेरे लिए संभव नहीं था। लेकिन फिर मैं अपने आप सीखने में सक्षम हो गया और मैंने अपेक्षाकृत अच्छे अंकों के साथ ग्रेजुएशन की उपाधि प्राप्त की।”

भारत में कैसा था करियर?

पटेल बताते हैं, “ग्रेजुएशन करने के बाद मैंने एक वकील के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन कराया। होसुर बार में एक वकील के रूप में प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया। मेरे सीनियर ने मुझमें विश्वास जगाया। मैं वहां दस साल तक रहा और वह अनुभव मेरे भविष्य के सभी प्रयासों में बहुत महत्वपूर्ण था।… इसके बाद मैं दिल्ली रहकर प्रैक्टिस करने लगा।”

अमेरिका शिफ्ट होने की क्या थी वजह?

पटेल बताते हैं, “अमेरिका (USA) में काम करना मेरी पत्नी का सपना था और ऐसा हुआ कि उसे यहां नौकरी मिल गई। मैं इस फैसले का बहुत समर्थक था और चाहता था कि वह अपने पेशे में फले-फूले। हमने अमेरिका आने और ग्रीन कार्ड हासिल करने का फैसला किया। सुप्रीम कोर्ट में मेरा आखिरी केस 13 अक्टूबर, 2007 को था। अगले ही दिन हमने अमेरिका की फ्लाइट ले ली।”