Asaduddin Owaisi Delhi Elections 2025: दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। 70 सीटों वाले इस सूबे में 5 फरवरी को वोट डाले जाएंगे और वोटों की गिनती 8 फरवरी को होगी। दिल्ली के चुनावी माहौल को देखकर ऐसा लगता है कि यहां बड़ा चुनावी मुकाबला आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस के बीच है लेकिन कई छोटे दल भी सियासी अखाड़े में जोर-आजमाइश करने के लिए तैयार हैं।
दिल्ली में साल 2020 में दंगे हुए थे और दंगों से सबसे ज्यादा प्रभावित उत्तर-पूर्वी दिल्ली का इलाका रहा था। इस इलाके में आने वाली 10 विधानसभा सीटों पर चुनाव में मुस्लिम आबादी का अहम रोल रहता है।
इन 10 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम, मायावती की बहुजन समाज पार्टी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) तैयारी कर रहे हैं।
दिल्ली की चुनावी लड़ाई में यह छोटे दल भी अपनी ताकत दिखाएंगे और इससे क्या चुनाव नतीजों पर किसी तरह का कोई असर होगा यह भी देखने वाली बात होगी।
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एआईएमआईएम ने ताहिर हुसैन को बनाया उम्मीदवार
दिल्ली दंगों में आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन का नाम आरोपी के तौर पर सामने आया था। आम आदमी पार्टी ने उन्हें मुस्तफाबाद सीट से उम्मीदवार बनाया है। एआईएमआईएम की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष शोएब जमई ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उनकी पार्टी राजधानी में 10 से 12 ऐसी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है जहां पर मुस्लिम आबादी अच्छी संख्या में है। उन्होंने बताया कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली का इलाका पार्टी की प्राथमिकता में है।
एआईएमआईएम नेता ने बताया कि हम ऐसी सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे, जिन सीटों पर मुस्लिम आबादी लगभग 30% है लेकिन ऐसी सीटों पर जहां हमारे समुदाय की आबादी 25% है, उन सीटों पर भी उम्मीदवार उतारने पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगले कुछ दिनों में पार्टी के उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट आने वाली है।
दिल्ली में सीलमपुर और ओखला सीट पर मुस्लिम आबादी क्रमशः 57% और 52% है। इसके अलावा बाबरपुर और मुस्तफाबाद में इस समुदाय की आबादी क्रमशः 41 और 39.5% है। चांदनी चौक में मुस्लिम मतदाता 30% और सीमापुरी में 23.5 प्रतिशत हैं।
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मुस्तफाबाद आए थे असदुद्दीन ओवैसी
हाल ही में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी मुस्तफाबाद आए थे और उन्होंने ‘हक और इज्जत’ का हवाला दिया था। शोएब ने कहा कि उनकी पार्टी का चुनाव प्रचार इसके ही आसपास रहेगा क्योंकि अगर हमें हक और सम्मान के साथ जीना है तो विधानसभा में अपनी आवाज़ उठानी होगी।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट में 10 विधानसभा सीटें आती हैं। इसमें से पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि तीन सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी।
चुनाव लड़ने को तैयार है बीएसपी
अब बात करते हैं बीएसपी की। बीएसपी दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है। बीएसपी दिल्ली में 1993 से लगातार चुनाव लड़ रही है। 2008 में उसका सबसे अच्छा प्रदर्शन तब रहा था जब उसने बदरपुर और गोकलपुर की सीटों पर जीत दर्ज की थी। तब उसे लगभग 14% वोट मिले थे लेकिन उसके बाद से पार्टी का प्रदर्शन लगातार गिरता जा रहा है और पिछले विधानसभा चुनाव में उसे सिर्फ .71% वोट मिले।
भले ही बीएसपी दिल्ली में कमजोर हो गई हो लेकिन 2015 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवारों ने 17 सीटों पर हार-जीत के अंतर से ज्यादा वोट हासिल किए थे और इसने राजनीतिक समीकरणों पर काफी असर डाला था। बीएसपी इस बार भी दमदार ढंग से चुनाव लड़ने जा रही है।

पूर्वांचली मतदाताओं पर है जेडीयू का फोकस
इसके अलावा जेडीयू का फोकस दिल्ली में रहने वाले पूर्वांचल मतदाताओं पर है। जेडीयू ने आरोप लगाया है कि आम आदमी पार्टी ने कोविड की महामारी के दौरान पूर्वांचलियों के लिए कोई काम नहीं किया।
जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि हम बीजेपी के साथ सीटों को लेकर बात कर रहे हैं और हमें ऐसी उम्मीद है कि पालम और बदरपुर की सीट हमारे हिस्से में आएगी। झा ने कहा कि बीएसपी का फोकस उत्तर-पूर्वी दिल्ली पर भी रहेगा। 2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने संगम विहार और बुराड़ी की सीट पर चुनाव लड़ा था और यहां उसे क्रमशः 28% और 23% वोट मिले थे।