रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया (आठवले) के अध्यक्ष व सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास बंडु आठवले का कहना है कि लोकतंत्र में वोट की चोरी नहीं हो सकती है। महाराष्ट्र में मनोज जरांगे पाटिल के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि वहां देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ साजिश चल रही है, जबकि वे सभी वर्गों को साथ लेकर चलने वाले मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने कहा कि यह अभिमान की बात है कि अब सभी दल बाबा साहेब आंबडेकर का नाम ले रहे हैं। साथ ही कहा कि अगर भविष्य में भारत में दलित राजनीति के गठबंधन की स्थिति बनती है तो मायावती को इसका नेतृत्व करना चाहिए।
नई दिल्ली में कार्यकारी संपादक मुकेश भारद्वाज की रामदास बंडु आठवले के साथ बातचीत के चुनिंदा अंश।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद से वहां की राजनीति विवादों में रही है। विपक्ष के वोट चोरी के आरोप की जद में महाराष्ट्र भी है। आपका इस पर क्या कहना है?
रामदास बंडु आठवले: लोकतंत्र में वोट की चोरी नहीं हो सकती है। हां, यह बात है कि चुनाव प्रक्रिया में किसी तरह की अनियमितता नहीं होनी चाहिए। एक आदमी को दो जगह वोट नहीं डालना चाहिए। मतदाता सूची में त्रुटियां पहले भी सामने आती थीं जिसमें सुधार चलता रहता है। महाराष्ट्र के संदर्भ में विपक्ष का आरोप आया भाजपा की जीत को लेकर। लोकसभा में महाराष्ट्र में राजग को नुकसान हुआ था। उसकी वजह यह थी कि राहुल गांधी सहित विपक्ष ने गुमराह कर दिया कि भाजपा आरक्षण खत्म करना चाहती है और संविधान बदलना चाहती है। खतरा कांग्रेस पार्टी पर था तो उसने खतरा संविधान पर बता दिया। भारत में संविधान को कोई नहीं बदल सकता है। संविधान के नाम पर बाबा साहेब को ही याद किया जाता है। नरेंद्र मोदी अपने हर भाषण में आंबेडकर का नाम लेते हैं। इसके पहले कांग्रेस के प्रधानमंत्री कभी बाबा साहेब का नाम नहीं लेते थे। संविधान निर्माता की फोटो तक संसद के केंद्रीय कक्ष में नहीं लगाई थी कांग्रेस की सरकार ने। यह काम भी वीपी सिंह की सरकार में हुआ। मोदी सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाना शुरू किया। आरक्षण और संविधान पर कांग्रेस के सभी आरोप झूठे थे।
लेकिन जनता ने तो मान ली थी विपक्ष की बात। 400 पार का नारा देने वाली भाजपा पहले से कम सीटों पर सिमट गई।
रामदास बंडु आठवले: हमारा नारा था 400 पार का। अभी तक कांग्रेस ने देश के विकास का 20 से 25 फीसद काम ही किया था। मोदी जी ने विकास के लिए सौ फीसद काम किया। अच्छी सड़कें और हवाईअड्डे बने। 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा के नीचे से निकाला। कोविड के समय में भारतीय वैक्सीन पश्चिमी देशों तक में गई। मोदी सरकार ने करोड़ों लोगों की जान बचाई। जी-20 की अध्यक्षता की। उस समय हुए एक सर्वेक्षण में मोदी जी का नाम सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में आया। तत्कालीन आकलन था कि राजग को 350 सीटें मिल सकती हैं तो अब 400 सीटें भी मिल सकती हैं। लेकिन हमारी संख्या कम हो गई। उस वक्त हमने आरोप नहीं लगाया कि कांग्रेस ने हमारे वोट की चोरी की। बात सही है कि राहुल गांधी के आरोप के कारण हमारी सीटें कम हुईं। लोकतंत्र में जिसे बहुमत मिलता है उसकी सरकार आती है। लेकिन यह आरोप सरासर गलत है कि महाराष्ट्र में किसी तरह की वोट चोरी हुई है।
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आरोप है कि महाराष्ट्र में लोकसभा व विधानसभा चुनाव के अंतराल में कई लाख मतदाता जोड़ दिए गए।
रामदास बंडु आठवले: लोकसभा में हमें चालीस के ऊपर सीटें आनी चाहिए थीं लेकिन17 सीटें ही आईं। लगभग 23-25 सीटें कम होने के बाद हम लोग जमीन से जुड़े और जिन लोगों के नाम मतदाता सूची में नहीं थे उन्हें अपना नाम जुड़वाने के लिए प्रेरित किया। कांग्रेस को भी अपने मतदाताओं के बीच जाकर अपने वोट बढ़ाने की आवश्यकता थी। लेकिन वे लोकसभा चुनाव के बाद भ्रम में रहे। लोकसभा के बाद महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली के चुनाव हुए। सभी जगह हमारी जीत हुई।
अब बिहार में चुनाव होने वाले हैं। क्या वहां भी राजग गठबंधन आएगा?
रामदास बंडु आठवले: बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में राजग की सरकार बनेगी।
आशंका तो जताई जा रही है कि जो महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के साथ हुआ वही बिहार में नीतीश कुमार के साथ हो सकता है।
रामदास बंडु आठवले: पांच साल पहले भाजपा ने 74 सीटें मिलने के बावजूद नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया था। क्योंकि चुनाव के पहले की यही वचनबद्धता थी। इस बार भी नरेंद्र मोदी ने कहा है कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनेंगे। अब वहां वोट बढ़ाने की बात हो रही है। लोकतंत्र में हर किसी को वोट बढ़ाने का अधिकार है।
वोट बढ़े तो महाराष्ट्र में हैं। बिहार में तो 65 लाख वोट कटे हैं?
रामदास बंडु आठवले: बिहार में वोट कटने से हमारा भी तो नुकसान होगा। अवैध वोट तो हटने ही चाहिए। राहुल गांधी को जो समस्या है वो चुनाव आयोग में जाकर चर्चा करें।
ऐसा महसूस होता है कि सत्ता पक्ष के लिए राहुल गांधी बहुत बड़ा डर हैं। सत्ता पक्ष के सारे हमले राहुल गांधी पर ही होते हैं। ऐसा क्यों?
रामदास बंडु आठवले: राहुल गांधी से कोई डर नहीं है। वे बेमतलब की बातें बोलते हैं। मोदी जी कभी राहुल गांधी का नाम भी नहीं लेते, लेकिन राहुल गांधी 24 घंटे नरेंद्र मोदी का नाम लेकर उन पर हमला करते हैं। राहुल गांधी को गुस्सा है कि उन्होंने लोकसभा चुनाव के समय बहुत कोशिश की। बहुत शक्तियां साथ आईं और उन्हें लगा कि मोदी को हराएंगे, मोदी को हटाएंगे। लेकिन वे नहीं हटा पाए।
नीतीश कुमार की सेहत को लेकर भी काफी चर्चा है। उनके पुत्र को आगे लाने की बात भी चल रही है।
रामदास बंडु आठवले: अभी मैं दो-तीन महीने पहले नीतीश कुमार से मिला था तब उनकी तबीयत ठीक थी। उम्र का असर तो सब पर होता है। अभी उनके नाम का एलान हुआ है तो जितने दिन वे चाहेंगे मुख्यमंत्री रहेंगे।
भाजपा बिहार को लेकर कई मायनों में ज्यादा उदार दिख रही है। पहले जाति जनगणना को लेकर भाजपा में चुप्पी थी। बिहार चुनाव को नजदीक देख कर राजग सरकार ने जाति जनगणना का एलान कर दिया। भाजपा की विचारधारा में यह बदलाव क्यों आया?
रामदास बंडु आठवले: राहुल गांधी सिर्फ ओबीसी की गणना की बात कर रहे थे। सरकार के सामने समस्या थी कि संविधान का अनुच्छेद 17 जातिवाद के खात्मे की बात करता है तो फिर कैसे करवाया जाए। मैंने भी संसद में मांग की थी कि जाति जनगणना से पता चलेगा कि किसी जाति का कितना विकास हुआ है। हमारे कई सहयोगी दलों ने कहा कि इससे सभी जातियों को मदद मिलेगी। हमें लगा सामाजिक समानता के पक्ष में यह समय की मांग है।
जिस तरह से भाजपा के आरक्षण को लेकर विचार बदले उसी तरह बाबा साहेब आंबेडकर को लेकर भी बदले। कभी भाजपा के ही सांसद ने ‘वर्शिपिंग फाल्स गाड्स’ लिखी थी। अभी आप जिस वैचारिक चेतना के आधार पर आंबेडकर के मूल्यों की बात करते हैं वह चेतना भाजपा के नेताओं में नहीं दिखती। ऐसा लगता है जैसे बाबा साहेब का नाम बस खास वोट बैंक के लिए लिया जा रहा है।
रामदास बंडु आठवले: हमारे लिए यह अभिमान की बात है कि आज बाबा साहेब का नाम सभी दल ले रहे हैं। सभी दल उनकी जयंती मना रहे हैं। जो बाबा साहेब का नाम नहीं लेगा उसे गरीबों-वंचितों का वोट नहीं मिलेगा। सभी दल यह स्वीकार कर चुके हैं कि दलित समुदाय से आने वाले बाबा साहेब ने बहुत कष्ट उठाए। वे बचपन में स्कूल के अंदर नहीं जा सकते थे। वे देख रहे थे कि हिंदू होते हुए भी उन्हें गांव के कुएं से पानी लेने का अधिकार नहीं था। देश में जातिगत भेदभाव खत्म करने के लिए उन्होंने हिंदू धर्म त्याग कर बौद्ध धर्म अपनाया। बाबा साहेब द्वारा लाई गई सामाजिक क्रांति, उनका लिखा साहित्य और सबसे बड़ी बात देश के संविधान निर्माता के रूप में उनका नाम आता है। इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है कि हर किसी को बाबा साहेब का नाम लेना पड़ता है। जो बाबा साहेब का नाम लेगा उसे हमेशा वंचित तबकों का साथ देना होगा।
आरक्षण का दायरा व्यापक होता जा रहा है। महाराष्ट्र में मनोज जरांगे पाटिल का आंदोलन चला। जाट से लेकर अन्य कई समुदाय खुद को ओबीसी में रखने की मांग कर रहे हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि भारत में जितनी जातिगत विविधता है उतने तरह के आरक्षण की मांग हो रही है। आरक्षण के इस बढ़ते दायरे से क्या कोई नई समस्या खड़ी नहीं हो जाएगी?
रामदास बंडु आठवले: आरक्षण को लेकर सबसे पहले मेरी यह मांग थी कि एससीएसटी-ओबीसी को आरक्षण मिल ही रहा है। लेकिन मराठा समाज में भी आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की बड़ी संख्या है। जो गरीब पाटीदार, पटेल, रेड्डी हैं, उन्हें भी आरक्षण मिलना चाहिए। ओबीसी व एससीएसटी के आरक्षण को धक्का लगाए बिना इन्हें आरक्षण मिलना चाहिए। मोदी सरकार ने फैसला लिया कि आर्थिक रूप से कमजोर तबके को दस फीसद आरक्षण दिया जाए। मनोज जरांगे पाटिल मराठा समाज के लोकप्रिय नेता हैं। सबसे पहले मैंने मांग की थी कि हमारे आरक्षण को धक्का नहीं लगा कर मराठा समुदाय को आरक्षण मिलना चाहिए। मैं मनोज पाटिल से उनके गांव जाकर मिला था और कहा था कि उनके मराठा समुदाय को आरक्षण देने के मुद्दे के समर्थन में मैं हूं। जब एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री व देवेंद्र फडणवीस व अजित पवार उपमुख्यमंत्री थे तो मराठा समुदाय को दस फीसद आरक्षण देने का फैसला किया गया। देवेंद्र फडणवीस ब्राह्मण जरूर हैं लेकिन वे सभी वर्गों को साथ लेकर चलने वाले मुख्यमंत्री हैं। इस बार भी उन्होंने अपना यही समावेशी रूप दिखाया। जब एकनाथ शिंदे विधायकों को साथ लेकर आए तो उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया। फडणवीस तो कोई पद लेना नहीं चाहते थे लेकिन आलाकमान ने उनसे पद लेने का अनुरोध किया था। उन्होंने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में प्यार से काम किया था।आपने जो सवाल पूछा था शिंदे के नेतृत्व पर तो 132 सीटें लाने वाले भाजपा के नेता को मुख्यमंत्री बनाना सही निर्णय था। अभी फडणवीस जी, शिंदे जी और पवार जी, तीनों मिलकर अच्छा काम कर रहे हैं।
बिहार में अगर भाजपा की ज्यादा सीटें आती हैं और वो नीतीश कुमार की जगह अपने नेता को मुख्यमंत्री बनाती है, तो इसे भी गलत नहीं माना जाएगा?
रामदास बंडु आठवले: बिहार में मुख्यमंत्री के नाम का एलान किया गया है। एकनाथ शिंदे के नाम का एलान नहीं किया गया था। मुख्यमंत्री होने के नाते स्वाभाविक तौर पर उनके नेतृत्व में महाराष्ट्र का चुनाव लड़ा गया। सरकार गठन में शुरुआती मतभेद तो हर जगह दिखते हैं।
आरक्षण में मलाईदार तबके पर सवाल है। आपका इस पर क्या कहना है?
रामदास बंडु आठवले: ओबीसी को आरक्षण देने के बाद ‘क्रीमी लेयर’ की अवधारणा आई। आठ लाख की सालाना से कम आमदनी वाले परिवारों के बच्चों को शिक्षा व नौकरी में आरक्षण मिलेगा। ‘ईडब्लूएस’ के आरक्षण में भी आठ लाख का दायरा है। इसे कम बता कर 12 से 15 लाख के दायरे में लाने की मांग की जा रही है। सरकार इस पर विचार कर सकती है। लेकिन इससे गरीबों को फायदा मिलना मुश्किल हो जाएगा। हमारी कोशिश है कि हर जाति के गरीब लोगों को आरक्षण का फायदा मिले।
महाराष्ट्र से लेकर दक्षिण भारत में भाषा भी एक राजनीतिक मुद्दा है। अभी महाराष्ट्र में मराठी बनाम हिंदी का मुद्दा है। राजनीति में भाषाई अस्मिता को आप कैसे देखते हैं?
रामदास बंडु आठवले: हमारे देश में कई भाषाएं हैं, जिनमें सबसे ज्यादा बोली जाने वाली हिंदी है। इसलिए हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया गया है। तमिलनाडु में हिंदी का थोड़ा ज्यादा विरोध है लेकिन महाराष्ट्र में विरोध नहीं है। मुंबई में बांद्रा में आपको हिंदी बोलने वाले लोग मिलेंगे। तेलंगाना में हिंदी का कोई विरोध नहीं है। तमिलनाडु में सांस्कृतिक व राजनीतिक कारणों से हिंदी का थोड़ा विरोध है। जहां भी विरोध है वह राजनीतिक कारणों से ही है। पूरे देश के लोग हिंदी को प्यार से देखते हैं।
भाजपा आलाकमान ने एक समय कहा था कि जल्द ही क्षेत्रीय दलों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। भाजपा के साथ क्या अस्तित्व का खतरा महसूस होता है?
रामदास बंडु आठवले: यह तथ्यहीन बात है। लोकसभा में मेरी पार्टी का एक भी सदस्य नहीं है। इसके बावजूद नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार मुझे मंत्री बनाया है और आज मेरी पार्टी भारत के कोने-कोने में है। भाजपा अपने सहयोगियों के साथ हमेशा सम्मानजनक व्यवहार करती है। भाजपा, नरेंद्र मोदी और राजग का सहारा लेकर मैंने अपनी पार्टी को पूरे देश में बढ़ाया है।
उत्तर भारत में कांशीराम ने जो दलित राजनीतिक चेतना का आंदोलन शुरू किया उसकी विरासत मायावती ने संभाली। आज दलित राजनीति में काफी विभाजन है। उत्तर प्रदेश में चंद्रशेखर ने मायावती के वोट बैंक को चुनौती दे दी है। बिहार में चिराग पासवान अपनी अलग छवि बनाना चाहते हैं। क्या कभी राष्ट्रीय स्तर पर दलित राजनीति की एकता व गठबंधन की स्थिति हो सकती है?
रामदास बंडु आठवले: आपका यह सवाल अहम है। देश के दलित नेताओं की एकता होनी चाहिए। इस एकता की बात मेरे मन में बहुत पहले से है। अगर ऐसा होता है तो सबको बाबा साहेब की रिपब्लिकन पार्टी में आना चाहिए। ऐसी स्थिति बनी तो इस गठबंधन का नेतृत्व मायावती को देने में मुझे बहुत खुशी महसूस होगी। कभी इंडिया गठबंधन की तरह नैशनल दलित फ्रंट की स्थापना की गई थी जिसमें मैं, रामविलास पासवान, उदित राज जी थे। अगर राजनीतिक तौर पर हमलोग एक साथ आ जाते हैं तो वह दिन भी आ सकता है जब देश का प्रधानमंत्री कोई दलित बनेगा। दलित राजनीति की एकता के लिए मायावती जी अगर एक कदम आगे आएं तो मेरी दस कदम पीछे चलने की तैयारी है। दलित राजनीति के गठबंधन का नेतृत्व मायावती स्वीकारें तो देश में बड़ा बदलाव हो सकता है।
प्रस्तुति : मृणाल वल्लरी
विशेष सहयोग: हिमांशु अग्निहोत्री