India China Clash: भारत और चीन के सैनिकों के बीच एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के तवांग सेक्टर (Tawang Sector) में झड़प हुई। रिपोर्ट के मुताबिक झड़प के बाद चीन के लड़ाकू विमानों को LAC के नजदीक देखा गया। इसके बाद भारतीय वायुसेना (Indian Airforce ) ने फौरन चीनी फाइटर प्लेन को इंटरसेप्ट करने के लिए सुखोई SU-35 प्लेन रवाना कर दिये।

मौजूदा वक्त में भारत के पास सबसे एडवांस फाइटर प्लेन में सुखोई SU-30, राफेल और तेजस LCA शामिल हैं। वही चाइनीज एयरफोर्स के पास चेंगड़ू जे-20 (Chengdu J-20) है, जिसके बारे चीन दावा करता है कि ये एशिया का सबसे एडवांस्ड फाइटर प्लेन है।

भारत-चीन में किसके पास सबसे एडवांस्ड फाइटर जेट? (Who Has the Most Advanced Fighter Jet in India China)

चीन का Chengdu J-20: चीन का दावा है कि उसके Chengdu J-20 सबसे एडवांस्ड फाइटर प्लेन है। यह 5th जेनरेशन फाइटर प्लेन है, जिसे चीनी एविएशन कंपनी Chengdu ने बनाया है। इसी कंपनी ने पाकिस्तानी एयरफोर्स के लिए थंडर-17 जैसे विमान बनाए हैं। चीनी वायुसेना का Chengdu J-20 सिंगल सीटर विमान है। यह 20.5 मीटर लंबा और 4.45 मीटर ऊंचा है। यह प्लेन 1200 तक उड़ सकता है और एक्सटर्नल फ्यूल टैंक की मदद से 2700 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है।

J-20 की मैक्सिमम स्पीड 2100 किलोमीटर प्रति घंटा है। चीन दावा करता है कि J-20 को रडार नहीं पकड़ सकते हैं, इसमें Stealth Abilities हैं। हालांकि 2018 में तत्कालीन एयर मार्शल बीरेंद्र सिंह धनोआ ने कहा था कि भारत के SU-30 विमानों ने तिब्बत के ऊपर उड़ रहे Chengdu J-20 को इंटरसेप्ट कर लिया था।

भारत की Sukhoi Su-30: भारत की बात करें तो भारत के सबसे एडवांस फाइटर प्लेन में से एक सुखोई SU-30 (Sukhoi Su-30) को रूसी कंपनी सुखोई और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने मिलकर तैयार किया है। यह 2 सीटर विमान है। 21.9 मीटर लंबा और 6.4 मीटर ऊंचा है। सुखोई SU-30 की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह 38800 किलो वजन कैरी कर सकता है और इसकी मैक्सिमम स्पीड 2120 किलोमीटर प्रति घंटा है। सुखोई SU-30 एक बार में 3000 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है और हवा में फ्यूलिंग के बाद 8000 किलोमीटर तक जा सकता है।

भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के पास 2 बड़े एडवांटेज

1- पूर्व एयर वाइस मार्शल (Air vice-marshal) ओपी तिवारी Jansatta.com से कहते हैं कि भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के पास सबसे बड़ा एडवांटेज यह है कि जितने भी बॉर्डर एरिया हैं, वहां तक सिर्फ 5-7 मिनट का फ्लाइंग टाइम है। हमारे लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर बॉर्डर के नजदीकी एयरफील्ड से महज 5 मिनट में वहां पहुंच सकते हैं। इतने कम समय में रडार इंटरसेप्ट नहीं कर सकता है। उन्हें रिएक्शन टाइम कम मिलेगा। दूसरी तरफ, चीन के अभी जो एयरफील्ड हैं उनका रिस्पॉन्स टाइम करीब आधे घंटे का है। इतने वक्त में हमारा रडार आसानी से उनके विमान को इंटरसेप्ट कर लेता है और जवाबी रणनीति (काउंटर मेजर) बना सकते हैं।

2- दूसरा, बॉर्डर के नजदीक भारत के जितने भी एयरफील्ड हैं, वो समुद्र तल (Sea Level) से 300 से 400 फीट की ऊंचाई पर हैं, जबकि चीन के एयरफील्ड (Airfield) 12 से 13 हजार फीट की ऊंचाई पर है। ओपी तिवारी कहते हैं कि इससे एयरक्राफ्ट की परफॉरमेंस और कैपिसिटी पर बहुत असर पड़ता है। अगर आपका एयरफील्ड समुद्र तल से कम ऊंचाई पर है तो विमान छोटे रनवे पर आसानी से उड़ सकते हैं और जितनी क्षमता है उतना ऐमो (हथियार) कैरी कर सकते हैं। चूंकि चीन के एयरफील्ड 12-13 हजार फीट की ऊंचाई पर हैं, ऐसे में उन्हें लंबे रनवे की जरूरत पड़ती है। टेक ऑफ के बाद फ्लाइंग में भी वक्त लगता है और कुछ क्षमता का सिर्फ एक तिहाई हथियार ही कैरी कर सकते हैं।

VSM, AVSM से सम्मानित पूर्व एयर वाइस मार्शल ओपी तिवारी कहते हैं कि भारत के पास अभी एक को छोड़कर सारे फाइटर प्लेन विदेश के हैं और पहले से टेस्टेड हैं। चाहे मिराज, जगुआर, रशियन SU-30, मिग 29 हों या हाल ही में लाए गए राफेल। ये सब तमाम युद्ध में टेस्ट हो चुके हैं। जबकि चीन के ज्यादातर एयरक्राफ्ट रिवर्स इंजीनियरिंग पर बनी है। चीन के J-10, J-12 या J-18 जैसे प्लेन मिग-19, मिग-21 की कॉपी हैं। वह कहते हैं की चीन दावा करता है कि उसने 5th जेनरेशन के Stealth Fighter Aircraft डेवलप कर लिये हैं, जो Chengdu J-20 के नाम से जाने जाते हैं। लेकिन चीन के दावे और हकीकत में बड़ा अंतर होता है। Chengdu J-20 न तो टेस्टेड है और न ही ज्यादा लोगों ने खरीदा है।

राफेल के आने से बढ़ी IAF की क्षमता

आपको बता दें कि भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) ने कुछ महीने पहले ही फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान मंगाए हैं। ये सभी कॉम्‍बैट एयरक्राफ्ट हैं, और भारत ने अपनी जरूरतों के मुताबिक इनमें कई खास बदलाव भी कराए हैं। ओपी तिवारी कहते हैं कि यह सही है कि भारत के पास लड़ाकू विमानों की संख्या घटी है, लेकिन राफेल के आने से ताकत बढ़ गई है।

…तो 1962 में अलग तस्वीर होती

ओपी तिवारी कहते हैं कि अगर साल 1962 की लड़ाई (India China 1962 War) में भारत ने वायुसेना (Airforce) का उपयोग किया होता तो शायद नतीजे कुछ और होते। वह कहते हैं कि तवांग के सबसे नजदीकी एयरफील्ड में तेजपुर शामिल है। साल 1962 की लड़ाई में भारत सरकार ने तेजपुर के एयर कमांडर को कह दिया था कि वे अपने सभी एयरक्राफ्ट लेकर बागडोगरा चले जाएं।

भारत-चीन में किसके पास कितने और कैसे विमान (India China Air Force Comparison)

Global Firepower की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के पास 538 कॉम्बैट एयरक्राफ्ट हैं, जबकि चीन के पास 1,232 एयरक्राफ्ट हैं। भारत के पास कुल 172 डेडिकेटेड अटैक एयरक्राफ्ट हैं, जबकि चीन के पास इस तरह के 371 विमान हैं। भारत के पास 77 ऐसे प्लेन हैं, जो स्पेशल मिशन के काम आते हैं। वहीं, चीन के पास 111 स्पेशल मिशन प्लेन हैं। वहीं दूसरी ओर, भारत के पास 722 हेलीकॉप्टर हैं तो चीन के पास 911 हेलीकॉप्टर हैं।