राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा के अलावा किसी अन्य पार्टी ने कभी शासन (एक बार भाजपा के समर्थन से जनता पार्टी की सरकार बनी थी, जिसके मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत थे) नहीं किया। 1993 से राजस्थान की हमेशा कांग्रेस और भाजपा के बीच बदलती रही है। कांग्रेस के मोहन लाल सुखाड़िया और अशोक गहलोत के बाद सबसे ज्यादा समय तक भाजपा के भैरों सिंह शेखावत और वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री रही हैं। दोनों ने 10-10 साल से अधिक समय तक शासन किया है। सवाल उठता है कि क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत के सबसे बड़े राज्य में भाजपा ने इतनी गहरी पैठ बनाई कैसे?

राजस्थान में भाजपा का उदय

लाल कृष्ण आडवानी ने बतौर आरएसएस प्रचारक अलवर से इसकी शुरुआत की थी। बाद में उन्हें 1951 में बानी भारतीय जनसंघ (BJS) में भेज दिया गया। शेखावत पहली बार 1952 में विधायक चुने गए थे और लंबे समय तक राज्य में भाजपा के सबसे बड़े नेता रहे। 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद केंद्र सरकार ने भाजपा शासित चार राज्यों की सरकारें बर्खास्त की थी। लेकिन शेखावत की बदौलत राजस्थान एकमात्र ऐसा राज्य बना, जहां 1993 में भाजपा सत्ता में लौट आई।

सुंदर सिंह भंडारी और सतीश अग्रवाल राज्य में संघ के प्रमुख नेता थे। जसवंत सिंह और रामदास अग्रवाल राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख भाजपा नेता थे। 1952 में BJS को केवल 6 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन अगले दो दशकों में इसका प्रभाव लगातार बढ़ता गया। 1990 के दशक के बाद से भाजपा ने खुद को तेजी से मजबूत किया और 2013 में 163 सीटों के शिखर पर पहुंच गई। उस चुनाव में कांग्रेस 21 सीटों पर सिमट गई थी, जो अब तक की उसकी सबसे कम संख्या है।

Bhairon Singh Shekhawat
भैरों सिंह शेखावत 10 वर्षों से अधिक समय तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। बाद में भारत के उपराष्ट्रपति भी बने। (Express archive photo by Kevin D’Souza 26.4.1997)

चुनावी मुकाबलों का इतिहास

विधानसभा चुनावों में अक्सर किसी न किसी पार्टी को कम या बहुमत के आस-पास का आंकड़ा मिलता रहा है। 1962 में कांग्रेस ने 176 सदस्यीय सदन में 88 सीटें जीतीं थीं। 1967 की कांग्रेस विरोधी लहर के बीच उसे 184 में से 89 सीटें मिलीं।

1990 में भाजपा और वीपी सिंह की जनता दल के बीच गठबंधन हुआ। भाजपा ने 200 में से 85 सीटें जीतीं, और जनता दल के 55 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई। 1993 में बीजेपी ने 95 सीटें जीतीं और बहुमत के करीब पहुंच गई। 2008 और 2018 में कांग्रेस ने 200 सदस्यीय विधानसभा में क्रमशः 96 और 100 सीटें जीतीं।

राज्य की सबसे बड़ी पार्टी परंपरागत रूप से आवश्यक संख्या जुटाने में कामयाब रही है। 1967 में कांग्रेस ने 194 में से 89 सीटें जीतीं, लेकिन अंततः मोहन लाल सुखाड़िया ने सरकार बनाई; शेखावत और अशोक गहलोत ने क्रमशः 1993 और 2008 में ऐसा ही किया।

स्पष्ट बहुमत मिलने का इतिहास

कांग्रेस ने 1972 (जब उसने 184 में से 145 सीटें जीतीं), 1980 (200 में से 133 सीटें), और 1985 (200 में से 113 सीटें) में स्पष्ट बहुमत हासिल किया। ठीक ऐसे ही जनता पार्टी ने 1977 में (200 में से 152 सीटें) हासिल कीं। 1998 में कांग्रेस ने 200 में से 153 सीटें जीतीं। बीजेपी का सबसे अच्छा प्रदर्शन 2013 (200 में से 163) में था। 2003 में उसने 200 में से 120 सीटों पर जीत हासिल की थी।

राजस्थान की राजनीति का दिलचस्प इतिहास

राजस्थान में पिछले 33 सालों से केवल तीन नेता (भैरों सिंह शेखावत, अशोक गेहलोत और वसुन्धरा राजे) मुख्यमंत्री बने हैं। राज्य में कई बार त्रिशुंक विधानसभा की नौबत आई है, लेकिन हर बार सबसे बड़ी पार्टी (सीट के हिसाब से) सरकार बनाने में कामयाब हुई है। अक्सर चुनावी मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच रहा है। बावजूद इसके तीसरी पार्टियां और गैर-कांग्रेसी, गैर-भाजपाई नेता उभरते रहे हैं। पांच ब्राह्मण, दो वैश्य, एक कायस्थ और एक राजपूत के अलावा, एक मुस्लिम और एक दलित नेता भी राजस्थान के मुख्यमंत्री का पद संभाल चुके हैं। विस्तार से पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें:

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